वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को पेश मोदी-2 सरकार का पहला बजट विगत वित्तमंत्री अरूण जेटली की पांच साल की विरासत को आगे बढ़ाने वाला और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छाप वाला है. अगर जेटली ने कम मुद्रास्फीति और वैश्विक स्तर पर तेल के दामों में राहत का फायदा उठाकर राजस्व बढ़ाया, तो सीतारमण ने भी उसी के साथ कदमताल की है.
चुनाव के बाद का पहला ही वर्ष होने के कारण बजट के लोकप्रिय होने की संभावना वैसे भी नहीं थी. वैश्विक मंदी और अनिश्चितताओं को देखते हुए मोदी सरकार ने काफी संभलकर कदम रखे हैं. सीतारमण ने पेट्रोल और डीजल पर प्रति लीटर एक रु. की अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी और एक रु. का अतिरिक्त सड़क व इंफ्रास्ट्रक्चर अधिभार लगाया है.
इससे एक साल में 12000 करोड़ की अतिरिक्त कमाई की संभावना है. मुद्रास्फीति की दर 4 फीसदी से कम है और वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतों में भी गिरावट देखने को मिल रही है, सो सरकार ने इस स्थिति का लाभ लेने की कोशिश की है. पूर्व वित्तमंत्री अरूण जेटली इसी रास्ते को अपनाते रहे हैं. बीते वित्त वर्ष में सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों से 2.57 लाख करोड़ की कमाई की थी.
यह कमाई 2013-14 के सकल राजस्व संकलन 88,600 करोड़ से बहुत ज्यादा था. अमीरों पर नजर वित्तमंत्री सीतारमण ने जेटली द्वारा प्रस्तुत 'सुपर रिच' पर टैक्स की सोच को बरकरार रखा. 2-5 करोड़ रु. की सालाना कर योग्य आय और पांच करोड़ रु. से ज्यादा कर योग्य आय वाले अमीरों पर अतिरिक्त सरचार्ज लगाया है.
इससे उनकी प्रभावी कर दर क्रमश: तीन और सात फीसदी से बढ़ जाएगी. जेटली ने एक करोड़ रु. से ज्यादा कमाई वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया था. बाकी आयकरदाताओं के टैक्स स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है. उल्लेखनीय है कि वित्तमंत्री बजट से संबंधित मसलों पर मार्गदर्शन हासिल करने के लिए पिछले एक महीने में जेटली से चार मर्तबा मिली थीं.
मोदी की छाप गांव, गरीब, ग्रीन को लाभ पहुंचाने की कोशिशों के कारण इस बजट पर प्रधानमंत्री मोदी की छाप मानी जा रही है. ग्रामीण आवास, शहरी गरीब, स्वच्छ पर्यावरण (ग्रीन) के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के जरिये नई प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहन, हाईटेक लिथियम बैटरी पर जोर के अलावा उड्डयन क्षेत्र सहित कई क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को प्रोत्साहन दिया गया है.
इस बात ने चौंकाया घरेलू स्तर पर निवेश को बढ़ावे की बजाय सरकारी निवेश के लिए विदेशी स्रोतों को प्रोत्साहन का फैसला चौंकाने वाला रहा. निश्चित तौर पर जापान, यूएई व अन्य देशों से लिया जाने वाला निवेश सस्ता पड़ता है और भारत के पास विदेशी मुद्रा का बड़ा भंडार मौजूद है.
कहीं निराशा, कहीं आशा म्युचुअल फंड को कोई प्रोत्साहन नहीं दिए जाने के कारण बाजार में निराशा हो सकती है. लेकिन एनबीएफसी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को जोरदार प्रोत्साहन दिया गया है और 400 करोड़ से ज्यादा के टर्नओवर वाली कंपनियों पर कार्पोरेट टैक्स 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी कर दिया गया है. फिलहाल यह राहत 250 करोड़ तक के टर्नओवर वाली कंपनियों को हासिल थी.