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AIADMK के 18 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द, जानिए क्या है पूरा मामला, कैसे रातोंरात बदले तमिलनाडु के सियासी समीकरण

By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Updated: October 25, 2018 12:23 IST

AIADMK की पूर्व महासचिव शशिकला नटराजन, उनके भतीजे टीटीवी दिनाकरन एक गुट के नेतृत्व कर रहे थे तो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी और ओ पनीरसेल्वम दूसरे धड़े का। मद्रास हाई कोर्ट के फैसले से तमिलनाडु की पलानीस्वामी सरकार को बड़ी राहत मिली है।

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मद्रास हाई कोर्ट ने गुरुवार को आल इंडिया द्रविड़ मुनेड़ कड़गम (AIADMK) के 18 बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया है। हाई कोर्ट ने तमिलनाडु विधान सभा के स्पीकर धनपाल के फैसले को बरकरार रखा है। तमिलनाडु की ई पलानीस्वामी सरकार उच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत किया है। वहीं बागी विधायकों के नेता टीटीवी दिनाकरन ने कहा है कि वो इस फैसले से निराश नहीं हैं और ये उनके लिए एक तजुर्बे जैसा है। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला-

जानिए- AIADMK के 18 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने की टाइमलाइन

05 दिसंबर 2016- तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता का कई महीनों की बीमारी के बाद चेन्नई के अपोलो अस्पताल  में निधन। 

06 दिसंबर 2016- जयललिता के निधन के बाद उनके वफादार ओ पनीरसेल्वम को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी गयी। 

31 दिसंबर 2016- जयललिता की करीबी शशिकला नटराजन AIADMK की महासचिव नियुक्त की गईं। शशिकला से पहले जयललिता करीब दो दशकों से पार्टी की महसचिव थीं। AIADMK की जनरल काउंसिल ने आम सहमति से शशिकला को महासचिव चुना था।

05 फ़रवरी 2017- शशिकला नटराजन ने आधिकारिक तौर पर AIADMK महासचिव का पद ग्रहण किया। शशिकला के गद्दी संभालते ही AIADMK की अंदरूनी लड़ाई सतह पर आने लगी। मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम और शशिकला के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गये। 

14 फ़रवरी 2017- सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को आय से अधिक संपत्ति मामले में हाई कोर्ट द्वारा बरी करार दिये जाने का फैसले को पलटते हुए उन्हें दोषी करार दिया। आय से अधिक संपत्ति मामले में जयललिता भी शशिकला के साथ सह-अभियुक्त थीं। हालांकि मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही जयललिता का निधन हो गया था। सुप्रीम कोर्ट ने शशिकला को चार साल जेल और 10 साल तक चुनावी राजनीति से दूर रहने की सुनायी। इसी बीच शशिकला ने ओ पनीरसेल्वपम समेत 19 AIADMK विधायकों को बगावत के आरोप में पार्टी से निकाल दिया। शशिकला ने ई पलानीस्वामी को पार्टी का सचिव नियुक्त किया।

16 फरवरी 2017- ई पलानीस्वामी ने ओ पनीरसेल्वम की जगह तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने।

18 फ़रवरी 2017- ई पलानीस्वामी ने तमिलनाडु विधान सभा में विश्वास मत प्रस्ताव में विजय हासिल की। 234 सदस्यों वाली तमिलनाडु विधान सभा में पलानीस्वामी को 122 विधायकों को समर्थन मिला था। डीएमके, कांग्रेस और आईयूएमएल ने विश्वास मत प्रस्ताव का विरोध किया था। ओ पनीरसेल्वम के समर्थक 11 विधायकों ने पलानीस्वामी के खिलाफ वोट दिया था।  

22 मार्च 2017- चुनाव आयोग ने जयललिता के निधन से खाली हुई तमिलनाडु की आरके नगर विधान सभा सीट के लिए होने वाले उपचुनाव में AIADMK का चुनाव-चिह्न 'दो पत्तियां' जब्त कर लिया। AIADMK के दोनों धड़ों ने पार्टी के परंपरागत चुनाव चिह्न पर दावा पेश किया लेकिन चुनाव आयोग ने दोनों गुटों को स्वतंत्र नाम और चुनाव चिह्न के साथ उपचुनाव लड़ने का आदेश दिया।

