नई दिल्ली: साल 2002 के नरोदा गाम दंगों के मामले में गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी सहित सभी 67 आरोपियों को बरी कर दिए जाने पर एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने तंज कसा है।
गुजरात की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को अपना अहम फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। अहमदाबाद के नरोदा गाम में गोधरा मामले के बाद भड़के दंगों में मुस्लिम समुदाय के 11 सदस्यों के मारे जाने के दो दशक से अधिक समय बाद विशेष अदालत का यह फैसला आया है।
इस फैसले के बाद पीड़ितों के परिवार ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट जाएंगे। बहरहाल, इसे फैसले पर ओवैसी ने राहत इंदौरी की एक कविता के जरिए अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने यह कविता ट्वीट करते हुए भाजपा पर तंज कसा।
राहत इंदौरी की कविता के जरिए ओवैसी का तंज
ओवैसी ने कोर्ट की ओर से आए फैसले के बाद गुरुवार देर रात ट्वीट किया, 'जिधर से गुजरो धुआं बिछा दो, जहां भी पहुंचो धमाल कर दो। तुम्हें सियासत ने हक दिया है, हरी जमीन को लाल कर दो। अपील भी तुम, दलील भी तुम, गवाह भी तुम, वकील भी तुम। जिसे भी चाहो हराम कह दो, जिसे भी चाहो हलाल कर दो।'
नरोदा गाम दंगा मामला: क्या है पूरा घटनाक्रम?
गोधरा ट्रेन अग्निकांड के एक दिन बाद दक्षिणपंथी संगठनों के बुलाये बंद के दौरान अहमदाबाद के नरोदा गाम इलाके में भड़की हिंसा में मुस्लिम समुदाय के 11 लोग मारे गये। यह घटना 28 फरवरी 2022 को हुई थी। इस मामले में कुल 86 आरोपी थे, जिनमें से 18 की सुनवाई के दौरान मौत हो गई, जबकि एक को अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 169 के तहत साक्ष्य के आभाव में पहले ही आरोपमुक्त कर दिया था।
ताजा फैसले के बाद जिन आरोपियों को बरी किया गया उनमें गुजरात सरकार में मंत्री रहीं कोडनानी (67), विहिप के पूर्व नेता जयदीप पटेल और बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी शामिल हैं। मामले में बरी किए गए सभी 67 आरोपी पहले से ही जमानत पर थे।
गौरतलब है कि कोडनानी और बाबू पटेल ऊर्फ बाबू बजरंगी को अहमदाबाद के नरोदा पाटिया इलाके में गोधरा कांड के बाद 2002 में हुए दंगों से संबंधित मामले में एसआईटी अदालत द्वारा दोषी ठहराया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। हाई कोर्ट ने अप्रैल 2018 में कोडनानी को बरी कर दिया था, लेकिन मामले में बजरंगी की दोषसिद्धि को बरकरार रखा था। वहीं, अगस्त 2018 में एसआईटी ने विशेष अदालत से कहा कि कोडनानी करीब 10 मिनट तक अपराध स्थल पर मौजूद थीं और ‘भीड़ को उकसाकर’ चली गयीं।
(भाषा इनपुट)