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बाबरी मस्जिद मामला : आडवाणी, जोशी और भारती सहित कई आरोपियों के खिलाफ सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ा

By भाषा | Updated: September 13, 2019 13:49 IST

मामले का निबटारा करते हुये पीठ ने कहा, ‘‘हम संतुष्ट है कि आवश्यक कदम उठाये गये हैं।’’ शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त को उप्र सरकार से कहा था कि अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाले विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव द्वारा न्यायालय को भेजे गये पत्र में किये गये अनुरोध पर गौर किया जाये।

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ठळक मुद्देपीठ ने विशेष न्यायाधीश से कहा था कि इस मामले में नौ महीने के भीतर फैसला सुनाया जाये।शीर्ष अदालत ने विशेष न्यायाधीश को इस मुकदमे की रोजाना सुनवाई कर इसे दो साल के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया था।

उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि अयोध्या में दिसंबर, 1992 में विवादास्पद बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सहित कई आरोपियों के खिलाफ मुकदमे की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ा दिया गया है।

न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने उप्र सरकार के मुख्य सचिव द्वारा न्यायालय के आदेश पर अमल करने के बारे में पेश हलफनामे और ऑफिस मेमो का अवलोकन किया। उप्र सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ऐश्वर्या भाटी ने पीठ को सूचित किया कि शीर्ष अदालत के निर्देश का पालन किया जा चुका है और विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल अयोध्या विध्वंस मामले मे फैसला सुनाये जाने की अवधि तक बढ़ा दिया गया है।

मामले का निबटारा करते हुये पीठ ने कहा, ‘‘हम संतुष्ट है कि आवश्यक कदम उठाये गये हैं।’’ शीर्ष अदालत ने 23 अगस्त को उप्र सरकार से कहा था कि अयोध्या मामले की सुनवाई करने वाले विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव द्वारा न्यायालय को भेजे गये पत्र में किये गये अनुरोध पर गौर किया जाये।

न्यायालय ने 19 जुलाई को विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल इस मुकदमे की सुनवाई पूरी होने और फैसला सुनाये जाने की तारीख तक बढ़ा दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होने वाले विशेष न्यायाधीश का कार्यकाल सिर्फ इस मुकदमे की सुनवाई पूरी करने और फैसला सुनाने के लिये ही बढ़ाया जा रहा है।

पीठ ने विशेष न्यायाधीश से कहा था कि इस मामले में नौ महीने के भीतर फैसला सुनाया जाये। इस मामले में आडवाणी, जोशी और उमा भारती के अलावा भाजपा के पूर्व सांसद विजय कटियार और साध्वी ऋतंभरा पर भी आपराधिक साजिश रचने का आरोप शीर्ष अदालत ने 19 अप्रैल, 2017 को बहाल कर दिया था।

इस मामले मे तीन प्रमुख आरोपी गिरिराज किशोर, विश्व हिन्दू परिषद के नेता अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया का निधन हो जाने के कारण उनके खिलाफ मुकदमा खत्म कर दिया गया था। शीर्ष अदालत ने विशेष न्यायाधीश को इस मुकदमे की रोजाना सुनवाई कर इसे दो साल के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप खत्म करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 12 फरवरी, 2001 के फैसले को ‘‘त्रुटिपूर्ण’’ बताया था। 

 

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