नई दिल्ली: स्वदेश निर्मित कोरोना वैक्सीन कोवाक्सीन को लेकर तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि फेज-3 ट्रायल पूरा हुए बिना ही वैक्सीन को आपातकाल उपयोग की मंजूरी दे दी गई। इसीलिए वैक्सीनेशन अभियान में फ्रंटलाइन वर्कर और डॉक्टर्स इसे लगवाने से मना कर रहे हैं। इस सवाल का जवाब देने के लिए भारत बायोटेक अगले माह तक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) को फेज-3 ट्रायल के नतीजे पेश करने की तैयारी में है।
आईसीएमआर भी इस कोशिश में लगा है कि ट्रायल के नतीजे कंपनी जल्द से जल्द पेश करे। जिससे अन्य देशों में सरकार वैक्सीन की आपूर्ति शुरू कर सके और वैक्सीन पर उठ रहे सवाल खत्म हो जाएं।स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी तक के वैक्सीनेशन अभियान से यह साफ हो गया है कि कोवाक्सीन और कोविशील्ड दोनों ही वैक्सीन सुरक्षित हैं। कोवाक्सीन को लेकर खड़े किए जा रहे सवाल गलत हैं।
नीति आयोग के सदस्य और कोरोना टास्क फोर्स के चेयरमैन डा.वीके पॉल और एम्स के निदेशक डा.रणदीप गुलेरिया ने पहले दिन यह वैक्सीन लगवाने के बाद अपने अनुभव भी साझा किए। भारत बायोटेक ने अक्टूबर प्रथम सप्ताह में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) से तीसरे फेज के ट्रायल की अनुमति मांगी थी।
महीने के अंत तक डीजीसीआई से इसकी अनुमति मिल गई थी और भारत बायोटेक ने नवंबर माह में कोवाक्सिन का फेज-3 ट्रायल 28500 लोगों पर शुरू किया। जिसके ट्रायल में करीब दो से ढाई माह का समय लगना था। यह समय जनवरी 2021 में पूरा हो रहा है।