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भारत में 14-18 आयु वर्ग के 80 फीसदी बच्चों ने कोविड के दौरान सीखने के स्तर में गिरावट की बात कही

By भाषा | Updated: September 9, 2021 23:13 IST

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नयी दिल्ली, नौ सितंबर यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 14-18 वर्ष के आयु वर्ग के कम से कम 80 प्रतिशत छात्रों ने कोविड-19 महामारी के दौरान सीखने के स्तर में कमी आने की सूचना दी, क्योंकि स्कूल बंद हैं।

संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपातकाल कोष (यूनिसेफ) की रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि बार-बार स्कूल बंद होने से दक्षिण एशिया में बच्चों के लिए सीखने के अवसरों में चिंताजनक असमानताएं पैदा हुई हैं। इसमें कहा गया है कि 5-13 वर्ष की आयु वर्ग के छात्रों के 76 प्रतिशत माता-पिता ने दूरस्थ शिक्षा के दौरान सीखने के स्तर में गिरावट की बात कही है।

यूनिसेफ के दक्षिण एशिया निदेशक जॉर्ज लारिया-एडजेइक ने कहा कि दक्षिण एशिया में स्कूल बंद होने से लाखों बच्चों और उनके शिक्षकों को शिक्षा के लिए दूरस्थ माध्यमों का सहारा लेना पड़ा है और यह ऐसे क्षेत्र में है जहां कम कनेक्टिविटी और उपकरण की उपलब्धा भी कम है। उन्होंने कहा कि भले ही परिवार की प्रौद्योगिकी तक पहुंच हो, तब भी बच्चे हमेशा इसका उपयोग नहीं कर पाते हैं, लिहाजा बच्चों की शिक्षा एवं उनके सीखने के स्तर को नुकसान पहुंचा है।

भारत में 6-13 वर्ष के बीच के 42 प्रतिशत बच्चों ने स्कूल बंद होने के दौरान किसी भी प्रकार की दूरस्थ शिक्षा का उपयोग नहीं करने की सूचना दी।

रिपोर्ट कहती है कि इसका मतलब है कि उन्होंने पढ़ने के लिए किताबें, वर्कशीट, फोन या वीडियो कॉल, व्हाट्सऐप, यूट्यूब, वीडियो कक्षाएं आदि का इस्तेमाल नहीं किया है।

बहरहाल, सर्वेक्षण में पाया गया है कि स्कूलों के बंद होने के बाद अधिकतर छात्रों का अपने अध्यापकों के साथ थोड़ा संपर्क रहा। रिपेार्ट में कहा गया है, “पांच-13 वर्ष की आयु के कम से कम 42 प्रतिशत छात्र और 14-18 वर्ष की आयु के 29 प्रतिशत छात्र अपने शिक्षकों के संपर्क में नहीं रहे।”

यूनिसेफ ने सरकारों से सुरक्षित तरीके से स्कूलों को खोलने को प्राथमिकता देने का आह्वान किया है। साथ में यह भी सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि जरूरत पड़ने पर बच्चे दूरस्थ माध्यम से शिक्षा हासिल करने में सक्षम हों।

यूनिसेफ की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि श्रीलंका में प्राथमिक स्कूल के बच्चों के 69 प्रतिशत माता-पिता ने बताया कि उनके बच्चे "कम" सीख रहे हैं। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान में 23 प्रतिशत छोटे बच्चों के पास किसी भी उपकरण तक पहुंच नहीं है जिससे उनकी दूरस्थ शिक्षा में मदद नहीं मिल सकी।

स्कूलों को फिर से खोलने पर बातचीत करते हुए यूनिसेफ की भारतीय इकाई के प्रतिनिधि यासमीन अली हक ने कहा कि लंबे समय तक स्कूलों को बंद रखने से कई बच्चों की पढ़ाई, सामाजिक संवाद और खेलकूद पर असर पड़ा है जो उनके समग्र विकास के लिए जरूरी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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