सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ सोमवार (22 जनवरी) को सीबीआई विशेष अदालत के जज रहे बीएच लोया की मौत से जुड़ी जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई करेगी। मामले की सुनवाई करने वाली पीठ में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एएम खानवल्कर और डीवाई चंद्रचूड़ रहेंगे। इससे पहले मामले की सुनवाई जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ कर रही थी।
जस्टिस मिश्रा और जस्टिस मोहन एम शांतनागौदर की पीठ ने 16 जनवरी को मामले की सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार को याचिकाकर्ताओं को जज लोया की मौत से जुड़े दस्तावेज देने के आदेश देते हुए मामले को "उचित पीठ के सामने पेश" करने की बात कही थी। शनिवार को जब सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते की सुनवाई का रोस्टर आया तो उसमें जज लोया की मौत पर पीआईएल का मामला मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की पीठ के आवंटित किया गया है।
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सुप्रीम कोर्ट के चार न्यायाधीशों जस्टिस जे चेलेश्वरम, जस्टिस जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कूरियन जोसेफ ने 12 जनवरी को प्रेस वार्ता करके सुप्रीम कोर्ट में मामलों को विभिन्न पीठों को सुनवाई के लिए आवंटित करने पर सवाल उठाया था। प्रेस वार्ता में जस्टिस गोगोई ने इशारा किया था कि जज बीएच लोया की मौत की जाँच से जुड़ी पीआईएल की सुनवाई को लेकर चीफ जस्टिस से उनके मतभेद हैं।
12 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार बीआर लोने और पूर्व कांग्रेसी नेता तहसीन पूनावाला की पीआईल पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार को जज बीएच लोया की मौत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज अदालत में पेश करने का आदेश दिया था। 16 जनवरी को महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने शीर्ष अदालत को सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज सौंपे और कहा कि इनमें से कुछ दस्तावेज गोपनीय प्रकृति के हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हरीश साल्वे ने कहा कि वो ये दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को इस आश्वासन के बाद दे सकते हैं कि उन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाएगा।
जज लोया की मौत दिसंबर 2014 में हुई थी। मृत्यु के समय वो सोहराबुद्दीन मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे। इस मामले में अमित शाह भी एक अभियुक्त थे जिन्हें बाद में इससे बरी कर दिया गया। सरकारी दस्तावेज के अनुसार जज बीएच लोया की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। नवंबर 2017 में द कारवां पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में जज लोया की मौत पर सवाल उठाए गये। रिपोर्ट में जज की बहन और कुछ अन्य रिश्तेदारों ने मृत्यु की परिस्थिति को लेकर सवाल उठाए थे। हालांकि बाद में जज लोया का परिजनों और हाल ही में उनके बेटे ने मीडिया से कहा कि उन्हें इस मामले में किसी तरह शंका नहीं है।