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लालू परिवार दो धड़ों में बंटा?, संजय यादव और रमीज नेमत को लेकर सड़क पर परिवार, रोहिणी आचार्य के बाद तेज प्रताप यादव ने लिखा पोस्ट

By एस पी सिन्हा | Updated: November 18, 2025 15:54 IST

रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट लिखकर, संजय यादव और रमीज नेमत खान के कहने पर राजनीति छोड़ने और परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान किया है, और हार का सारा दोष अपने ऊपर ले लिया है।

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ठळक मुद्देतेजस्वी की ‘कोर टीम’ का अहम हिस्सा बताया है।बाहुबली पूर्व सांसद का दामाद भी है। खान की पृष्ठभूमि खंगालना शुरू कर दिया।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में राजद की हुई करारी हार के बाद लालू परिवार में कोहराम मच गया है। पारिवारिक विवाद अब एक गंभीर राजनीतिक मोड़ ले चुका है। पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य द्वारा परिवार और राजनीति से नाता तोड़ने के ऐलान के साथ जिस शख्स का नाम विवाद के केंद्र में आया है, वह है संजय यादव और रमीज नेमत।

रमीज पर न सिर्फ हत्या जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, बल्कि वह उत्तर प्रदेश के बाहुबली पूर्व सांसद का दामाद भी है। रोहिणी ने रमीज पर तेजस्वी यादव को गुमराह करने, संगठन में फूट डालने और पार्टी की हार का ठीकरा फोड़ते हुए, उसे तेजस्वी की ‘कोर टीम’ का अहम हिस्सा बताया है।

बता दें कि रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट लिखकर, संजय यादव और रमीज नेमत खान के कहने पर राजनीति छोड़ने और परिवार से नाता तोड़ने का ऐलान किया है, और हार का सारा दोष अपने ऊपर ले लिया है। इस बीच सूत्रों के मुताबिक, रोहिणी आचार्य के बयान के बाद यूपी पुलिस ने भी रमीज खान की पृष्ठभूमि खंगालना शुरू कर दिया।

कौशाम्बी में उनकी कथित आपराधिक हिस्ट्री की जांच फिर से सक्रिय की गई है। डीजीपी कार्यालय ने रविवार देर रात रमीज से संबंधित विस्तृत रिपोर्ट तलब की। बताया गया कि कौशाम्बी के कोखराज थाना क्षेत्र में उनके खिलाफ दो मामले दर्ज हैं। सूत्रों के अनुसार, पहला मामला हत्या से जुड़ा है।

आरोप है कि रमीज खान ने प्रतापगढ़ के जेठवारा निवासी प्रॉपर्टी डीलर शकील की 25 लाख रुपये के लेनदेन को लेकर हत्या की थी और शव रोही बाईपास के पास फेंक दिया था। फरार रहने के दौरान पुलिस ने उन पर एक और मुकदमा दर्ज किया और वर्ष 2023 में उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इसके साथ ही 4 जनवरी 2022 को पूर्व अध्यक्ष फिरोज पप्पू की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी।

पुलिस ने हत्या की साजिश रचने के आरोप में पूर्व सपा सांसद, उनके दामाद रमीज व बेटी जेबा रिजवान को आरोपी के तौर पर गिरफ्तार कर जेल भेजा था। रमीज नेमत पुत्र नियामतउल्लाह खां तुलसीपुर तहसील के भंगहाकला गांव का मूल निवासी है। इसकी शादी बलरामपुर के पूर्व सांसद रिजवान जहीर की बेटी जेबा रिजवान के साथ हुई थी।

रमीज नेमत तुलसीपुर के शीतलपुर स्थित पूर्व सांसद रिजवान जहीर के आवास पर ही रहा करता था। रमीज नेमत का आपराधिक इतिहास 2021 में शुरू हुआ, जब पंचायत चुनाव के दौरान दो गुटों में हुए भीषण संघर्ष में रमीज नेमत के खिलाफ हिंसा आगजनी और बलवा की रिपोर्ट दर्ज की गई। इसके ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत भी कार्यवाही की गई और गैंगस्टर भी लगाया गया।

रमीज नेमत बलरामपुर जेल में बंद था अप्रैल 2025 में जमानत पर जेल से छूट कर बाहर आया था। इसके अलावा रमीज पर आरोप है कि बिहार चुनाव के दौरान उन्होंने राजद नेताओं के साथ मिलकर सनातन धर्म के खिलाफ हेट कैंपेनिंग चलाई और कई राजनीतिक नेताओं पर अभद्र टिप्पणियां भी कीं। चुनाव समाप्त होने के बाद यूपी सरकार भी सक्रिय हुई और रमीज खान की पूरी कुंडली खंगालने का निर्देश दिया।

