लॉक डाउन के 30 दिनों के बाद भी सुलग रही कश्मीर वादी, दावे सब कुछ सामान्य होने के लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और

By सुरेश डुग्गर | Published: September 5, 2019 05:33 PM2019-09-05T17:33:35+5:302019-09-05T17:33:35+5:30

पिछले 30 दिनों से कश्मीर के हालात को दूर बैठ कर नहीं बल्कि कश्मीर में रह कर महसूस किया जा सकता है। न कोई व्यापारिक गतिविधि, न कोई पढ़ाई और न ही कोई सियासी कार्यक्रम। स्कूलों को तो खोल दिया गया है। पर अभी भी 90 प्रतिशत स्कूलों को छात्रों का इंतजार है जो अभी भी स्कूलों तक इसलिए नहीं पहुंच पा रहे हैं क्योंकि वाहन नदारद हैं और अभिभावक खतरा मोल नहीं लेना चाहते।

Article 370: Loc Down brings situation in Jammu Kashmir that is far from truth, Here is ground reality | लॉक डाउन के 30 दिनों के बाद भी सुलग रही कश्मीर वादी, दावे सब कुछ सामान्य होने के लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

तीस दिन पहले जब जम्मू कश्मीर का एक और बंटवारा हुआ तथा एक राज्य का दर्जा घटा कर उसे समाप्त कर केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया गया उस दिन से लेकर अभी भी कश्मीर वादी सुलग रही है। चाहे सरकारी दावे कश्मीर में ‘शांति’ के बने होने के हैं  पर यह तूफान के आने से पहले की शांति इसलिए निरूपित की जा रही है क्योंकि कर्फ्यू के बीच पाबंदियों को हटा लिए जाने का कहीं कोई सकारात्मक असर नहीं दिखता था। संचार के सभी माध्यमों के अभी भी बंद होने का नतीजा था कि इन 30 दिनों के भीतर कश्मीर के भीतरी हिस्सों में क्या हुआ कोई खबर नहीं है।

यूं तो सरकारी तौर पर आज दावा किया गया कि अब मोबाइल भी कश्मीर में चलने लगेंगे। पर यह सिर्फ दो जिलों के लिए है। अनंतनाग और कुपवाड़ा के लिए, सिर्फ इनकमिंग कॉल की सुविधा के साथ। कश्मीर में लैंडलाइन बहाल किए जाने का भी दावा है। पर इनमें से आधे खराब स्थिति में हैं और शिकायतों के बावजूद बीएसएनएल कर्मी इनको ठीक कर पाने में असलिए अक्षम हैं क्योंकि कर्फ्यू जारी है।

फिलहाल जम्मू के कुछ जिलों में मोबाइल सेवा काम कर रही है। मोबाइल इंटरनेट पूरी तरह से बंद है। ब्रॉडबैंड के नाम पर जो स्पीड दी जा रही है वह किसी मजाक से कम नहीं है। इतना जरूर था कि 30 सालों में पहली बार ऐसी परिस्थितियों के दौर से गुजरने वाले कश्मीरियों को अपनों से एक मिनट की बात करने की खातिर पब्लिक और सरकारी पीसीओ का सहारा लेना पड़ा था जो पहली बार कई सालों के बाद गुलजार हुए थे।

प्रशासन कहता है कि प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। पर सड़कों से वाहन क्यों नदारद हैं और दुकानें क्यों नहीं खुल रही हैं के प्रति जवाब मिलता है कि आतंकी लोगों को धमका रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता था कि दो लाख अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती के साथ कश्मीर को 30 दिनों से लॉक डाउन में रखा गया है तो क्या मुट्ठीभर आतंकियों की नकेल नहीं कसी जा सकती, जिनकी संख्या के प्रति दावा है कि वे अब 150 से 200 के बीच हैं।

दुकानदारों को दुकानें बंद करने के लिए आतंकियों ने पोस्टर लगा कर डराया धमकाया है। हैरानगी की बात यह है कि इतनी सख्त पाबंदियों के बावजूद कोई पोस्टर कैसे चिपका गया, सवाल अनसुलझा है। हालांकि एक दुकानदार की हत्या का मामला भी अभी संदिग्ध है क्योंकि किसी आतंकी गुट ने इस हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है।

पिछले 30 दिनों से कश्मीर के हालात को दूर बैठ कर नहीं बल्कि कश्मीर में रह कर महसूस किया जा सकता है। न कोई व्यापारिक गतिविधि, न कोई पढ़ाई और न ही कोई सियासी कार्यक्रम। स्कूलों को तो खोल दिया गया है। पर अभी भी 90 प्रतिशत स्कूलों को छात्रों का इंतजार है जो अभी भी स्कूलों तक इसलिए नहीं पहुंच पा रहे हैं क्योंकि वाहन नदारद हैं और अभिभावक खतरा मोल नहीं लेना चाहते। जो कुछ अभिभावक खतरा मोल लेने को तैयार हैं वह अपने बच्चों को स्कूलों तक नहीं पहुंचा पाते उन प्रतिबंधों के बावजूद जिनके प्रति दावा है कि हटा दिए गए हैं।

दावों के अनुसार, कश्मीर शांत है पर मिलने वाली खबरें अब कहती हैं कि प्रतिदिन कश्मीर में होने वाले औसतन 5 से 7 भारत विरोधी प्रदर्शनों में दर्जनों लोग जख्मी हो रहे हैं। अगर स्थानीय समाचार एजेंसियों पर विश्वास करें तो एक माह में होने वाले ऐसे करीब 500 से अधिक प्रदर्शनों में 300 से अधिक लोग जख्मी हो चुके हैं। फिलहाल यह अधिकृत जानकारी नहीं है कि जख्मी होने वालों में कोई गोली से भी घायल हुआ है या फिर सभी पैलेट गन जैसे नाथ लीथल हथियार का ही शिकार हुए हैं।

कश्मीर में शांति की बयार कब तक लौटेगी कोई नहीं जानता। सरकारी तौर पर शांति लौट चुकी है और कश्मीरी अनुच्छेद 370 को हटाए जाने की खुशियां मना रहे हैं पर सच्चाई यह है कि कश्मीर में इस कदम से सबसे अधिक गुस्सा उनमें हैं जो भारत समर्थक कहे जाते रहे हैं। यह इससे भी स्पष्ट होता था कि भारत समर्थक नेता अपनी नजरबंदगी से अभी भी हैरान हैं।

Web Title: Article 370: Loc Down brings situation in Jammu Kashmir that is far from truth, Here is ground reality

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