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बांदीपुर युवा मित्र कार्यक्रम: बांदीपुर ट्राइबल्स के लिए वैकल्पिक आजीविका का अवसर बना लैंटाना कैमारा का पौधा

By अनुभा जैन | Published: May 01, 2023 11:09 PM

बांदीपुर टाइगर रिजर्व वर्तमान में 1036.22 वर्ग किमी के क्षेत्र पर नियंत्रण रखता है। और पूरा क्षेत्र लैंटाना वीड्स से संक्रमित है। लैंटाना घनत्व भिन्न होता है जहां 38 प्रतिशत बांदीपुर वन क्षेत्र उच्च घनत्व, 50 प्रतिशत मध्यम और 12 प्रतिशत लैंटाना के कम घनत्व से संक्रमित है।

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Bandipur Yuva Mitra Program: दक्षिण भारत में स्थित, बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान, जिसे वेणुगोपाला वन्यजीव पार्क के रूप में भी जाना जाता है, भारत के सबसे रमणीय राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। बांदीपुर टाइगर रिजर्व को 1970 के दशक तक बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान के रूप में जाना जाता था।

प्राचीन समय में मैसूर के सम्राटों के लिए निजी शिकार गृह रहा यह रिजर्व बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान बना। राष्ट्रीय उद्यान को 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर के तहत लाया गया और बांदीपुर टाइगर रिजर्व के रूप में स्थापित किया गया। उस समय देश के नौ प्रमुख बाघ अभयारण्यों में से बांदीपुर एक प्रमुख बाघ अभयारण्य था।

’प्रोजेक्ट टाइगर’ के 50 साल पूरे होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 अप्रैल, 2023 को बांदीपुर टाइगर रिजर्व का दौरा किया। देश में प्राथमिक बाघ अभयारण्य और नीलगिरि वन रेंज का एक हिस्सा, बांदीपुर रिजर्व कर्नाटक में मैसूरु-ऊटी राजमार्ग पर उच्च पश्चिमी घाट पर्वत के परिवेश के बीच स्थित है। यह मैसूरु शहर से लगभग 80 किलोमीटर और ऊटी के मार्ग पर है। टाइगर रिजर्व आंशिक रूप से चामराजनगर जिले के गुंडलुपेट तालुक में स्थित है और दक्षिणी कर्नाटक के एचडी कोटे और नंजनगुड तालुकों यानि मैसूरु जिले में भी स्थित है।

बांदीपुर दक्षिण में मुदुमलाई टाइगर रिजर्व के साथ, दक्षिण पश्चिम में वायनाड वन्यजीव अभयारण्य और उत्तर पश्चिम की ओर काबिनी जलाशय जो बांदीपुर और नागरहोल टाइगर रिजर्व को अलग करता है के  साथ अपनी सीमायें साझा करता है। और इसलिए, बांदीपुर टाइगर रिजर्व के साथ ये तीन राष्ट्रीय उद्यान 5520 वर्ग किलोमीटर से अधिक के कुल क्षेत्रफल के साथ भारत का सबसे बड़ा और संरक्षित क्षेत्र ’नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व’ बनाते हैं। टाइगर रिजर्व का उत्तरी भाग गांवों और कृषि भूमि के साथ मानव-वर्चस्व वाले परिदृश्य से घिरा हुआ है।

मेरे साथ एक विशेष साक्षात्कार में, बांदीपुर के फील्ड निदेशक और वन संरक्षक डॉ. रमेश कुमार पी. ने कहा, “2018 के आंकड़ों के अनुसार, 724 बाघ ‘नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व’ में हैं, जो एक ही परिदृश्य में बाघों की सबसे बड़ी आबादी है। ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन के 2019-20 के आंकड़ों के अनुसार, बांदीपुर टाइगर रिजर्व में 143 के करीब बाघ है, और 2018 के आंकड़ों के अनुसार यह लगभग 3047 जंगली हाथियों का दक्षिण एशिया में सबसे बड़ा आवास है।

डॉ रमेश ने बताया कि बड़ी संख्या में बाघों के अलावा कुल 200 तेंदुए हैं जिनमें से 150 तेंदुए बांदीपुर के अंदर रहते हैं और बड़ी संख्या में जंगली कुत्ते भी देखे जा सकते हैं। बांदीपुर टाइगर रिजर्व वर्तमान में 1036.22 वर्ग किमी के क्षेत्र पर नियंत्रण रखता है। और पूरा क्षेत्र लैंटाना वीड्स से संक्रमित है। लैंटाना घनत्व भिन्न होता है जहां 38 प्रतिशत बांदीपुर वन क्षेत्र उच्च घनत्व, 50 प्रतिशत मध्यम और 12 प्रतिशत लैंटाना के कम घनत्व से संक्रमित है।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि लैंटाना कैमारा का पौधा बाघ पारिस्थितिकी तंत्र का साइलेंट किलर है। यह मिट्टी में पोषक चक्र को बदल देता है। लैंटाना के व्यापक भक्षण से पशुओं में एलर्जी, दस्त, यकृत की विफलता, या यहाँ तक कि जानवर की मृत्यु भी हो सकती है। साथ ही, इस पौधे की अत्यधिक वृद्धि से जंगल में आग लगने का भी डर है।

