लॉकडाउन में घर लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए केंद्र सरकार ने बड़ी योजना तैयार की है और इसके लिए 6 राज्यों के 116 जिलों की पहचान भी की जा चुकी है, जहां सबसे ज्यादा श्रमिक लौटे हैं।
केंद्र सरकार ने घर लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए तैयार की बड़ी योजना, इन 6 राज्यों के 116 जिलों की कर चुकी है पहचान
ठळक मुद्देसरकार का लक्ष्य है कि घर लौटे श्रमिकों के लिए आजीविका, रोजगार और गरीब कल्याण सुविधाएं मिल सके।इसके लिए पीएमओ में सभी मंत्रालयों से दो हफ्ते में प्रस्ताव मांगे हैं।सरकार ने शहरों से 116 जिलों में लौटे मजदूरों का डेटा तैयार कर लिया है।
लॉकडाउन के दौरान शहरों से अपने गांवों की ओर पलायन करने वाले प्रवासी मजदूरों के लिए केंद्र सरकार बड़ी योजना बना रही है, ताकि मजदूरों को काम मुहैया कराया जा सके। इसके लिए पीएमओ में सभी मंत्रालयों से दो हफ्ते में प्रस्ताव मांगे हैं।
प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार का लक्ष्य है कि घर लौटे श्रमिकों के लिए आजीविका, रोजगार और गरीब कल्याण सुविधाओं का लाभ सुनिश्चित किया जा सके। इसके लिए सरकार की सामाजिक कल्याण और डायरेक्ट बेनिफिट स्कीमों को तेजी से चलाया जाएगा।
इन 6 राज्यों के 116 जिलों की सरकार ने की है पहचान
केंद्र सरकार ने देशभर के 116 जिलों की पहचान की है, जहां पलायन के बाद सबसे अधिक मजदूर पहुंचे हैं। इसमें बिहार के 32, उत्तर प्रदेश के 31, मध्यप्रदेश के 24, राजस्थान के 22 जिले, झारखंड के 3 और ओडिशा के 4 जिले शामिल हैं।
मजदूरों के लिए इन योजनाओं पर काम कर रही सरकार
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया है किसरकार द्वारा चिन्हित 116 जिलों में मजदूरों के लिए मनरेगा, जनधन योजना, किसान कल्याण योजना, खाद्य सुरक्षा योजना, पीएम आवास योजना, कौशल विकास समेत अन्य केंद्रीय योजनाओं के तहत काम होगा। इसके अलावा इन जिलों पर आत्मनिर्भर भारत अभियान और अन्य केंद्रीय योजनाओं को लागू किया जाएगा।
सरकार ने तैयार कर लिया है मजदूरों का डेटा
रिपोर्ट में बताया जा रहा है सरकार ने शहरों से इन सभी जिलों में लौटे मजदूरों का डेटा तैयार कर लिया है। इसमें उत्तर प्रदेश का सिद्धार्थनगर और बिहार का पूर्वी चंपारण ऐसा जिला है, जहां सबसे अधिक मजदूर वापस आए हैं और इनकी संख्या डेढ़ लाख से भी ज्यादा है।
कई राज्यों के उद्योग प्रवासी मजदूरों पर निर्भर हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर)इन राज्यों को होगा बड़े पैमाने पर नुकसान
हालांकि इसका असर कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों पर पड़ेगा, जो अपने उद्योगों के लिए और व्यापक गतिविधियों को चलाने के लिए प्रवासी मजदूरों पर बड़े पैमाने पर निर्भर करते हैं। लॉकडाउन के दौरान कर्नाटक ने राज्य में निर्माण कार्य फिर से शुरू करने का हवाला देते हुए प्रवासी स्पेशल ट्रेनों को रद्द कर दिया था, लेकिन फैसले के खिलाफ नाराजगी और व्यापक आक्रोश के बाद कर्नाटक सरकार को फैसला बदलना पड़ा।