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चीन ने पैंगोंग झील पर दूसरे पुल का निर्माण शुरू किया, भारी बख्तरबंद वाहनों के परिवहन में सक्षम होगा

By विशाल कुमार | Updated: May 19, 2022 08:05 IST

जनवरी में सामरिक पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाले पहले पुल के निर्माण के बारे में रिपोर्ट सामने आई, तो विदेश मंत्रालय ने कहा था कि संरचना 60 वर्षों से चीन द्वारा अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में स्थित है।

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ठळक मुद्देपहले पुल का उपयोग क्रेन जैसे उपकरणों को स्थानांतरित करने के लिए किया जा रहा है।पहले पुल पर काम अप्रैल तक खत्म हो गया था।दूसरे पुल की अंतत: 10 मीटर की चौड़ाई और 450 मीटर की लंबाई होगी।

नई दिल्ली:चीन ने पैंगोंग झील के ऊपर एक दूसरे पुल का निर्माण शुरू कर दिया है जो भारी बख्तरबंद वाहनों के परिवहन में सक्षम होगा। इससे पहले भारत ने उसी क्षेत्र में एक पुल का निर्माण किए जाने का दावा किया था। दूसरे पुल का निर्माण पहले पुल के समानांतर किया जा रहा है, जो संकरा है और इसी साल अप्रैल में बनकर तैयार हुआ था। 

क्षेत्र के हालिया मिले उच्च-रिजॉल्यूशन उपग्रह इमेजरी का विश्लेषण करने वाले विशेषज्ञों के अनुसार, पहले पुल का उपयोग क्रेन जैसे उपकरणों को स्थानांतरित करने के लिए किया जा रहा है, जो दूसरे के निर्माण के लिए आवश्यक हैं।

जब जनवरी में सामरिक पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों को जोड़ने वाले पहले पुल के निर्माण के बारे में रिपोर्ट सामने आई, तो विदेश मंत्रालय ने कहा था कि संरचना 60 वर्षों से चीन द्वारा अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में स्थित है। मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने तब कहा था कि भारत ने इस तरह के अवैध कब्जे को कभी स्वीकार नहीं किया है।

द इंटेल लैब के एक विश्लेषक डेमियन साइमन ने कहा कि उपग्रह इमेजरी के विश्लेषण से पता चलता है कि पहले पुल पर काम अप्रैल तक खत्म हो गया था। परियोजना की पुष्टि करते हुए उन्होंने कहा कि क्रेन को पहले भी साइट पर देखा गया था।

उन्होंने आगे कहा कि माप से संकेत मिलता है कि दूसरे पुल की अंतत: 10 मीटर की चौड़ाई और 450 मीटर की लंबाई होगी। पुल के दोनों सिरों को जोड़ने के लिए सड़क संपर्क का काम समानांतर में शुरू हो गया है। दोनों पुल 134 किलोमीटर लंबी रणनीतिक झील के सबसे संकरे हिस्से में स्थित हैं।

अगस्त 2020 में चीनी सैनिकों ने क्षेत्र में भारतीय सैनिकों को धमकाने की कोशिश की थी जिस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय पक्ष द्वारा पैंगोंग झील के दक्षिणी तट पर कई रणनीतिक चोटियों पर कब्जा कर लिया गया। 

इसके बाद से चीन अपने सैन्य बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। भारत भी सैन्य तैयारियों को बढ़ाने के समग्र प्रयासों के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलों, सड़कों और सुरंगों का निर्माण कर रहा है।

बता दें कि, पूर्वी लद्दाख के गतिरोध को दूर करने के लिये भारत और चीन के बीच अब तक 15 दौर की सैन्य बातचीत हो चुकी है। वार्ता के फलस्वरूप दोनों पक्षों ने पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों तथा गोगरा इलाके से सैनिकों को पीछे बुलाने का काम पूरा किया था। 

भारत लगातार इस बात पर कायम रहा है कि एलएसी पर शांति और अमन द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है। वर्तमान में संवेदनशील क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दोनों पक्षों के लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक हैं।

टॅग्स :चीनलद्दाखभारत
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