इसी कड़ी में बांदीपुर के वन विभाग ने एक अनोखा अभियान शुरू किया है। मेरे साथ एक विशेष साक्षात्कार में, बांदीपुर के क्षेत्र निदेशक और वन संरक्षक डॉ. रमेश कुमार पी. ने कहा, “लैंटाना को मैन्युअल रूप से हटाने और चरागाह विकास कार्यक्रम के जरिये, 70 से 100 टराइबल्स दैनिक आधार पर काम करते हैं। इस गतिविधि का बाय प्रोडेक्ट लैंटाना शिल्प निर्माण है।

एक अनूठी पहल के तहत बांदीपुर का वन विभाग आदिवासियों को प्रशिक्षण दे रहा है। डॉ. रमेश ने कहा कि 56 दिनों के लैंटाना शिल्प प्रशिक्षण से बिना जंगल पर निर्भर हुए ये लोग गर्व के साथ अपनी आजीविका कमा सकते हैं। अब तक, दो महिला स्वयं सहायता समूहों को प्रशिक्षित किया गया है, जिसमें प्रत्येक समूह में 20 सदस्य थे। ये आदिवासी लैंटाना के पौधे के तनों से तरह-तरह के फर्नीचर के सामान और खूबसूरत उत्पाद बनाना सीखते हैं और इन उत्पादों को सफारी पॉइंट्स पर बेचते हैं जहां हर दिन अच्छी संख्या में पर्यटक आते हैं।

बांदीपुर टाइगर रिजर्व और इसके वन्य जीवन के बारे में विशेष रूप से स्थानीय छात्रों और आसपास के गांवों के लोगों को पूर्ण रूप से जागरूक बनाने के लिए वन विभाग की एक अन्य पहल “बांदीपुर युवा मित्र“ कार्यक्रम है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बांदीपुर में 3 जनवरी 2023 को इस कार्यक्रम की शुरुआत की और छात्रों की सफारी के पहले बैच को झंडी दिखाकर रवाना किया। 

डॉ. रमेश ने कार्यक्रम का विस्तार से वर्णन करते हुए कहा कि वन्य जीवन के संरक्षण के उद्देश्य से बांदीपुर के ये प्रशिक्षित युवा मित्र या ईको वॉलंटियर्स समुदाय के बीच और जागरूकता पैदा करेंगे, वन्यजीव और लोगों के मध्य एक सौहार्दपूर्ण संबंध भी विकसित करेंगे जो मनुष्यों और जानवरों के बीच होने वाले किसी भी संघर्ष के साथ वन्यजीव समस्याओं को हल करने में मदद करेगा। 

इस पहल के तहत आसपास के गांवों के छात्रों और स्थानीय लोगों को बांदीपुर ले जाया जाता है, अधिकारी उन्हें कक्षा सत्र और मुफ्त भोजन प्रदान करते हैं, और अंत में, उन्हें मुफ्त सफारी के लिए ले जाते हैं। डॉ. रमेश ने कहा, “हमारा लक्ष्य एक वर्ष में 15 हजार छात्रों और 1000 शिक्षकों को तैयार करने का है। अब तक 1100 छात्रों को प्रशिक्षित कर बांदीपुर के युवा मित्र बनाया गया है। प्रशिक्षित स्वयंसेवकों को ईको-सदस्यता स्वयंसेवक कार्ड दिए गए हैं।

डॉ. रमेश ने कहा कि ‘‘हम इन लोगों में ’मेरा बांदीपुर’ की भावना विकसित करना चाहते हैं कि यह उनका अपना क्षेत्र है और उन्हें क्षेत्र की देखभाल करनी है। ये लोग भविष्य में बांदीपुर टाइगर रिजर्व की रक्षा करेंगे और हमारी विभिन्न वन गतिविधियों में हमारा सहयोग करेंगे।”

उल्लेखनीय है कि 1941 में स्थापित वेणुगोपाल वन्यजीव अभयारण्य के अधिकांश वन क्षेत्रों को शामिल करके बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान का गठन किया गया था और यह केवल 90 वर्ग किमी में फैला हुआ था। बाद में 1980 के दशक में इस क्षेत्र का विस्तार कर इसे 874.2 वर्ग किमी के क्षेत्र में विस्तारित किया गया।

कुछ आस-पास के आरक्षित वन क्षेत्रों को शामिल करने के बाद, बांदीपुर टाइगर रिजर्व वर्तमान में 1036.22 वर्ग किमी के क्षेत्र पर नियंत्रण रखता है जिसमें 872 वर्ग किमी कोर क्षेत्र और बाकी बफर क्षेत्र के रूप में है। अंत में, यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि बांदीपुर और आस-पास के अभ्यारण्यों की यात्रा हर वन्यजीव और प्रकृति प्रेमी के लिए एक बेहद नायाब तोहफे के समान है।

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