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Budget 2020: साल 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार इनकम टैक्स में कर चुकी है कई बदलाव, यहां पढ़ें पिछले 6 बजट का पूरा ब्यौरा

By स्वाति सिंह | Updated: February 1, 2020 11:02 IST

साल 2014 में मोदी सरकार के पहली बार आने के बाद से लगातार बहुत सी परम्पराओं में बदलाव देखने को मिल रहा है. सबसे पहला तो यही है कि फरवरी की पहली तारीख को बजट पेश करना। वहीं, अब ब्रीफकेस की जगह लाल कपड़े 'बही-खाता' में लाना। 

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ठळक मुद्देनिर्मला सीतारमण संसद में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी।यहां पढ़ें मोदी सरकार के कार्यकाल में इनकम टैक्स के मोर्चे पर अब तक क्या हुए बदलाव

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज सुबह 11 बजे संसद में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश करेंगी। इससे पहले वित्त मंत्री ने 31 जनवरी को आर्थिक समीक्षा पेश किया। ऐसे में मिडिल क्लास और नौकरी पेशा के लोगों को  मोदी सरकार के बजट 2020 से बेहद उम्मीदें हैं। मालूम हो कि साल 2014 में मोदी सरकार के पहली बार आने के बाद से लगातार बहुत सी परम्पराओं में बदलाव देखने को मिल रहा है. सबसे पहला तो यही है कि फरवरी की पहली तारीख को बजट पेश करना। वहीं, अब ब्रीफकेस की जगह लाल कपड़े 'बही-खाता' में लाना। 

यहां पढ़ें मोदी सरकार के कार्यकाल में इनकम टैक्स के मोर्चे पर अब तक क्या हुए बदलाव-

बजट 2014 : आयकर में बढ़ाई गई छूट 

लोकसभा चुनाव 2014 में भारी मतों से जात के बाद मोदी सरकार में पहला बजट तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया। उस दौरान जेटली ने इनकम टैक्स में छूट की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख कर दी। जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख कर दी। साथ ही, 80सी के तहत मिलने वाली छूट की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख वहीं होम लोन के लिए यह सीमा 1.5 लाख से 2 लाख कर दी गई। 

बजट 2015:  दूसरे बजट में भी हुए टैक्स स्लैब में बदलाव, NPS में भी छूट 

मोदी सरकार के दूसरे बजट में भी टैक्स स्लैब में बदलाव किए गए। टैक्स छूट के लिए हेल्थ इंसोरेंस की लिमिट 5,000 से 25,000 रुपये, सिनियर सिटीजन के लिए 20,000 से बढ़ाकर 30,000 की गई। साथ ही, 2015 के बजट में  ट्रांसपोर्ट भत्ता छूट में भी राहत दी गई। इस दौरान 800 रुपये से बढ़ाकर 1,600 रुपये मासिक कर दी गई। इसके अलावा बजट में मोदी सरकार ने 80 CCD के अंतर्गत एनपीएस (NPS) में इन्वेस्ट करने पर 50,000 रुपये की अतिरिक्त छूट की भी घोषणा की। एक करोड़ से ऊपर इनकम वाले लोगों पर सरचार्ज 10 फीसद से बढ़ाकर 12 फीसद कर दिया गया।

बजट 2016: मकान किराए पर टैक्स छूट में हुई बढ़ोतरी 

वहीं बात करें मोदी सरकार के तीसरे बजट की तो इसमें भी वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 87A के तहत मिलने वाले टैक्स रीबेट को 2,000 से बढ़ाकर 5,000 रुपये करने की घोषणा की।  हालांकि, ये केवल उन लोगों के लिए था जिनकी सलाना कमाई 5 लाख से अधिक थी। साथ ही, 80GG के अंतर्गत मिलने वाले मकान किराए पर टैक्स छूट को 24,000 से बढ़ाकर 60,000 रुपये सलाना कर दिया। तीसरे बजट में भी सरचार्ज में बदलाव करते हुए जेटली ने इसे 12% से 15% कर दिया गया। 

बजट 2017: इनकम टैक्स में किए बदलाव 

बजट 2017 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने निजी करदाताओं को बड़ी छूट दी।  2.5 लाख - 5 लाख वाले स्लैब में टैक्स की दर 10% से घटाकर 5% कर दी गई। वहीं, तीन से साढ़े तीन लाख रुपये इनकम वालों वालों को बस 2500 रुपये बतौर टैक्स देने की घोषणा की। इस फैसले की वजह से 5 लाख या उससे ज्यादा इनकम वालों को टैक्स में अधिकतम 12,500 रुपये के आसपास की छूट मिली। वित्तमंत्री ने 87A के तहत मिलने वाले टैक्स में छूट की सीमा 2,500 रुपये से बढ़ाकर 5,000 कर दी।  टैक्स छूट देने से होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए 50 लाख से 1 करोड़ के बीच सालाना कमाने वाले को 10 पर्सेंट सरचार्ज बढ़ाया। वहीं, 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वालों पर 15 पर्सेंट का अधिभार जारी रखा।

बजट 2018: टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं, पर कई तरह के मिले छूट 

मोदी सरकार के पांचवें बजट आयकर सीमा में कोई बदलाव नहीं हुए। वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए 40 हज़ार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन यानी जितना वेतन है उसमें से 40 हज़ार रुपये घटाकर जो रकम बचेगी उस पर टैक्स का ऐलान किया। इससे टैक्स पेयर्स को 5,800 रुपये का लाभ हुआ। वहीं, इस बजट में सीनियर सिटिजन के लिए मेडिकल खर्च की सीमा 30,000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये कर दी गई।

बजट 2019: 5 लाख की आय को किया टैक्स फ्री 

चुनावी साल में मोदी सरकार ने बजट भाषण में मध्यम वर्ग को पूरी तरह से खुश करते हुए पांच लाख की आय को करमुक्त कर दिया गया। वहीं, स्टैण्डर्ड डिडक्शन 40 हजार से बढ़कर 50 हजार रुपये किया। साथ ही, फिक्सड डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज को 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 40 हजार रुपये किया गया।  सरकार की इस घोषणा से 3 करोड़ से अधिक आयकरदाताओं को फायदा मिला। मानक कटौती में 10,000 रुपये की वृद्धि के परिणामस्वरूप 30% कर ब्रैकेट (अधिभार और उपकर को छोड़कर) में व्यक्तियों के लिए रु. 3,000 की कर बचत हुई। वहीं सरकार ने मध्यम वर्ग को एक और बड़ी राहत देते हुए ग्रैच्युटी की सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर के 20 लाख रुपये करने और सैलरी पाने वाले पीएफ अंशधारकों को 6 लाख रुपये सालाना का बीमा देने का ऐलान किया।

इसके बाद मोदी सरकार के दूसरी बार सत्ता में आने पर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्ण बजट पेश किया जिसमें कर ढांचे में कोई बदलाव नहीं किया गया। 

 

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