जम्मू: तिब्बती बौद्ध धर्मगुरू दलाई लामा 15 दिन की लद्दाख यात्रा पर हैं। इस दौरान जम्मू से लेह के लिए निकलते समय दलाई लामा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाया जाना चाहिए। लगभग दो साल से भारत और चीन की सेनाए पूर्वी लद्दाख में एक दूसरे के सामने हैं। भारत और चीन के तनावपूर्ण संबंधों पर दलाईलामा ने कहा कि भारत और चीन दो बड़े देश हैं। उन्हें अपने विवाद बातचीत से शांतिपूर्ण तरीके से हल करने चाहिए। दलाई लामा ने कहा कि आज के समय में सैन्य शक्ति का इस्तेमाल करना पुरानी बात हो गई है।
दलाई लामा को अलगाववादी कहता है चीन
दलाई लामा तिब्बत के निर्वासित नेता हैं जो 1959 में तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद भारत आ गए थे। तबसे दलाईलामा भारत में रह रहे हैं। चीन दलाईलामा को बिल्कुल पसंद नहीं करता और उन्हें अलगाववादी नेता कहता है। चीन आरोप लगाता है कि दलाईलामा चीनी राज्य तिब्बत में अशांति और अलगाववाद फैलाने का काम करते हैं। दलाई लामा इस समय लेह-लद्दख यात्रा पर हैं जो चीन सीमा के बेहद ही नजदीक है। ऐसे में चीन को दलाई लामा की यात्रा बेहद खटक रही होगी।
तिब्बत पर क्या बोले दलाई लामा
तिब्बत के मसले पर अपनी बात रखते हुए दलाई लामा ने जम्मू में कहा कि वो चीन से आजादी नहीं चाहते। दलाई लामा ने कहा कि वो सिर्फ स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं। चीन पर टिप्पड़ी करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि चीन उनके बारे में क्या सोचता है और क्या कहता है।
बता दें कि साल 2018 में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने अपना जन्मदिन लद्दाख मे ही मनाया था। तब चीन ने उनकी यात्रा पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। इस बार भी चीन दलाई लामा की लद्दाख यात्रा पर भड़क सकता है।