कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने मंगलवार को एक बड़ा ऐलान किया है और उन्होंने कहा है कि उनकी सरकार टीपू सुल्तान की जयंती नहीं मनाने जा रही है। इसके लिए कन्नड़ व संस्कृति विभाग को सूचिक कर दिया है। दरअसल, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) लंबे समय से टीपू जयंती को लेकर विरोध प्रदर्शन करती आई है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, येदियुरप्पा ने कन्नड़ व संस्कृति विभाग को आदेश दिया है कि उनकी सरकार टीपू जयंती नहीं मनाने वाली है। इस संबंध में सोमवार (29 जुलाई) को बुलाई गई कैबिनेट बैठक में फैसला लिया गया है।
बताया जाता है कि बीजेपी टीपू सुल्तान को कट्टर मुस्लिम शासक बताती रही है। यही वजह है कि वो उनकी जयंती का शुरुआत से विरोध करती आई है। पार्टी का मानना टीपू ने हिन्दुओं के मंदिर तोड़ने का काम किया है। साथ ही साथ उनका धर्मांतरण करवाने का प्रयास किया था।
टीपू ने 18 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों के विरुद्ध पहला युद्ध जीता था। उन्हें सुल्तान का 'शेर-ए-मैसूर' कहा जाता हैं, क्योंकि उन्होनें 15 साल की उम्र से अपने पिता के साथ जंग में हिस्सा लेने की शुरुआत कर दी थी। उनकी तलवार पर रत्नजड़ित बाघ बना हुआ था। बताया जाता हैं कि टीपू की मौत के बाद ये तलवार उसके शव के पास पड़ी मिली थी, जिसकी आज के समय में 21 करोड़ रुपए कीमत है। उस तलवार को अंग्रेज अपने साथ ब्रिटेन ले गए थे, जिसे 21 करोड़ रुपए में नीलाम किया गया है। यह नीलामी अप्रैल 2010 में लंदन की नीलामी संस्था सोदेबीजज ने नीलाम किया था। इसे उद्योगपति विजय माल्या ने खरीदा।
टीपू सुल्तान अंग्रेजों से मुकाबला करते हुए 4 मई, 1799 को मौत हो गई थी। वहीं, उनके चरित्र के सम्बंध में विद्वानों ने काफी मतभेद है। कई अंग्रेज विद्वानों ने उसकी आलोचना करते हुए उसे अत्याचारी और धर्मान्त बताया है। जबकि भारतीय इतिहासकारों ने उन्हें काफी चतुर, होशियार और तेज-तर्रार लिखा है, जिनकी नजर में सारे धर्म बराबर थे।