दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी की अगुवाई में चल रही भारत जोड़ो यात्रा में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर और जानेमाने अर्थशास्त्री रघुराम राजन के शामिल पर भारी तंज किया और आरोप लगाया कि खुद को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरह अर्थशास्त्री समझने वाले रघुराम राजन शुरू से कांग्रेस समर्थक रहे हैं और उनकी नियुक्ति भी कांग्रेस काल में हुई थी, इस कारण उनका झुकाव कांग्रेस की तरफ स्वाभाविक है।
भाजपा के इस तंज पर अब कांग्रेस की ओर भी पलटवार आ गया है और कांग्रेस की ओर से हमले की अगुवाई करते हुए यूवा कांग्रेस के प्रमुख बीवी श्रीनिवास ने व्यंग्य करते हुए भाजपा नेताओं की तुलना नागपुरी संतरे से की है। श्रीनिवास ने ट्वीट करते हुए कहा, "आज सुबह रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन को भारत जोड़ो यात्रा में चलते हुए देखकर कुछ नागपुरी संतरे निचुड़ गए हैं। गेट वेल सून।"
दरअसल आज बुधवार की सुबह जैसे ही खबर मिली कि भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने राजस्थान में राहुल गांधी के साथ 'भारत जोड़ो यात्रा' में शामिल होकर उनके अभियान को अपना समर्थन दिया है। केंद्र में सत्ताधारी भाजपा के नेता राजन पर हमलावर हो गये और पार्टी की ओर से आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने निशाना साधते हुए कहा कि राजन खुद को अगला मनमोहन सिंह मानते हैं।
उन्होंने ट्वीट करके कहा, "कांग्रेस द्वारा नियुक्त किये गये रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होना कोई अप्रत्याशित बात नहीं है। वो स्वयं को अगला मनमोहन सिंह समझते हैं। उनके द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था पर की जा रही कमेंट्री को तिरस्कार के साथ खारिज कर दिया जाना चाहिए। वो रंगीन और अवसरवादी है।"
मालूम हो कि मोदी सरकार के साथ आर्थिक नीतियों को लेकर मतभेद के कारण पूर्व गवर्नर रघुराम राजन पहले कार्यकाल की समाप्ति के बाद दूसरे कार्यकाल के प्रति अपनी अनिच्छा जताते हुए उसे अस्वीकार कर दिया था और एकेडमिक्स में वापस लौट गये थे। राजन का कार्यकाल 4 सितंबर 2016 को पूरा हुआ था। वो साल 2013 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के आग्रह पर अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी के बूथ बिजनेस स्कूल से अवकाश लेकर रिजर्व बैंक के गवर्नर का पद आये थे।
राजन द्वारा दूसरे कार्यकाल को ग्रहण करने से मना करने के पीछे जो मुख्य वजहें सामने आयी थी, उनमें केंद्र की ओर से रिजर्व बैंक पर दबाव डालने और और बैंक की स्वायत्तता को प्रभावित करने की बात कही जाती है। वहीं राजन के बाद गवर्नर पद संभालने वाले उर्जित पटेल ने भी कार्यकाल पूरा होने से 9 महीने पहले इस्तीफा दे दिया। इन दोनों के अलावा मोदी सरकार से विभिन्न आर्थिक मसलों पर मतभेद के बाद किनारा करने वालों में नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया, मुख्य आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यम भी शामिल हैं।