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सरकारी नौकरी ढूंढ रही थी, बीजेडी से टिकट मिला और सबसे कम उम्र की महिला सांसद बन गई

By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: May 26, 2019 19:25 IST

चंदारानी ने कहा, ''अगर आप मुझसे ईमानदारी से पूछें तो यह मेरे लिए एक परी कथा जैसा है। मैं सरकारी नौकरी खोज रही थी लेकिन राजनीति में उतर गई। मुझसे चुनाव लड़ने के लिए कहा गया। यह अचरज भरा था। मैं नहीं जानती हूं कि यह कैसे हुआ। मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से भगवान की इच्छा है।''

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ठळक मुद्देओडिशा के क्योंझर से चुनाव जीतकर चंदारानी मुरमू बनीं सबसे कम उम्र की महिला सांसदचंदा रानी ने कहा कि यह जीत उनके लिए किसी परी कथा से कम नहीं, सरकारी नौकरी खोज रही थी, सांसद बन गई

लोकसभा चुनाव में ओडिशा की पुरी सीट पर देश भर की निगाहें थीं, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा यहां उम्मीदवारी कर रहे थे और वह हार गए। वहीं, अब जनता का ध्यान एकदम से बीजू जनता दल की नव-निर्वाचित सांसद चंदा रानी मुर्मू उर्फ चंदू ने खींच लिया है। वजह है, उड़ीसा के क्योंझर सीट से बीजेडी के टिकट पर इस बार का लोकसभा चुनाव जीतकर चंदा रानी मुर्मू उर्फ चंदू देश की सबसे कम उम्र की महिला सांसद बन गई हैं।

चंदा रानी की उम्र महज 25 वर्ष है। हालांकि, वह अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट से चुनाव जीती हैं, लेकिन उनकी जीत ऐतिहासिक इसलिए भी है, क्योंकि उन्होंने दो बार के सांसद भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर कहे जाने वाले उम्मीदवार अनंत नायक को हराया है। चंदा रानी ने अनंत नायक को 67,822 मतों से हराकर इतिहास रचा है। 

चुनाव जीतने के बाद चंदा रानी मीडिया से बात करते हुए अपने जज्बात भी जाहिर किए। चंदा रानी ने कहा, ''अगर आप मुझसे ईमानदारी से पूछें तो यह मेरे लिए एक परी कथा जैसा है। मैं सरकारी नौकरी खोज रही थी लेकिन राजनीति में उतर गई। मुझसे चुनाव लड़ने के लिए कहा गया। यह अचरज भरा था। मैं नहीं जानती हूं कि यह कैसे हुआ। मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से भगवान की इच्छा है।''

चंदा रानी ने बताया कि खनिज समृद्ध निर्वाचन क्षेत्र में लोगों के उत्थान के उद्देश्य से अगले पांच वर्षों तक काम करना उनका लक्ष्य है। 

चंदा रानी को टिकट मिलने के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। 2017 में उन्होंने भुवनेश्वर की शिक्षा ओ अनुसंधान यूनिवर्सिटी से बीटेक किया और अपने घरवालों की सहायता करने के लिए सरकारी नौकरी खोज रही थीं। 

मार्च में मुरमू के चाचा हरमोहन सोरेन, जोकि एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी हैं और वर्तमान में क्योंझर में समाज सेवा के कार्यों में लगे हैं, उन्होंने यूं ही चंदारानी से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पूछ लिया। चंदू हंसी और इस सलाह को गंभीरता से नहीं लिया। 

हालांकि, हरमोहन इस बारे में गंभीर थे और चंदा रानी पर बीजेडी के टिकट पर लड़ने का जोर डाला। इसके पीछे कारण यह भी रहा कि चंदा रानी भाषण देने का बेहतरीन कौशल रखती हैं और उनकी पढ़ी-लिखी होने के कारण अपने गांव में सभी के आंखों की दुलारी हैं। सीट के अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित होने के कारण हरमोहन ने सोचा कि चंदारानी को बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ उतारने का यह सही मौका होगा।

हरमोहन ने कैसे भी करके चंदा रानी की उम्मीदवारी के लिए सीएम नवीन पटनायक तक बात पहुंचाई। नवीन पटनायक ने चंदा रानी को एक अप्रैल को मिलने के लिए बुलाया और उसके बाद जो हुआ वह इतिहास है।

टॅग्स :लोकसभा चुनावओडिशा लोकसभा चुनाव 2019नवीन पटनायकबीजू जनता दल (बीजेडी)
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