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पंडोरा पेपर्स खुलासा: अपनी संपत्ति शून्य बताने वाले अनिल अंबानी के ऑफशोर कंपनियों में करीब 1 खरब रुपये की संपत्ति

By विशाल कुमार | Published: October 04, 2021 11:55 AM

कारोबारी अनिल अंबानी की जानकारी के बाद लंदन की अदालत ने कहा था कि इस बारे में सवाल हैं कि अंबानी के किस हद तक कोई ऑफशोर हित हैं, क्योंकि यदि ऐसा है तो उन्हें घोषित नहीं किया गया है. इसके तीन महीने बाद उन्हें बैंकों को 53 अरब रुपये चुकाने का आदेश दिया गया था लेकिन उन्होंने चुकाने से इनकार करते हुए कहा था कि दुनियाभर में उनका किसी भी कंपनी में कोई लाभकारी हित या संपत्ति नहीं है.

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ठळक मुद्देयह खुलासा इंडियन एक्सप्रेस की पंडोरा पेपर्स की जांच में हुआ है.अनिल अंबानी और उनके सहयोगियों की जर्सी, ब्रिटिश आइसलैंड (बीवीआई) और साइप्रस में 18 ऑफशोर कंपनियां हैं.2007 से 2010 के बीच में बनाई गई इन कंपनियों ने करीब 1 खरब रुपये या तो कर्ज लिया या निवेश किया.

नई दिल्ली: फरवरी 2020 में चीनी सरकार के नियंत्रण वाले तीन बैंकों के साथ विवाद के दौरान लंदन की एक अदालत को अपनी कुल संपत्ति शून्य बताने वाले कारोबारी अनिल अंबानी और उनके सहयोगियों की जर्सी, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स (बीवीआई) और साइप्रस में 18 ऑफशोर कंपनियां हैं. यह खुलासा इंडियन एक्सप्रेस की पंडोरा पेपर्स की जांच में हुआ है.

बता दें कि, अंबानी की जानकारी के बाद लंदन की अदालत ने कहा था कि इस बारे में सवाल हैं कि अंबानी के किस हद तक कोई ऑफशोर हित हैं, क्योंकि यदि ऐसा है तो उन्हें घोषित नहीं किया गया है.

इसके तीन महीने बाद उन्हें बैंकों को 53 अरब रुपये चुकाने का आदेश दिया गया था लेकिन उन्होंने चुकाने से इनकार करते हुए कहा था कि दुनियाभर में उनका किसी भी कंपनी में कोई लाभकारी हित या संपत्ति नहीं है.

2007 से 2010 के बीच में बनाई गई इन कंपनियों ने करीब 1 खरब रुपये या तो कर्ज लिया या निवेश किया. जर्सी में अनिल अंबानी की तीन कंपनियां- बेस्टिस्ट अनलिमिटेड, रेडियम अनलिमिटेड और हुइ इनवेस्टमेंट अनलिमिटेड हैं जिन्हें 2007-08 के बीच बनाया गया.

बैटिस्ट अनलिमिटेड और रेडियम अनलिमिटेड का स्वामित्व रिलायंस इनोवेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड के पास है, जो एडीए ग्रुप की अंतिम होल्डिंग कंपनी है. हुइ इन्वेस्टमेंट अनलिमिटेड का स्वामित्व एएए एंटरप्राइजेज लिमिटेड (2014 से रिलायंस इनसेप्टम प्राइवेट लिमिटेड) के पास है, जो रिलायंस कैपिटल की प्रमोटर कंपनी है.

रिकॉर्ड यह भी दिखाते हैं कि जनवरी 2008 में जर्सी में शामिल दो अन्य कंपनियां - समरहिल लिमिटेड और डुलविच लिमिटेड - का स्वामित्व अनिल अंबानी के प्रतिनिधि के पास है, जिन्हें अनूप दलाल के रूप में पहचाना जाता है.

दलाल के पास एक बीवीआई कंपनी - रेनडियर होल्डिंग्स लिमिटेड भी थी- जिसका उपयोग निवेश प्रबंधन के लिए किया गया था.अनिल अंबानी से जुड़ी और जनवरी 2008 में निगमित तीन अन्य जर्सी कंपनियां- लॉरेंस म्यूचुअल; रिचर्ड इक्विटी लिमिटेड और जर्मन इक्विटी लिमिटेड हैं, जो जिनेवा में एक वकील के स्वामित्व में हैं.

रिकॉर्ड से पता चलता है कि इन कंपनियों को प्रबंधित करने वाले सेवा प्रदाताओं ने रिकॉर्ड में दर्ज किया कि निवेश करने के लिए इनमें से सात को बैंकों से ऋण प्राप्त हुआ जिसकी गारंटी रिलायंस/अनिल अंबानी ने दी थी और उन निवेशों के लिए पैसा फिर कंपनियों द्वारा अन्य कंपनियों को उधार दिया गया था.

इन ऑफशोर कंपनियों और लेनदेन के बारे में पूछे जाने पर अनिल अंबानी की ओर से एक वकील ने कहा कि हमारे मुवक्किल भारत के कर निवासी हैं और कानून का अनुपालन करते हुए भारतीय प्राधिकारियों के समक्ष आवश्यक खुलासे किए हैं.

लंदन की अदालत के समक्ष खुलासे करते समय सभी आवश्यक विचारों को ध्यान में रखा गया था. रिलायंस समूह विश्व स्तर पर कारोबार करता है और वैध व्यापार और नियामक आवश्यकताओं के लिए कंपनियों को विभिन्न न्यायालयों में शामिल किया जाता है.

मई 2020 में, अनिल अंबानी को चीनी बैंकों को 53 अरब रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया था लेकिन उनके खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक की दिवालिया कार्यवाही में दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा आदेशित स्थगन के कारण अभी तक प्रवर्तन कार्रवाई शुरू नहीं हुई है.

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