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अनुच्छेद 370ः 65 दिन से कश्मीर में पाबंदी, बच्चे कंधों पर बस्ता रख ‘नए स्कूल’ की ओर जाते हैं, घर में विशेष कक्षाएं ताकि पाठ्यक्रम पूरा हो

By भाषा | Updated: October 8, 2019 15:44 IST

बडगाम जिले के सेबदन इलाके में बच्चे कंधों पर बस्ता ले कर इन दिनों रोज़ ‘नए स्कूल’ की ओर निकल पड़ते हैं, ताकि परीक्षाओं से पहले अपने पाठ्यक्रम को पूरा कर सकें। निजी स्कूल के अध्यापक मोहम्मद अबीद ने कहा, ‘‘ हम स्कूल के बजाय घर में विशेष कक्षाएं आयोजित कर रहे हैं, ताकि वर्तमान अकादमिक सत्र के पाठ्यक्रम को पूरा करने में छात्रों की मदद कर सकें।’’

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ठळक मुद्देछात्रों द्वारा ‘नया स्कूल’ कहे जाने वाले इस घर में रोजाना सुबह आठ बजे से 11 बजे तक विशेष कक्षाएं आयोजित की जाती हैं।बेमिना इलाके के आसपास के कुछ इलाकों में सुरक्षा बलों पर पथराव करने वाले बच्चों की ओर था।

जम्मू कश्मीर में परीक्षाओं से पहले वर्तमान अकादमिक सत्र के पाठ्यक्रम को पूरा कराने के लिए शिक्षक स्कूलों की जगह घरों में विशेष कक्षाएं आयोजित कर रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधान निरस्त करने और प्रांत को जम्मू-कश्मीर व लद्दाख दो केन्द्र शासित प्रदेश में विभाजित करने के केन्द्र सरकार के पांच अगस्त के कदम के बाद से ही कश्मीर में पाबंदियां लगी हैं।

इन पाबंदियों के बीच बडगाम जिले के सेबदन इलाके में बच्चे कंधों पर बस्ता ले कर इन दिनों रोज़ ‘नए स्कूल’ की ओर निकल पड़ते हैं, ताकि परीक्षाओं से पहले अपने पाठ्यक्रम को पूरा कर सकें। निजी स्कूल के अध्यापक मोहम्मद अबीद ने कहा, ‘‘ हम स्कूल के बजाय घर में विशेष कक्षाएं आयोजित कर रहे हैं, ताकि वर्तमान अकादमिक सत्र के पाठ्यक्रम को पूरा करने में छात्रों की मदद कर सकें।’’

छात्रों द्वारा ‘नया स्कूल’ कहे जाने वाले इस घर में रोजाना सुबह आठ बजे से 11 बजे तक विशेष कक्षाएं आयोजित की जाती हैं। आठवीं कक्षा के छात्र के पिता बशीर अहमद ने घर के बाहर अपने बेटे का इंतजार करते हुए कहा, ‘‘मेरा बेटा 14 साल का है और मैं नहीं चाहता कि उसकी पढ़ाई की राह में कोई रोड़ा आए।’’

उनका इशारा बेमिना इलाके के आसपास के कुछ इलाकों में सुरक्षा बलों पर पथराव करने वाले बच्चों की ओर था। कुछ दिन पहले हुई इस घटना में शामिल अधिकतर बच्चों की उम्र 10 साल के करीब थी और वे विशेष कक्षाओं के लिए ही जा रहे थे।

सातवीं कक्षा के छात्र बिस्माह ने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि यह अच्छा है... हल्का फुल्का माहौल, वर्दी ना पहनना और कोई टाइम टेबल ना होना... स्कूलों के दोबारा खुलने पर वहां भी ऐसा ही हो जाना चाहिए।’’ इसके साथ ही कुछ ऐसे छात्र भी हैं जो नियमित स्कूलों से जुड़ी बातों की कमी महूसस कर रहे हैं।

आठवीं कक्षा के आतीफ नजीर ने कहा कि स्कूल सिर्फ नए पाठों का अध्ययन करने का स्थान नहीं होता। स्कूल छात्रों को उनके चरित्र निर्माण में भी मदद करता है। सेबदन और नजदीकी बेमिना में भी ऐसे ही कई कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं।

घाटी में लगातार 65 दिन से जारी बंद के कारण बच्चों की शिक्षा बुरी तरह प्रभावित हुई है। कश्मीर के संभागीय आयुक्त आधार खान ने पिछले सप्ताह घोषणा की थी कि स्कूल तीन अक्टूबर को फिर से खुलेंगे जबकि कॉलेज में पढ़ाई नौ अक्टूबर से शुरू होगी। लेकिन बुधवार तक सभी स्कूल और कॉलेज बंद रहे और उनके दोबारा खुलने को लेकर भी कोई सूचना नहीं दी गई है। 

टॅग्स :धारा ३७०जम्मू कश्मीरमोदी सरकारआर्टिकल 35A (अनुच्छेद 35A)
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