नजरअंदाज किए गए थे जस्टिस चेलमेश्वर, 'कुछ मिनटों' के कारण नहीं बन पाए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया

By खबरीलाल जनार्दन | Published: January 13, 2018 08:37 PM2018-01-13T20:37:23+5:302018-01-13T20:38:27+5:30

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का पद सुप्रीम कोर्ट के जजों में वरिष्ठता के आधार पर मिलता है।

How Justice Chelameswar loses the chance to become cji | नजरअंदाज किए गए थे जस्टिस चेलमेश्वर, 'कुछ मिनटों' के कारण नहीं बन पाए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया

नजरअंदाज किए गए थे जस्टिस चेलमेश्वर, 'कुछ मिनटों' के कारण नहीं बन पाए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया

सुप्रीम कोर्ट चार दिग्गज जजों के मीडिया में आकर चीफ जस्ट‌िस ऑफ इंडिया और कोलेजियम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने के बाद जस्टिस चेलमेश्वर से जुड़ी कुछ तथ्यात्मक बातें सामने आई हैं। जस्टिस चेलमेश्वर का कार्यकाल बतौर सुप्रीम कोर्ट जज इसी साल 22 जून (22/06/2018) को समाप्त हो जाएगा। जबकि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा इस साल दो अक्टूबर (02/09/2018) को रिटायर होंगे। ऐसे में जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद दूसरे सबसे वरिष्ठ जज होने के बावजूद वह चीफ जस्टिस के पद से अछूते रहे जाएंगे। क्योंकि चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का पद सुप्रीम कोर्ट के जजों में वरिष्ठता के आधार पर मिलता है।

इसलिए कोर्ट में वरिष्ठता बेहद संवेदशील विषय होती है। दी टाइम्स ऑफ इंडिया ने जस्टिस चेलमेश्वर की वरिष्ठता से संबंधित कुछ जरूरी आंकड़े प्रकाशित किए हैं। इसके दो हिस्से हैं। एक से जाहिर होता है कि हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट भेजते वक्त जस्टिस चेलमेश्वर को कोलेजियम ने नजरअंदाज किया। दूसरा जस्टिस चेमलेश्वर की किस्मत ने कुछ मिनटों के ‌लिए उनका साथ नहीं दिया, जिसके चलते वह चीफ जस्टिस नहीं बन पाए।

कोलेजियम ने किया था जस्टिस चेमलेश्वर को नजरअंदाज

जस्टिस चेमलेश्वर 23 जून, 1997 आध्र प्रदेश के जज बने थे। जबकि जस्टिस दीपक मिश्रा 17 जनवरी, 1996 को ओडिशा हाईकोर्ट के जज और जस्टिस खेहर 8 फरवरी, 1999 को हाईकोर्ट के जस्टिस बने। यहां तक वरिष्ठता तय कर पाना मुश्किल था। लेकिन जस्टिस चेलमेश्वर 3 मई, 2007 को गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बन गए। दूसरी ओर जस्टिस खेहर दो साल से अधिक दिन बाद 29 नवंबर, 2009 को उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने। जस्टिस दीपक मिश्रा भी चीफ जस्टिस 23 दिसंबर, 2009 को बने। ऐसे में जस्टिस चेलमेश्वर इन दोनों ही जस्टिस से वरिष्ठ थे। लेकिन जब बारी आई सुप्रीम कोर्ट भेजने की तो कोलेजियम ने जस्‍टिस खेहर तरजीह दी और 13 सितंबर, 2011 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट भेज दिया गया।

P.S. इतिहास में ऐसा कई बार हुआ कि हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस हुए बगैर जज सुप्रीम कोर्ट जाते रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद वरिष्ठता के सिद्धांत के पालन को महत्व दिया जाता है।

जब कुछ मिनटों के चलते सीजीआई के रेस बाहर हो गए जस्टिस चेलमेश्वर

चेलमेश्वर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस ‌थे। उन्हें सुप्रीम कोर्ट भेजा जाना था। उनके सा‌थ करीब दो बाद हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस बने जस्टिस दीपक मिश्रा को भी सुप्रीम कोर्ट भेजा जाना था। जबकि पहले ही दो बाद चीफ जस्टिस बने जस्टिस खेहर को सुप्रीम कोर्ट भेजा जा चुका था। कोलेजियम ने जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस दीपक मिश्रा को एक ही दिन 10 अक्टूबर, 2011 को सुप्रीम कोर्ट भेजने की तारीख तय हुई।

यहां एक भाग्य का खेल हुआ। हमने पहले ही बताया कोर्ट में वरिष्ठता बेहद संवेदशील मुद्दा होती है, चाहे वह कुछ सालों का मामला हो या फिर कुछ मिनटों का। हुआ कुछ यूं कि 10 अक्टूबर, 2011 को बतौर सु्प्रीम कोर्ट जज शपथ के वक्त जस्टिस चेलमेश्वर पिछड़ गए। ज‌स्टिस दीपक मिश्रा ने पहले शपथ ले ली। इस वजह से वह कुछ मिनटों से जस्टिस दीपक मिश्रा से कनिष्‍ठ हो गए और सीजेआई बनने से रह गए।

Web Title: How Justice Chelameswar loses the chance to become cji

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