कोलकाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर ‘अल्पसंख्यक तुष्टिकरण’ के संबंध में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के आरोपों पर आपत्ति जताते हुए राज्यों के इमामों के एक शीर्ष निकाय ने उनसे अपना बयान वापस लेने का अनुरोध किया है। बंगाल इमाम संघ (बीआईए) के अध्यक्ष मोहम्मद याहिया ने राज्य और केन्द्र सरकार से ‘‘पूरे अल्पसंख्यक समुदाय को लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाला बताए जाने की कोशिशों को विफल करने लिये कदम उठाने की अपील की है।’’
संघ ने इन आरोपों को सच्चाई से बिल्कुल परे बताया। गत 24 मार्च को ममता बनर्जी को लिखे एक पत्र में धनखड़ ने कहा था, ‘‘...अल्पसंख्यक समुदाय का आपका तुष्टिकरण इतना स्पष्ट और अजीब था कि एक पत्रकार द्वारा निजामुद्दीन मरकज की घटना के बारे में एक प्रश्न पर आपकी प्रतिक्रिया थी, 'सांप्रदायिक सवाल मत पूछो'।"
इस टिप्पणी पर आपत्ति जातते हुए बीआईए ने राजभवन को लिखे पत्र में कहा कि निजामुद्दीन मरकज मामला दिल्ली पुलिस और केन्द्र से जुड़ा था। दिल्ली के निजामुद्दीन में पिछले महीने तबलीगी जमात के एक कार्यक्रम में शामिल हुए कई लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे, जिसमें कई विदेशी भी शामिल हैं।
याहिया ने पत्र में कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि एक राज्यपाल के तौर पर आपको अच्छे से पता होगा कि इन विदेशियों को वीजा किसने दिया और इस कार्यक्रम के लिए अनुमति किसने दी। आपको पता होगा कि विश्वभर में कोविड-19 के संकट के बारे में जानने के बावजूद लाखों लोगों को देश में आने की अनुमति किसने दी।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना वायरस फैलने के लिए केवल मुसलमानों को जिम्मेदार ठहराकर केन्द्र और भाजपा मामले को साम्प्रदायिक रंग दे रही है। बीआईए ने 25 अप्रैल को लिख पत्र में कहा , ‘‘संवाददाता सम्मेलन में उस सवाल का जवाब नहीं देना बंगाल में मुसलमानों का तुष्टिकरण कैसे है?’’
उसने कहा कि मुख्यमंत्री के पास भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। उन्होंने कहा कि भारत के हर एक मुसलमान का निजामुद्दीन घटना से कोई लेना-देना नहीं है। अगर जमात अधिकारियों ने गलती की है, तो कानून अपना काम करेगा।