सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा ने बुधवार को छुट्टी पर भेजे जाने के 77 दिन बाद अपना कार्यभार संभाला है। हालांकि अभी उन्हें कोई भी नीतिगत फैसला लेने से रोक दिया गया है।सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा मामले में फैसला लेने के लिए एक सीकरी सेलेक्शन कमेटी का गठन किया है।इस कमेटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के अलावा जस्टिस एके सीकरी शामिल होंगे।मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आलोक कुमार वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद पर बहाल कर था। न्यायालय ने वर्मा को सीबीआई निदेशक की शक्तियों से वंचित कर अवकाश पर भेजने का केंद्र सरकार का आदेश रद्द कर दिया।
हालांकि, न्यायालय ने वर्मा के पर कतरते हुए साफ कर दिया कि बहाली के उपरांत सीबीआई प्रमुख का चयन करने वाली उच्चाधिकार समिति के उनकी शक्तियां छीनने के मुद्दे पर विचार करने तक वह कोई भी बड़ा नीतिगत फैसला करने से परहेज करेंगे। वर्मा का सीबीआई निदेशक के तौर पर दो वर्ष का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो रहा है।
न्यायालय ने कहा था कि कानून में अंतरिम निलंबन या सीबीआई निदेशक को हटाने के संबंध में कोई प्रावधान नहीं है। शीर्ष अदालत ने साफ कर दिया कि इस तरह का कोई भी फैसला चयन सहमति की सहमति लेने के बाद ही किया जा सकता है।
क्या है सीबीआई घूस विवाद मामाला
सीबीआई ने स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर बीफ़ कारोबारी मोईन क़ुरैशी समेत कई अन्य गंभीर मामलों के आरोपियों से घूस लेने का केस दर्ज किया है। इसके बाद राकेश ने सीबीआई के नंबर एक अधिकारी आलोक वर्मा पर भी घूस का आरोप लगाया। इस पूरे मामले में सीबीआई ने अपने चीफ( आलोक वर्मा) का पक्ष को लेकर जांच शुरू की।
छुट्टी पर भेजे गए टॉप अधिकारी( आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना)
मामले में बुधवार सुबह दोनों टॉप अधिकारी( आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना) को छुट्टी पर भेज दिया गया था। केन्द्र सरकार ने इसके लिए तर्क दिया था कि ये दोनों अधिकारी अपने ही ऊपर लगे केस की जांच नहीं कर सकते हैं। इसके बाद सीबीआई के नंबर एक अधिकारी के रूप में नागेश्वर राव को नया अंतरिम निदेशक बनाया था।