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Exclusive: CBI VS CBI में आया नया मोड़, आलोक वर्मा ने किया था RAW के गोपनीय अभियान का खुलासा

By हरीश गुप्ता | Updated: October 29, 2018 14:33 IST

आलोक वर्मा ने अस्थाना मामले में रॉ के नंबर-2 सुमंत कुमार गोयल का नाम सार्वजनिक कर दिया। रॉ के मौजूदा प्रमुख अनिल धसमाना के दिसंबर में सेवानिवृत्त होने के बाद सुमंत इस एजेंसी के प्रमुख बनने की दौड़ में शामिल हैं। 

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देश की प्रमुख विदेशी खुफिया एजेंसी रॉ के साथ टकराव ने पिछले मंगलवार के शुरुआती घंटों में सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की किस्मत लिख दी। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि आलोक वर्मा के दुबई में रॉ के गोपनीय अभियान का खुलासा करने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आक्रोशित थे।

वर्मा ने अस्थाना मामले में रॉ के नंबर-2 सुमंत कुमार गोयल का नाम सार्वजनिक कर दिया। रॉ के मौजूदा प्रमुख अनिल धसमाना के दिसंबर में सेवानिवृत्त होने के बाद सुमंत इस एजेंसी के प्रमुख बनने की दौड़ में शामिल हैं। 

वर्मा के इस कदम से आक्रोशित रॉ प्रमुख धसमाना 21 अक्तूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास पहुंचे। उन्होंने पीएम मोदी से कहा, ''सर, यह बेहतर है हम रॉ को बंद कर दें। दुबई में हमारे सभी ऑपरेशन को हमारी ही एजेंसी ने उजागर कर दिया है।हमारे लोग खतरे में हैं। हम कैसे परिणाम दे सकते हैं।'' धसमाना ने प्रधानमंत्री को बताया कि सुमंत कुमार गोयल एक समय में दुबई में रॉ के प्रमुख थे। उन्होंने यह भी बताया कि महेश प्रसाद और सोमेश प्रसाद रॉ के पूर्व निदेशक आर आर प्रसाद के पुत्र हैं। 

सोमेश एक समय दुबई में रॉ के ऑपरेशन के प्रमुख थे। महेश प्रसाद निवेश बैंकर हैं जबकि सोमेश प्रसाद अपनी कंपनी चलाते हैं। दोनों भाई आवश्यकता पड़ने पर रॉ को महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। वे सुमंत कुमार के संपर्क में थे। 

समस्या तब शुरू हुई जब अस्थाना ने हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू साना का बयान दर्ज किया जिसमें आरोप लगाया गया कि मोईन कुरैशी मामले को कमजोर करने के लिए आलोक वर्मा को 2 करोड़ रुपए की रिश्वत दी गई। 

उन्होंने वर्मा के खिलाफ केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को शिकायत भेजी। इसी बीच साना ने इस मामले में यू-टर्न लेकर मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान दिया कि उन्होंने मोईन कुरैशी मामले में राहत पाने के लिए अस्थाना के मध्यस्थ मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद को 2.95 करोड़ रुपए की रिश्वत दी।

 सुमंत का नाम आने से सरकार का शीर्ष हलका सकते में आ गया। उसके बाद सरकार ने सीबीआई से वर्मा को छुटकारा दिलाने का निर्णय ले लिया। सरकार ने की लड़ाई को सुलझाने की कोशिश सरकार सीबीआई रिश्वतकांड में कोई कार्रवाई करने से बचती रही। 

यहां तक कि उसने अंतिम चरण तक बातचीत के जरिये लड़ाई को सुलझाने की कोशिश की। उसी दौरान वर्मा ने सुमंत कुमार गोयल का नाम एफआईआर में दर्ज करते हुए कहा कि महेश प्रसाद के हवाला लिंक के साथ रॉ के कुछ अधिकारियों से संबंधों की जांच की जा रही है।

 हालांकि वर्मा ने प्राथमिकी में गोयल का नाम दिया, लेकिन आरोपी के रूप में नहीं। अस्थाना के साथ खुले युद्ध की घोषणा करने और यहां तक कि उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सरकार पिछले कई महीनों से वर्मा से परेशान थी। वहीं, रॉ के नंबर-2 का नाम लेने के साथ ही उनकी किस्मत बंद हो गई।

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