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न्यायालय ने पेगासस मामले पर सोशल मीडिया और वेबसाइट पर समानांतर वाद-विवाद पर अप्रसन्नता जताई

By भाषा | Updated: August 10, 2021 16:26 IST

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नयी दिल्ली,10 अगस्त उच्चतम न्यायालय ने इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाले कुछ याचिकाकर्ताओं के सोशल मीडिया और वेबसाइटों पर समानांतर वाद-विवाद करने पर मंगलवार को अप्रसन्नता जताई। न्यायालय ने इन याचिकाकर्ताओं को अनुशासित रहने और व्यवस्था में कुछ विश्वास रखने को कहा है।

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने पेगासस प्रकरण को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अपनी अप्रसन्नता व्यक्त की। पीठ ने कहा कि वह पेगासस विवाद की जांच की मांग वाली याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी करने के बारे में 16 अगस्त को फैसला करेगी।

पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत वाद-विवाद की विरोधी नहीं है, लेकिन जब मामला अदालत में लंबित है तो इस पर चर्चा यहीं होनी चाहिए।

पीठ ने कहा कि उसे उम्मीद है कि याचिकाकर्ता, जो इस मामले में रुचि रखते हैं, वे अदालत द्वारा पूछे जाने वाले सभी प्रश्नों का उचित बहस के माध्यम से ‘‘अदालत में उत्तर देंगे न कि बाहर।’’

पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील से कहा, ‘‘देखिए एक बार जब आप इस अदालत में आते हैं, तो हम उम्मीद करते हैं कि यहां बहस हो रही है और हम उम्मीद करते हैं कि वे सवालों के जवाब देंगे।" पीठ ने कहा, ‘‘उन्हें व्यवस्था में कुछ विश्वास होना चाहिए।’’

प्रधान न्यायाधीश ने वरिष्ठ पत्रकार एन राम और शशि कुमार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि "कुछ अनुशासन होना चाहिए।’’

सिब्बल ने कहा, "बिल्कुल, मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं। जब मामला अदालत में हो, तो किसी भी तरह के सार्वजनिक बयान नहीं होने चाहिए। मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं।’’

केन्द्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि उन्हें याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों के संबंध में सरकार से निर्देश लेने के लिए कुछ वक्त चाहिए। इस पर पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 अगस्त की तारीख निर्धारित की।

मेहता ने पीठ को बताया कि पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा द्वारा संभवतः दाखिल याचिका के अलावा उन्हें सभी याचिकाओं की प्रतियां प्राप्त हुई हैं।

एक याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह ने पीठ से कहा कि याचिकाओं पर नोटिस जारी किया जाए।

पीठ ने कहा, ‘‘सोमवार को मैं फैसला लूंगा। सोमवार तक प्रतीक्षा करें।’’

यशवंत सिन्हा की ओर से पेश अधिवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि उन्होंने अपनी याचिका की प्रति केंद्र को भेज दी है। सुनवाई के दौरान पीठ ने फैसले की प्रक्रिया का हवाला दिया और कहा कि अदालतें दोनों पक्षों से सवाल करती हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘हमने आप सभी से कुछ सवाल पूछे। हम कुछ सामग्री, कुछ जानकारी या कुछ और की अपेक्षा करते हैं। आप न्यायिक प्रक्रिया जानते हैं कि अदालतें कैसे सवाल पूछती हैं। कभी-कभी यह आपके लिए असुविधाजनक हो सकता है, कभी-कभी यह आपके लिए उत्साहजनक हो सकता है। जो भी हो, दोनों पक्षों को इस प्रक्रिया सामना करना पड़ता है।’’

सिब्बल ने कहा कि सुनवाई की आखिरी तारीख को वह राम के लिए पेश हुए थे और कैलिफोर्निया की अदालत में पेगासस से संबंधित कार्यवाही का जिक्र था। सिब्बल ने कहा कि पेगासस से जुड़ी अदालत की कार्यवाही के बारे में राम को पिछली सुनवाई के बाद सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया था।

पीठ ने कहा, ‘‘यही तो हम कह रहे हैं। हम पक्षकारों से प्रश्न करते हैं। हम दोनों पक्षकारों से पूछताछ करते हैं। मामले पर बहस यहां होनी चाहिए, इस पर बहस सोशल मीडिया या वेबसाइट पर नहीं होनी चाहिए। पक्षकारों को तंत्र पर भरोसा होना चाहिए।’’

इस बीच, ‘कैंपेन फॉर ज्यूडिशियल एकाउंटेबिलिटी एंड रिफॉर्म्स’ (सीजेएआर) और ‘नेशनल कैंपेन फॉर पीपुल्स राइट टू इंफॉर्मेशन’ की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को पत्र लिखकर पेगासस मामले में सुनवाई का सीधा प्रसारण करने का अनुरोध किया है।

उच्चतम न्यायालय इजराइल के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस से कथित तौर पर जासूसी कराए जाने के मामले की स्वतंत्र जांच कराने के अनुरोध वाली अनेक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इनमें से एक याचिका ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ ने दाखिल की है जिसने पत्रकारों और दूसरों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करने का अनुरोध किया है।

ये याचिकाएं इजराइली फर्म एनएसओ के स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करके प्रतिष्ठित नागरिकों, राजनीतिज्ञों और पत्रकारों पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर जासूसी की रिपोर्ट से संबंधित हैं।

एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने बताया है कि 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग करके निगरानी के लिए संभावित लक्ष्यों की सूची में थे।

गौरतलब है कि पांच अगस्त को मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा था कि पेगासस से जासूसी कराए जाने संबंधी खबरें अगर सही हैं तो यह आरोप ‘‘गंभीर प्रकृति” के हैं।’’ साथ ही न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं से यह भी जानना चाहा था कि क्या उन्होंने इस मामले में कोई आपराधिक शिकायत दर्ज कराने का प्रयास किया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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