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2G ही नहीं इन हाईप्रोफाइल मामलों में भी दिखी CBI की विफलता

By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: December 22, 2017 10:42 IST

कई हाईप्रोफाइल केसों नें सीबीआई की इस तरह की नाकामयाबी देखने को मिल चुकी है।

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2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में गुरुवार को अदालत के सामने सीबीआई के द्वारा पर्याप्त सबूत ना पेश किए जाने के कारण सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया। आरोपों को साबित करने में सीबीआई की विफलता कोई नई बात नहीं है। इसके पहले भी कई हाईप्रोफाइल मामलों में सीबीआई की नाकामयाबी देखने को मिलती रही है। ऐसे मामलों की पूरी सूची ये रही-

बोफोर्स घोटाला

आरोपियों को सजा दिलाने में सीबीआई की नाकामी का सबसे बड़ा उदाहरण बोफोर्स घोटाला है। सीबीआई ने 64 करोड़ रुपये के घोटाले का मामला दर्ज किया था। इसकी जांच में 250 करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी सीबीआई पर्याप्त सबूत नहीं जुटा पाई। निचली अदालत में एक-एक करके सभी आरोपियों को बरी किया जा रहा है। इस मामले में कई नामी हस्तियों के नाम शामिल है।

जैन हवाला केस

जैन भाइयों की डायरी में बड़े राजनेताओं और नौकरशाहों के हजारों करोड़ रुपये के रिश्वत लेने के खुलासे ने 90 के दशक में जमकर सुर्खियां बटोरी थीं। इनकी डायरी में कई बड़े सत्ताधारियों के नाम सामने आए थे। इस मामले में कुछ आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया, लेकिन इसी साल एक सितंबर को निचली अदालत ने सीबीआई के सबूतों को नाकाफी मानते हुए जैन हवाला मामले के अंतिम केस में भी आरोपियों को बरी कर दिया।

आय से अधिक संपत्ति केस

चारा घोटाले की जांच के दौरान सीबीआई ने बिहार के तत्कालीन सीएम लालू यादव उनकी पत्नी राबड़ी देवी के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति बनाने का भी केस दर्ज किया था। लेकिन पटना की विशेष सीबीआई अदालत ने दोनों को आरोपों से बरी कर दिया। इस फैसले के खिलाफ उस समय सीबीआई ने पटना हाईकोर्ट में अपील भी नहीं की।

छत्तीसगढ़ का विधायक खरीद कांड

छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजीत जोगी  के ऊपर नवनिर्वाचित विधायकों को खरीदने की कोशिश करने का आरोप लगा था। इस मामले में टेलीफोन पर अजीत जोगी की बातचीत के टेप और उनकी समर्थन की चिट्ठी भी मौजूद थी। यहां तक तक रिश्वत में दिए गए पैसे भी बरामद हुए थे। लेकिन सारे सबूतों के बावजूद सीबीआई ने कानूनी पेंच का हवाला देकर केस बंद कर दिया और अदालत में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी। इसके बाद सीबीआई खुद भी घेरे में आ गई थी।

आरुषि हत्याकांड

गाजियाबाद में अपने ही घर में हुई आरुषि की हत्या ने सभी को चौंका दिया था, जब सीबीआई के द्वारा इस मामले की जांच शुरू हुई थी, तब लोगों को सच्चाई सामने आने की उम्मीद थी। लेकिन सीबीआई कातिल को खोजने में विफल रही और मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को चार्जशीट में तब्दील कर तलवार दंपत्ति को सजा सुनाई। लेकिन हाल ही में सीबीआई के सबूतों से उन पर दोष सिद्ध नहीं किया जा सका और तलवार दंपत्ति को बरी कर दिया गया।

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