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बॉम्बे HC ने रेणुका शिंदे और सीमा गावित की मौत की सजा को उम्रकैद में बदला, 9 बच्चों की हत्या के लिए हैं दोषी

By अनिल शर्मा | Updated: January 18, 2022 14:35 IST

बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिसंबर में ही अपने फैसले को कम करने की बात कही थी। 1990 और 1996 के बीच दोनों बहने कुछ बच्चों को पर्स और चेन छीनने के काम में लगा रखा था। राज्य सरकार ने बहनों को मौत की सजा देने का समर्थन किया था।

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ठळक मुद्देबॉम्बे हाईकोर्ट ने दिसंबर में ही अपने फैसले को कम करने की बात कही थीदोनों बहनों ने 1990-96 के बीच 13 बच्चों का अपहरण किया था जिसमें से 9 को मार डाला था

मुंबईः बॉम्बे हाईकोर्ट ने कोल्हापुर की रेणुका शिंदे और सीमा गावित की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। गौरतलब है कि दोनों बहनों ने 1990-96 के बीच 13 बच्चों का अपहरण किया था जिसमें से 9 को मार डाला था। अदालत ने उनकी दया याचिकाओं पर फैसला करने में देरी के आधार पर उनकी सजा को कम कर दिया।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिसंबर में ही अपने फैसले को कम करने की बात कही थी। 1990 और 1996 के बीच दोनों बहने कुछ बच्चों को पर्स और चेन छीनने के काम में लगा रखा था। राज्य सरकार ने बहनों को मौत की सजा देने का समर्थन किया था। दिसंबर में न्यायमूर्ति नितिन एम जामदार और न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की एक खंडपीठ बहनों की समीक्षा याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनकी मौत की सजा को कम करने की मांग की गई थी। उस वक्त कोर्ट ने कहा था कि दया याचिका पर फैसला करने और उनकी मौत की सजा को अमल में लाने में आठ साल की "अत्यधिक देरी" हुई है।

दोनों बहनों को नवंबर 1996 में गिरफ्तार किया गया था। जबकि उनकी मां अंजना, जो एक सह-आरोपी भी थीं, की वर्ष 1998 में बीमारी से मृत्यु हो गई थी। बहनों को जून 2001 में सत्र अदालत ने दोषी ठहराया था और सितंबर 2004 में एचसी ने उनकी सजा को बरकरार रखा था। 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने पांच हत्याओं के लिए उनकी मौत की सजा की पुष्टि की। अगस्त 2014 में भारत के राष्ट्रपति ने उनकी दया याचिका को खारिज कर दिया, जिसके बाद बहनों ने राष्ट्रपति के फैसले की न्यायिक समीक्षा की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया और सजा में कमी की मांग की।

अधिवक्ता अनिकेत वागल के माध्यम से बहनों द्वारा दायर याचिका में कहा गया था,  दया याचिका पर निर्णय लेने में लगभग 8 साल की देरी "अनुचित, क्रूर, अत्यधिक और मनमाना" थी और इससे उन्हें "बेहद मानसिक यातना, भावनात्मक और शारीरिक पीड़ा" हुई थी। और उनकी मौत की सजा को कम करके उम्रकैद कर दिया जाए।

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