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APJ Abdul Kalam Death Anniversay: अब्दुल कलाम ने अपने रिश्तेदारों के राष्ट्रपति भवन में 8 दिन रुकने पर हुए खर्च को अपने निजी खाते से भरा था 

By अनुराग आनंद | Updated: July 27, 2020 10:22 IST

एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने रिश्तेदारों के राष्ट्रपति भवन में 8 भवन रहने के बाद वापस जाने पर उनपर जो खर्च हुआ, वह पैसा अपने निजी खाते से 3,52,000 रुपये का चेक काट कर राष्ट्रपति कार्यालय को भेजा था।

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ठळक मुद्देअपने रिश्तेदारों के राष्ट्रपति भवन में ठहरने पर एक प्याली चाय का खर्चा भी कलाम ने अपनी जेब से दिया था।आईआईटी बीएचयू में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के दौरान मंच पर एक कुर्सी समान्य कुर्सी से बड़ा देख एपीजे अब्दुल कलाम उसपर नहीं बैठे बल्कि वह समान्य कुर्सी पर बैठे। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम सादगी, मितव्ययिता और ईमानदारी जैसे उन गुणों की मिसाल थे।

नई दिल्ली: देश आज (27 जुलाई ) अपने चहेते राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 5वीं पुण्यतिथि है। इस मौके पर देश के अलग-अलग जगहों पर ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। कलाम से जुड़े कई किस्से हैं, जिसके माध्यम से लोग उनको याद कर रहे हैं। ऐसा ही एक किस्सा है जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे। 

दरअसल, एक बार कलाम का पूरा परिवार उनसे मिलने दिल्ली आया। वे कुल 52 लोग थे, जिनमें उनके 90 साल के बड़े भाई से लेकर उनकी डेढ़ साल की परपोती भी शामिल थी। स्टेशन से सभी को राष्ट्रपति भवन लाया गया, जहां वह 8 दिन तक भवन में रुके। उनके आने-जाने से लेकर खाने-पीने तक, यहां तक की एक प्याली चाय का खर्चा भी कलाम ने अपनी जेब से दिया।

इतना ही नहीं कलाम ने अपने अधिकारियों का भी साफ तौर पर निर्देश दिया था कि इन मेहमानों के लिए राष्ट्रपति भवन की कारें इस्तेमाल नहीं की जाएंगी। रिश्तेदारों के खाने-पीने के सारे खर्च का ब्यौरा अलग से रखा गया। और जब वह सभी वापस गए तब कलाम ने अपने निजी खाते से 3,52,000 रुपये का चेक काट कर राष्ट्रपति कार्यालय को भेजा था।

यही नहीं इसी तरह का एक और किस्सा सामने आया है। दरअसल, एक बार कलाम आईआईटी (बीएचयू) के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि बनकर गए थे। वहां मंच पर जाकर उन्होंने देखा कि जो पांच कुर्सियां रखी गई हैं उनमें बीच वाली कुर्सी का आकार बाकी चार से बड़ा है। यह कुर्सी राष्ट्रपति के लिए ही थी और यही इसके बाकी से बड़ा होने का कारण भी था। कलाम ने इस कुर्सी पर बैठने से मना कर दिया। उन्होंने वाइस चांसलर (वीसी) से उस कुर्सी पर बैठने का अनुरोध किया। वीसी भला ऐसा कैसे कर सकते थे? आम आदमी के राष्ट्रपति के लिए तुरंत दूसरी कुर्सी मंगाई गई जो साइज में बाकी कुर्सियों जैसी ही थी।

एक और किस्सा है कि जब राष्ट्रपति बनने के बाद वे पहली बार केरल गए थे। उनका ठहरना राजभवन में हुआ था। वहां उनके पास आने वाला सबसे पहला मेहमान कोई नेता या अधिकारी नहीं बल्कि सड़क पर बैठने वाला एक मोची और एक छोटे से होटल का मालिक था। एक वैज्ञानिक के तौर पर कलाम ने त्रिवेंद्रम में काफी समय बिताया था। इस मोची ने कई बार उनके जूते गांठे थे और उस छोटे से होटल में कलाम ने कई बार खाना खाया था।

टॅग्स :ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलामइंडियाबनारस हिंदू विश्वविद्यालय
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