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न्यायालय ने परमबीर सिंह को उनके खिलाफ महाराष्ट्र में दर्ज आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया

By भाषा | Updated: November 22, 2021 20:49 IST

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नयी दिल्ली, 22 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ महाराष्ट्र में दर्ज आपराधिक मामलों में सोमवार को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया। साथ ही न्यायालय ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि अगर पुलिस अधिकारियों और वसूली करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज करने पर उन्हें तंग किया जा रहा है तो आम आदमी का क्या होगा।

उच्चतम न्यायालय ने परमबीर सिंह की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार, इसके पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय पांडे और सीबीआई को नोटिस जारी किये। शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि सिंह द्वारा लगाये गये भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का समाना कर रहे राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और सिंह से संबंधित यह मामला लगातार कौतुहल भरा होता जा रहा है।

इस मामले में न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने 19 नवंबर को कहा था कि ‘‘कोई संरक्षण नहीं, कोई सुनवाई नहीं जब तक हम यह नहीं जानते कि आप कहां हैं।’’

इस मामले की सोमवार को सुनवाई शुरू होते ही वरिष्ठ अधिवक्ता पुनीत बाली ने पीठ को सूचित किया कि सिंह फरार नहीं होना चाहते और वह भारत में ही हैं लेकिन उन्हें अपनी जान का खतरा है।

पीठ ने कहा, ‘‘मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त का कहना है कि मुझे मुंबई पुलिस से जान का खतरा है तो दूसरे लोगों के विश्वास का क्या होगा।’’

वरिष्ठ अधिवक्ता बाली ने कहा कि सिंह मुंबई के पुलिस आयुक्त थे और उनके अपने सूत्र हैं और यह भी एक तथ्य है कि देशमुख के भ्रष्टाचार का मामला उठाने के बाद ही ‘‘जबरन वसूली करने वालों, सट्टेबाजों और पुलिस अधिकारियों’’ ने ही उनके खिलाफ कम से कम छह आपराधिक मामले दर्ज कराये हैं जिनके विरुद्ध एक पुलिस अधिकारी के रूप में उन्होंने कार्रवाई की थी। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि यह इस बात का पर्याप्त सबूत है कि उन्हें तंग किया जा रहा है।

पीठ ने कहा, ‘‘यह कथित तौर पर पूर्व आयुक्त के साथ हो रहा है। हमें आश्चर्य है कि एक आम आदमी का क्या हो सकता है। तत्कालीन गृह मंत्री और तत्कालीन आयुक्त के बीच यह मामला और भी दिलचस्प हो गया है।’’

पीठ ने अपने आदेश दिया, ‘‘नोटिस जारी किया जाता है। छह दिसंबर को इसका जवाब देना होगा। इस बीच, याचिकाकर्ता जांच में शामिल होगा और उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।’’

कुछ देर तक दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा कि सिर्फ एक ही सवाल की जांच की जानी है कि क्या देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच कर रही सीबीआई को मामले से जुड़े अन्य पहलुओं की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘चूंकि बम्बई उच्च न्यायालय ने शुरूआती दौर में ही परमबीर सिंह की याचिका का फैसला करते हुए उसे केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) के पास भेज दिया था, इसलिए सीबीआई और राज्य सरकार के रूख की जानकारी नहीं है। पहली नजर में कार्रवाई करने का यह उचित तरीका नहीं हो सकता।’’

सुनवाई शुरू होते ही बाली ने कहा कि सिंह भारत में ही हैं और उनकी उनसे बात भी हुई थी।

उन्होंने कहा कि सिंह को सुरक्षा की जरूरत है क्योंकि उन्होंने इस अदालत में आने और राज्य के पूर्व गृह मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने का साहस दिखाया था।

उच्च न्यायालय के आदेश की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मुझे सीबीआई जांच के लिए कैट जाने के लिए कहा गया था और कैट को नियंत्रित करने वाला कानून सीबीआई जांच की गुंजाइश नहीं देता है और ‘‘मेरा मामला एक व्हिसलब्लोअर के रूप में सुरक्षा प्रदान करने के लिए उपयुक्त मामला है।’’

बाली ने कहा कि 2015 और 2016 जैसे वर्षों से संबंधित कथित अपराधों के लिए सिंह के खिलाफ छह प्राथमिकी दर्ज की गई हैं और कहा गया है कि अगर पुलिस अधिकारी के रूप में किए गए कार्यों के लिए राज्य के इशारे पर सट्टेबाजों और जबरन वसूली करने वालों की शिकायतों पर उन्हें परेशान किया जाता है तो एक पुलिस अधिकारी कैसे कार्य करेगा।

उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ प्राथमिकी सट्टेबाजों, जबरन वसूली करने वालों और अन्य लोगों द्वारा दर्ज की गई थी, जिनके खिलाफ परमबीर ने पहले कार्रवाई की थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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