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Bihar Political Crisis: आठ वर्ष में दूसरी बार नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ा, तेजस्वी, वाम दल और कांग्रेस के साथ बनाएंगे सरकार

By एस पी सिन्हा | Updated: August 9, 2022 16:38 IST

Bihar Political Crisis: चिराग पासवान ने की बिहार मे राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग है। नीतीश कुमार पर लगाया जनादेश का दूसरी बार अपमान करने का आरोप है।

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ठळक मुद्देनीतीश कुमार ने कहा कि मैंने राजग के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।तेजस्वी यादव से बातचीत करने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के घर पहुंचे। राजग से नाता तोड़ने का फैसला जदयू ने लिया। घटनाक्रम पर इसकी जानकारी दी।

पटनाः बिहार में सियासी सरगर्मियां तेज होने के बीच प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आठ वर्ष में दूसरी बार अपने सहयोगी भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ लिया है। राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात के बाद इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना में राबड़ी देवी के आवास पर पहुंचे।

नीतीश कुमार ने कहा कि मैंने राजग के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। नीतीश कुमार राजद नेता तेजस्वी यादव से बातचीत करने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के घर पहुंचे। राजग से नाता तोड़ने का फैसला जद (यू) ने लिया। घटनाक्रम पर इसकी जानकारी दी।

वरिष्ठ नेता उपेन्द्र कुश्वाहा ने एक ट्वीट करके कुमार को ‘‘नए तरीके के नए गठगंधन’’ की अगुवाई करने के लिए बधाई दी है। इस ट्वीट से गंठबंधन टूटने और राजद नीत ‘महागठबंधन’ को अपनाने संबंधी बातों को बल मिला है। विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नीत महागठबंधन की बैठक पार्टी के नेता तेजस्वी यादव ने अपनी मां एवं पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के दस सर्कुलर रोड स्थित आवास पर बुलाई।

जिसमें वाम दल और कांग्रेस ने हिस्सा लिया। कहा जा रहा है कि यहां सभी विधायकों ने कुमार के समर्थन वाले एक पत्र पर हस्ताक्षर किए। कुमार वर्ष 2017 में राजद और कांग्रेस का साथ छोड़कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में लौट आए थे।

भाजपा के साथ तीन बार सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार वर्ष 2014 में राजग को छोड़ राजद व कांग्रेस के नए महागठबंधन सरकार में शामिल हो गए थे। प्रदेश के 242 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 121 विधायकों की आवश्यकता है, राजद के पास सबसे अधिक 79 विधायक हैं, उसके बाद भाजपा के 77 और जद (यू) के पास 44 विधायक हैं।

मुख्यमंत्री ने विधायकों और सांसदों के साथ हुई बैठक में कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उन्हें बाध्य किया, क्योंकि उसने पहले चिराग पासवान से विद्रोह कराकर और फिर पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह को सामने खड़ा करके जदयू को कमजोर करने की कोशिश की। इसके बाद, सिंह के समर्थकों द्वारा जदयू में विभाजन की अफवाह सामने आयी।

भाजपा और जदयू दोनों दलों के बीच गत कई महीने से तकरार चल रही है। इन दोनों के बीच कई मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से असहमति देखने को मिली थी जिनमें जातीय आधार पर जनगणना, जनसंख्या नियंत्रण कानून और सशस्त्र बलों में भर्ती की नयी ‘‘अग्निपथ’’ योजना शामिल हैं।

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