बेंगलुरु, आठ दिसंबर केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न यूनियनों और राजनीतिक दलों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के तहत मंगलवार को कर्नाटक में किसानों और कामगारों के प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतरने से जनजीवन प्रभावित हुआ।
कर्नाटक राज्य रैयता संघ और हसिरू सेना (ग्रीन ब्रिगेड) द्वारा आहूत बंद का राज्य में कई संगठनों और दलों ने समर्थन किया है।
मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने बंद को ‘असफल’ बताया। राज्य में किसान कर्नाटक भूमि सुधार (संशोधन) कानून का विरोध कर रहे हैं, जिसके तहत किसानों से सीधे कृषि भूमि खरीदने की अनुमति दी गयी है।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि इन कानूनों से कृषि क्षेत्र रियल इस्टेट क्षेत्र में बदल जाएगा।
कई ट्रेड यूनियनों ने भी श्रम कानूनों में सुधार के विरोध में किसानों के प्रदर्शन को समर्थन देने की घोषणा की है। इसके अलावा कांग्रेस, भाकपा, माकपा जैसे वाम दलों और उनसे जुड़े संगठनों ने भी बंद को अपना समर्थन दिया है।
वेटल नागराज के कन्नड़ चलावली वेटल पक्ष जैसे कुछ कन्नड़ समर्थक संगठनों ने भी बंद को समर्थन दिया है।
बेंगलुरु, मैसुरू, बेलगावी, हुब्बली-धारवाड, रायचुर, तुमकुरु, मंगलुरु, बीदर, विजयपुरा, हासन, चिकमंगलुरु, चामराजनगर, कोप्पल, कोलार, चिकबल्लापुर और अन्य स्थानों पर प्रदर्शन मार्च, रैलियां निकाली गयी। कुछ स्थानों पर दुकानदारों ने अपनी दुकानें बंद रखी। कुछ इलाके में प्रदर्शनकारियों ने दुकानों को जबरन बंद करा दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डी के शिवकुमार और बी जमीर अहमद खान शहर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरने पर बैठे।
बेंगलुरु में संवाददाताओं से बात करते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रमुख शिवकुमार ने दावा किया कि बंद सफल रहा। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हम इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं क्योंकि सरकार इन कानूनों के जरिए किसानों को गुलाम बनाना चाहती है।
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