दावा किया जा रहा है कि बिहार चुनाव में भाजपा और सनातन धर्म के खिलाफ हेट कैंपेनिंग की रणनीति तैयार करने में रमीज की केंद्रीय भूमिका थी। कहा यह भी जा रहा है कि उन्होंने पश्चिमी यूपी के युवाओं की एक टीम बिहार भेजी थी। एएसपी राजेश कुमार ने पुष्टि की कि रमीज खान के खिलाफ डीजीपी कार्यालय ने रिपोर्ट मांगी थी। कोखराज थाना में दर्ज दोनों मामलों का ब्यौरा भेज दिया गया है।

रमीज का जन्म 1986 में हुआ था। मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने डीपीएस मथुरा रोड से 10वीं की पढ़ाई की और जामिया से एमबीए की डिग्री ली है। रमीज नेमत खान इसके अलावा तेजस्वी यादव के क्रिकेट के दिनों के दोस्त हैं। उन्होंने झारखंड की टीम की तरफ से फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 30 मैच खेले हैं और वह दाहिने हाथ के बल्लेबाज रहे हैं।

रमीज 2016 में राजद से जुड़े थे। पहले वह उपमुख्यमंत्री कार्यालय में बैकडोर का काम देखते थे। बाद में वह तेजस्वी यादव के दफ्तर से जुड़ गए। वर्तमान में वह तेजस्वी यादव के डेली रूटीन और कैंपेनिंग (चुनावी प्रचार) से जुड़े कार्यों को देखते हैं, ठीक वैसे ही जैसे संजय यादव उनकी टीम में हैं।

उल्लेखनीय है कि तेज प्रताप यादव पहले ही संजय यादव को 'जयचंद' कह चुके हैं। रमीज तेजस्वी की ‘इनर सर्किल’ का हिस्सा थे और उन्हें चुनाव प्रचार, बूथ मैनेजमेंट तथा डिजिटल मॉनिटरिंग जैसे महत्वपूर्ण कामों की कमान सौंपी गई थी। इस बार तो उन्हें तेजस्वी के चुनावी ‘वार रूम’ का प्रमुख बना दिया गया था।

गैंगस्टर एक्ट और हत्या जैसे गंभीर आरोपों सहित रमीज पर बलरामपुर और कौशाम्बी जिलों में कुल 12 मुकदमे दर्ज हैं। इतनी गंभीर पृष्ठभूमि के बावजूद उनका तेजस्वी की कोर टीम में होना, अब राजद नेतृत्व की विश्वसनीयता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है। इस पूरे घटनाक्रम से न सिर्फ बिहार बल्कि यूपी की सियासत में भी हलचल मची है।

रमीज के उभार ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राजद नेतृत्व, बाहरी तत्वों और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के प्रभाव में आकर रणनीतिक फैसले ले रहा था? अब तेजस्वी यादव पर इस बात का जवाब देने का भारी दबाव है कि इतनी गंभीर पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति को उनकी टीम में इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी क्यों दी गई थी।

इस बीच सोशल मीडिया पर रमीज और संजय की विदेशी यात्राओं और शाही ठाठ-बाट वाली लाइफस्टाइल की तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं, जो चर्चा का विषय बना हुआ है। संजय यादव और रमीज महंगे होटल, लग्जरी यॉट और विदेशी पब्स में दिखाई दे रहे हैं। तस्वीरों के सामने आते ही सवाल उठने लगे हैं कि इतनी विलासिता और महंगी यात्राओं जिनकी खर्च लाखों-करोड़ों में होती है।

इतना पैसा आखिर आता कहां से है? सूत्रों की मानें तो संजय यादव और रमीज अक्सर प्राइवेट जेट से यात्रा करते हैं। विदेशी बीचों पर छुट्टियां मनाते हैं और सात सितारा होटलों में ठहरते हैं। इतना ही नहीं, कई बार ये लोग प्राइवेट यॉट भी बुक करते हैं और अपने प्राइवेट कर्मचारी तक को विदेश यात्रा में साथ ले जाते हैं। जिसकी तस्वीरें अब सामने आई हैं।

एक राजद नेता के मुताबिक, संजय यादव ने ही रोहिणी आचार्या को विधानसभा टिकट वितरण से अलग रखा। रोहिणी के बारे में कहा जाता है कि वह अपनी पसंद के उम्मीदवारों को चुनाव लड़वाना चाहती थीं। सूत्रों के मुताबिक रोहिणी चाहती थीं कि उन्हें सारण में राजनीतिक स्पेस मिले, क्योंकि 2024 लोकसभा चुनाव में हार के बाद वे 2029 की तैयारी करना चाहती थीं।

