केंद्र के युवा वित्त एवं कार्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के दिन किस्मत मेहरबान होने के साथ ही बहुर रहे हैं.पार्टी में उनका जलवा -जलाल बढ़ता जा रहा है.तीन बार के लोकसभा सांसद होने के बावजूद उन्हे मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान मंत्रिपद नहीं मिल पाया था क्योंकि उस समय उनके पिता प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे.
पिछले साल जब धूमल चुनाव हार गए थे,उस समय यह आशा थी कि उनका राजनीतिक पुनर्वास किया जाएगा. पर किस्मत ने साथ नहीं दिया. लोढ़ा की वजह से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड का अध्यक्ष पद भी चला गया.उसके बाद से अब वक्त बदल गया है. अनुराग को मोदी-2 सरकार में मंत्रिपद मिला. उनका जलवा उस समय और बढ़ गया जब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड अध्यक्ष पद के लिए सौरव गांगुली के चयन में उन्होने भूमिका निभाई और उनके छोटे भाई कोषाध्यक्ष और अमित शाह के बेटे जय शाह बोर्ड के सचिव बने.
शाह से उनकी करीबी और कार्यक्षमता का लाभ उन्हें अब बढ़े असर के रूप में मिल रहा है. अनुराग ठाकुर ने समाजवादी पार्टी के सांसद नीरज शेखर को दलबदल करवा कर भाजपा के खेमे में शामिल करवाया. हरियाणा में भाजपा सरकार के गठन में उन्होने काफी अहम भूमिका निभाई. दस विधायकों वाले जेजेपी के अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला से भाजपा की डील उन्होंने ही करवाई. केवल 40 सीटें हासिल कर भाजपा राज्य में स्थिर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं थी.
अनुराग ने ऐसे में दुष्यंत के साथ अपने निवास पर काफी लंबी चर्चा की और उन्हे लेकर अमित शाह के घर पहुंचे.अमित शाह उस समय अहमदाबाद जाने के लिए निकल गए थे लेकिन इस डील के लिए वह बीच रास्ते से ही वापस आ गए. अपने चाचा अभय सिंह चौटाला से इंडियन नेशनल लोकदल में अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे, नई पार्टी बनाने वाले दुष्यंत के लिए भी यह डील काफी अहम साबित हुई.