Tokyo Olympics: चेहरे पर गर्व, आंखों में आंसू और लब पर आगे और कामयाबी की दुआ। तोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचने वाली भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ियों के परिवार का एक जैसा हाल था।
मीलों दूर तोक्यो में इतिहास रच रही भारतीय महिला हॉकी खिलाड़ियों की जीत का जश्न यहां झारखंड के सिमडेगा और खूंटी में भी जमकर मनाया गया जब भारी बारिश और बिजली गुल होने के बावजूद लोगों ने जनरेटर का इंतजाम करके ओलंपिक मैच देखा। भारतीय महिला हॉकी टीम ने तीन बार की चैम्पियन आस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज टीम को एक गोल से हराकर सेमीफाइनल में प्रवेश किया।
भारतीय टीम की सदस्य सलीमा टेटे सिमडेगा के बडकीछापर गांव की है जबकि निक्की प्रधान खुंटी के हेसल गांव की रहने वाली हैं। मिट्टी के बने अपने घर में मैच देख रहे सलीमा के माता पिता सुबानी और सुलक्षण के आंसू नहीं रुक रहे थे। उन्होंने बताया कि कैसे हाथ से बनी बांस की स्टिक से उनकी बेटी ने हॉकी खेलना शुरू किया।
सिमडेगा से सिल्वेनस डुंगडुंग और माइकल किंडो जैसे खिलाड़ी भी निकले हैं जिन्होंने म्युनिख ओलंपिक खेला था। इसी तरह निक्की के गांव में भी मैच के दौरान जब गेंद निक्की के पास आती तो लोग ‘ निक्की निक्की ’ चिल्लाने लगते । लोग पूरे 60 मिनट तक टीवी के सामने डटे रहे। निक्की प्रधान ओलंपिक खेलने वाली प्रदेश की पहली महिला हॉकी खिलाड़ी हैं जिन्होंने रियो ओलंपिक में भी भाग लिया था।