09 अप्रैल 2017- चुनाव आयोग ने 'नोट के बदले वोट' के आरोपों के बीच 12 अप्रैल को होने वाला आरके नगर विधान सभा सीट उपचुनाव रद्द कर दिया। चुनाव आयोग के इस फैसले से एक दिन पहले एक टैक्सी में नोट भरे हुए मिले थे।

18 अप्रैल 2017- रातोंरात बदले तमिलनाडु के सियासी समीकरण में शशिकला को AIADMK से बाहर कर दिया गया। ओ पनीरसेल्वम और ई पलानस्वामी के बीच समझौता हो गया। शशिकला के साथ ही उनके भतीजे टीटीवी दिनाकरन को पार्टी से निकाल दिया गया।

21 अप्रैल 2017- AIADMK के पनीरसेल्वम और पलानीसेल्वम धड़े ने एक कमेटी का गठन किया जिसे दोनों गुटों का साझा एजेंडा तय करना था। यह भी तय हुआ कि पलानीस्वामी राज्य के मुख्यमंत्री बने रहेंगे और पनीरसेल्वम राज्य के उप-मुख्यमंत्री बनेंगे।

22 अगस्त 2017-  पलानीस्वामी और पनीरसेल्वम गुट ने समझौते की आधिकारिक घोषणा की। पनीरसेल्वम ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली। 

22 अगस्त 2017- दिनाकरन के समर्थक 19 विधायकों ने पलानीस्वामी-पनीरसेल्वम सरकार से समर्थन वापस ले लिया।

12 सितंबर 2017- शशिकला को पार्टी की अंतरिम महासचिव पद से हटायी गयीं। AIADMK की जनरल काउंसिल मीटिंग में पलानीस्वामी-पनीरसेल्वम की मौजूदगी में  हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। इस बैठक में 30 दिसंबर 2016 को पनीरसेल्वम को अयोग्य घोषित करने के शशिकला के फैसले को रद्द किया गया।

18 सितंबर 2017- दिनाकरन समर्थक 18 विधायकों की सदस्या तमिलनाडु विधान सभा के स्पीकर ने रद्द कर दी। इन विधायकों की सदस्यता रद्द किये जाने के बाद 234 सदस्यों वाली तमिलनाडु विधान सभा की प्रभावी संख्या 215 हो गयी। AIADMK के पास 114 विधायकों का समर्थन था यानी पलानीस्वामी सरकार के पास अब बहुमत के लिए जरूरी 109 से ज्यादा विधायकों का समर्थन था।

18 दिसंबर 2017- बागी 18 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के फैसले को मद्रास हाई कोर्ट में चुनौती दी गयी।

24 दिसंबर 2017- दिनाकरन ने प्रेश कुकर चुनाव चिह्न के साथ आरके नगर विधान सभा सीट उपचुनाव जीत लिया। 

15 मार्च 2018- दिनाकरन ने अम्मा मक्कल मुनेड़ कड़गम (एएमएमके) नाम से नई पार्टी की स्थापना की।

14 जून 2018- मद्रास हाई कोर्ट ने दो जजों की पीठ ने 18 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने के मामले में विभाजित फैसला दिया। जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने विधायकों को अयोग्य करार देने के स्पीकर के फैसले को सहमति दी। वहीं जस्टिस सुंदर ने स्पीकर के फैसले को ग़लत ठहराया। जस्टिस एच रमेश ने मामला तीसरे जज को सुपूर्द किया।

25 अक्टूबर 2018- मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु विधान सभा स्पीकर के फैसले को बरकरार रखते हुए सभी 18 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के निर्णय पर मुहर लगा दी। अब इन 18 विधायकों समेत दो अन्य रिक्त विधान सभा सीटों के लिए उपचुनाव कराने होंगे। यानी तमिलनाडु की कुल 20 विधान सभा सीटों के लिए दोबारा चुनाव होंगे।

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