नई दिल्ली: फ्रांस व भारत के बीच 36 राफेल विमानों की डील हुई है। इस डील के तहत 5 विमानों की पहली खेप भारत पहुंच चुकी है। अभी 31 राफेल और भारत को मिलने बाकी हैं। इस समय अंबाला एयर बेस में इन 5 राफेल की तैनाती की गई है। इस मामले में चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक एक्सपर्ट के हवाले से कहा है कि भारतीय राफेस विमान चीनी लड़ाकू विमान J-20 के समक्ष कहीं नहीं टिकता है।
एचटी की मानें तो इस मामले में चीन के दावे पर भारत के पूर्व वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने जवाब दिया है। उन्होंने दो साधारण सवालों के जरिए चीन के दावे की पोल खोलकर रख दी है।
चीनी एक्सपर्ट ने क्या कहा-
बता दें कि चीन के सरकारी अखबरा द ग्लोबल टाइम्स ने एक एक्सपर्ट के हवाले से खबर प्रकाशित की है। हालांकि, चीनी अखबरा ने अपने खबर में कथित एक्सपर्ट के नाम से तथ्य रखा है। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि राफेल केवल एक चौथाई जेनरेशन अडवांस है और गुणवत्ता के मामले में इसमें अधिक बदलाव नहीं हैं।
यही नहीं एक अन्य एक्सपर्ट के हवाले से कहा कि राफेल केवल थर्ड प्लस जेनरेशन का फाइटर जेट है और J-20 के सामने उसकी नहीं चलेगी।
बीएस धनोआ ने चीनी एक्सपर्ट से पूछे ये दो अहम सवाल-
बीएस धनोआ ने पूछा, ''यदि J-20 वास्तव में पांचवी पीढ़ी का फाइटर जेट है तो इस पर कनार्ड्स क्यों हैं, जबकि अमेरिका के पांचवी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों F22, F35 और रूस की पांचवीं पीढ़ी के Su 57 में ये नहीं हैं।'' कनार्ड्स विमान के नियंत्रण में सुधार के लिए मुख्य विंग के आगे लगे होते हैं।
इतनी ही नहीं उन्होंने कहा कि J-20 इतने शक्तिशाली नहीं हैं कि उसे 5TH जेनरेशन का लड़ाकू कह दें। उन्होंने बताया कि कनार्ड रडार सिग्नेचर को बढ़ा देता है लॉन्ग रेंज के मीटीअर मिसाइलों को पोजिशन बता देता है, जो राफेल में लगे हैं।
एक और सवाल पूछते हुए उन्होंने कहा कि J-20 को तैयार करने वाली कंपनी चेंगदू एयरोस्पेस कॉर्पोरेशन यदि इस विमान को 5वीं पीढ़ी का फाइटर जेट बताता है तो इसमें सुपरक्रूज की क्षमता क्यों नहीं है? इसके साथ ही उन्होंने इसकी विशेषता को बताते हुए कहा कि सूपरक्रूज वह क्षमता है जिससे फाइटर जेट आफ्टरबर्न्स का इस्तेमाल किए बिना M 1.0 (साउंड की गति) की अधिक स्पीड से उड़ सकते हैं।