पटना: राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादवतेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद पर बैठाने के लिए हर तरीके का जुगाड़ लगा रहे हैं और शायद इस बात की भनक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को लग गई है। इसी कारण वो लोग गाहे-बगाहे लालू दरबार में हाजिरी लगाने को मजबूर हो रहे हैं।
लालू का सपना है कि वे तेजस्वी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखें। इसके लिए उन्हें नीतीश से ज्यादा राहुल फायदेमंद दिख रहे हैं। ऐसे में नीतीश को लालू चारो तरफ से घेरने की कोशिश में जुटे हैं। जिन दिनों नीतीश कुमार को इंडिया का संयोजक बनाने की बात चल रही थी, उसी वक्त लालू यादव ने ऐसी किसी संभावना से इनकार कर दिया था। जिसके कारण नीतीश कुमार केवल एक सदस्य मात्र रह गए हैं।
इस बीच राजद-जदयू सूत्रों की मानें तो बिहार में महागठबंधन के दलों के बीच सीट शेयरिंग का मामला लटका है। अब तक सीट शेयरिंग को लेकर औपचारिक बातचीत शुरू तक नहीं हुई है। बिहार में छह दलों का महागठबंधन है।
इनमें जदयू, राजद, कांग्रेस, भाकपा, माकपा एवं भाकपा-माले शामिल हैं। राज्य की 40 लोकसभा सीटों के लिए इन्हीं छह दलों के बीच सीटों का बंटवारा होना है। 40 में से 16 सीटों पर जदयू के सीटिंग सांसद हैं। स्वाभाविक तौर पर जदयू को अपनी सीटिंग सीटें चाहिये। यानी बाकी बचे 24 सीटों को राजद, कांग्रेस, माले, भाकपा, माकपा बांट लें।
इसमें कांग्रेस ऐलान कर चुकी है कि उसे 10 लोकसभा सीटें चाहिये। जबकि माले का दावा पांच सीटों पर है। जाहिर है बिहार में महागठबंधन की पार्टियों के बीच सीटों का बंटवारा बेहद मुश्किल काम है। विपक्षी पार्टियों के गठबंधन इंडिया की पिछली बैठक में तय किया गया था कि राज्यों में जल्द से जल्द सीटों का बंटवारा कर लिया जाये। लेकिन बिहार में तो सीट शेयरिंग के लिए औपचारिक बातचीत तक शुरू नहीं हुई है।
ऐसे में सीट शेयरिंग कब तक और कैसे हो पायेगी ये देखना दिलचस्प होगा। 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी को लेकर जुटे हुए हैं। मुख्यमंत्री पार्टी के नेताओं से वन-टू-वन मुलाकात कर जमीनी ताकत को समझ रहे हैं। पिछले कई दिनों से वे पार्टी के हर स्तर के नेताओं से वन-टू-वन मुलाकात कर रहे हैं। वहीं नीतीश कुमार की फ्रिक्वेंसी इन दिनों राबड़ी आवास की ओर भी बढ़ गई है।
इससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार को किसी न किसी चीज की हड़बड़ी में हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कभी औचक निरीक्षण करने पहुंच जाते हैं तो कभी सरकारी ऑफिस का मुआयना करने पहुंच जाते हैं तो कभी राबड़ी आवास की तरफ उनकी गाड़ी घुम जाती है तो कभी अशोक चौधरी के आवास की तरफ।
इतना ही नहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कभी विजय चौधरी के घर भी पहुंच जाते हैं। ऐसे में नीतीश कुमार के एक्शन को देखकर राजनीति के दिग्गज जानकार किसी बड़े बदलाव की बात कर रहे हैं।