रायपुरः छत्तीसगढ़ में कथित रूप से फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर नग्न प्रदर्शन मामले में पुलिस ने 29 गिरफ्तारियां की है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि नग्न प्रदर्शनकारियों को उस समय गिरफ्तार किया गया जब वे राज्य विधानसभा की ओर जा रहे थे। विधानसभा का चार दिवसीय मानसून सत्र मंगलवार को शुरू हुआ।
एडिशनल SP (ग्रामीण) नीरज चंद्राकर ने कहा कि हमने 29 लोगों को गिरफ्तार किया है और न्यायलय के सामने पेश किया जहां से इनको न्यायीक रिमांड पर भेजा गया है। हमने इनके खिलाफ IPC की धारा 146, 147, 353, 332, 294 के तहत मामला दर्ज़ किया है। इन लोगों यह नग्न वीडियो आगे भी भेजी थी जो IT एक्ट का उल्लंघन है। हमने IT एक्ट की धारा 65 A एवं B के तहत भी मामला दर्ज किया है। वहीं भाजपा ने प्रदर्शनकारियों की रिहाई की भी मांग की है।
गौरतलब है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवक आज नग्न होकर विधानसभा की ओर रवाना हुए थे। उनके हाथों में तख्तियां थी और वह उन सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे जिन्होंने नौकरी पाने के लिए कथित फर्जी जाति प्रमाण पत्र का इस्तेमाल किया था।
इससे पहले प्रदर्शन कर रहे युवकों ने संवाददाताओं को बताया कि छत्तीसगढ़ में 267 लोग अनुसूचित जाति और जनजाति का प्रमाण पत्र बनाकर नौकरी कर रहे हैं। लेकिन प्रशासन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। युवकों ने कहा, ''उनकी गिरफ्तारी और उन पर कार्रवाई के लिए हम लोगों ने आमरण अनशन किया था लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर हम अब नग्न प्रदर्शन कर रहे हैं। हमारी मांग है कि फर्जी जाति प्रमाणपत्र धारकों की गिरफ्तारी हो और उनकी अर्जित संपत्ति उनसे ले ली जाए।''
उधर, भाजपा ने कहा है कि प्रदर्शनकारियों ने पहले ही प्रशासन को अपने आंदोलन के बारे में सूचित कर दिया था लेकिन इसके बावजूद शासन ने जरा भी संवेदना दिखाने की जरूरत नहीं समझी। यह युवक फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे अधिकार छीने जाने का विरोध कर रहे थे। लेकिन इनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया। मुख्य विपक्षी दल ने राज्यपाल से राज्य सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू करने और फर्जी जाति प्रमाण पत्र रखने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
भाषा इनपुट के साथ