राजद नेता का कहना है कि तेजस्वी यादव और संजय यादव ने इसे मंजूरी नहीं दी। संजय यादव ने साजिश से रोक दिया। जब रोहिणी ने परिवार में दखलअंदाजी, सीट चयन में भेदभाव और राजद में बाहरी लोगों के बढ़ते प्रभाव पर सवाल उठाए तो तेजस्वी यादव ने उन्हें घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया। रोहिणी ने तो कई गंभीर आरोप भी लगाया है। 

सूत्र बताते हैं कि लालू परिवार के भीतर विवाद की जड़ है संजय यादव का बढ़ता कद है। राज्यसभा सांसद और तेजस्वी के सबसे भरोसेमंद सलाहकार संजय हरियाणा मूल के हैं, लेकिन राजद की राजनीति में उनकी पैठ तेजस्वी के ‘खास रणनीतिकार-सलाहकार’ जैसी हो गई है। राजद के टिकट वितरण से लेकर बिहार अधिकार यात्रा तक हर फैसले में उनकी छाप दिखी।

बता दें कि बीते सितंबर की ही तो बात है जब रोहिणी आचार्य ने एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर संजय की यात्रा बस में आगे की सीट पर बैठने की तस्वीर पर सवाल उठाए थे। संजय को सांसद या विधायक बना सकते हो, लेकिन लालू प्रसाद यादव को कुर्सी पर नहीं बिठा सकते,” रोहिणी ने इन्हीं शब्दों के साथ तंज कसा था।

दरअसल, यह सीट आमतौर पर लालू या तेजस्वी के लिए रिजर्व रहती है। सूत्रों के अनुसार, रोहिणी ने पिछले महीने लालू और तेजस्वी दोनों को अनफॉलो कर दिया था। वे पहले भी संजय यादव की बढ़ती भूमिका पर सोशल मीडिया में असहमति जताती रही थीं। तेज प्रताप को राजद से निकाले जाने के बाद परिवार से मिल रहे समर्थन को लेकर भी तनाव था।

रोहिणी ने कहा कि संजय यादव और रमीज तेजस्वी के नाम पर परिवार को कंट्रोल कर रहे हैं। हार का ठीकरा मेरे सिर फोड़ना चाहते हैं। संजय यादव और रमीज नेमत ने इन आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन राजद सूत्रों का कहना है कि तेजस्वी यादव कैंप में नाराजगी है। बता दें कि सोमवार की शाम राजद नेताओं-कार्यकर्ताओं ने लालू-राबड़ी आवास के बाहर संजय यादव के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

जानकारों के अनुसार  विधानसभा चुनाव में राजद की हार ने आग में घी डाल दिया। 2020 में 75 सीटों वाली राजद इस बार महज 25 पर सिमट गई और एनडीए ने 202 सीटें जीत ली। हार के बाद तेजस्वी यादव ने इशारों में जिम्मेदारी ली, लेकिन रोहिणी का मानना है कि यह दिखावा है। “पूरी पार्टी पूछ रही है कि हार क्यों हुई? लेकिन संजय-रमीज जैसे लोग सवालों से बच रहे हैं।

राजद में अब संग्राम मचा है, लालू यादव की चुप्पी और राबड़ी देवी की खामोशी सवाल खड़ी कर रही है। तेज प्रताप यादव खुलकर रोहिणी आचार्य के समर्थन नजर आते हैं। ऐसे में सवाल यह कि क्या यह परिवार का पूरा विघटन है? क्या लालू परिवार दो धड़ों में बंटता दिखाई देगा? संजय यादव पर कार्रवाई का रोहिणी का दबाव काम कर जाएगा?

दूसरी ओर बिहार की सियासत में यह नया मोड़ एनडीए को फायदा पहुंचा सकता है। फिलहाल, लालू का ‘सोशलिस्ट परिवार’ टूटते धागों में लिपटा नजर आ रहा है। रोहिणी सिंगापुर लौट चुकी हैं, लेकिन उनका गुस्सा बिहार की राजनीति को लंबे समय तक झकझोरता रहेगा।

इस बीच पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने केंद्र सरकार और बिहार सरकार से आग्रह किया है कि अगर उनके माता-पिता लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के साथ किसी तरह का मानसिक उत्पीड़न हो रहा है, तो इसकी जांच कराई जाए। मंगलवार को तेज प्रताप ने रोहिणी आचार्या का खुलकर समर्थन करते हुए कहा कि पारिवारिक संकट के लिए “जयचंद” जिम्मेदार हैं।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बिहार सरकार से यह अपील भी की कि वे मामले की स्वतंत्र जांच कराएं। तेज प्रताप ने अपनी बहन रोहिणी को अपनी नई राजनीतिक पार्टी ‘जन शक्ति जनता दल’ का संरक्षक बनने का प्रस्ताव भी दिया। इसके साथ ही उन्होंने एनडीए सरकार को अपना नैतिक समर्थन देने की घोषणा कर राजनीतिक हलकों में नई चर्चा छेड़ दी है।

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