Union Health Ministry: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) से एमबीबीएस के 2019 बैच के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए नेशनल एग्जिट टेस्ट’ (नेक्स्ट) के ‘मॉक टेस्ट’ यानी अभ्यास परीक्षा का शुल्क हटाने पर विचार करने को कहा है, जिसके बाद आयोग ने इस संबंध में चर्चा शुरू कर दी है।
यह परीक्षा 28 जुलाई को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कराई जाएगी। प्रमुख चिकित्सकीय संस्थान द्वारा पिछले सप्ताह जारी अधिसूचना के अनुसार, ‘‘सामान्य’’ और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के परीक्षार्थियों को ‘मॉक टेस्ट’ के लिए दो-दो हजार रुपए देने होंगे, जबकि अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) के परीक्षार्थियों को एक-एक हजार रुपए शुल्क देना होगा।
दिव्यांग परीक्षार्थियों को कोई शुल्क नहीं देना होगा। सूत्रों ने बताया कि यह परीक्षा कराने की जिम्मेदारी एम्स, दिल्ली को दी गई है और यह कंप्यूटर आधारित परीक्षा होगी जिसमें बहुविकल्पी प्रश्न पूछे जाएंगे। ‘मॉक टेस्ट’ कराने का उद्देश्य संभावित परीक्षार्थियों को कंप्यूटर आधारित परीक्षा, सॉफ्टवेयर इंटरफेस और परीक्षा केंद्रों की प्रक्रिया से परिचित कराना है।
एमबीबीएस के 2019 बैच के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए नेक्स्ट अगले साल दो चरणों में आयोजित किया जाएगा। एनएमसी ने शुक्रवार को नेक्स्ट नियमन, 2023 जारी किया, जिसमें बताया गया कि परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जाएगी।
नेक्स्ट चरण-एक को उत्तीर्ण करने के बाद छात्र एक साल के लिए ‘इंटर्नशिप’ करेंगे और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में उनके प्रवेश के लिए एनईएक्सटी चरण-1 के स्कोर पर विचार किया जाएगा। ‘इंटर्नशिप’ के बाद छात्रों को भारत में आधुनिक चिकित्सा की ‘प्रैक्टिस’ के लिए लाइसेंस और पंजीकरण प्राप्त करने को लेकर पात्र बनने के वास्ते चरण-दो उत्तीर्ण करना होगा। विदेश से मेडिकल में स्नातक करने वाले जो छात्र भारत में ‘प्रैक्टिस’ करना चाहते हैं, उन्हें नेक्स्ट चरण-एक की परीक्षा देनी होगी, ‘इंटर्नशिप’ करनी होगी और फिर नेक्स्ट चरण-2 को उत्तीर्ण करना होगा।