सदी की सबसे बड़ी बाढ़ का सामने करने वाले केरल राज्य के सामने अब एक और बड़ी समस्या आ गई है। बाढ़ का खतरा टलने के बाद अब यहां जानलेवा जलजनित रोगों ने लोगों को चपेट में लेना शुरू कर दिया है। राज्य के एकीकृत रोग निगरानी परियोजना के अनुसार, पिछले 15 दिनों में यहां लेप्टोस्पायरोसिस (Leptospirosis) बीमारी के 171 मामले सामने आए हैं और 46 लोगों की मौत हो गई है। लेप्टोस्पायरोसिस एक जीवाणु रोग है जो मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों के मूत्र से दूषित पानी या मिट्टी के माध्यम से प्रसारित होता है। इसी तरह, राज्य में चिकन पॉक्स के 1,617 मामले सामने आए और इससे एक की मौत हो गई है। इसके अलावा, हेपेटाइटिस ए (Hepatitis A) ने भी 1,044 को अपनी चपेट में ले लिए है और इससे चार की मौत हो गई। जनवरी से 1 सितंबर 2018 तक, केरल में 36 मौतों के साथ लेप्टोस्पायरोसिस के 788 मामले देखे गए हैं। जबकि 15 मौतों के साथ चिकन पॉक्स के 21,915 मामले देखे गए और दो मौतों के साथ स्क्रब टाइफस (Scrub Typhus) के 141 मामले सामने आए।
लेप्टोस्पायरोसिस क्या है? दिल्ली के जरनल फिजिशियन डॉक्टर अजय लेखी के अनुसार, यह एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जो जानवरों से होता है। यह कुत्ते, चूहे और खेत के जानवरों के पेशाब से फैलता है। इस खतरनाक रोग के कोई विशेष लक्षण नहीं होते हैं। कई मामलों में यह बीमारी घातक है लेकिन स्थति ज्यादा खराब होने पर आपको जान का खतरा हो सकता है। इसके लक्षणों में सीने में दर्द और हाथ पैरों में सूजन होना शामिल है। सरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीलिया, उल्टी, दस्त आदि इसके लक्षण हैं।
कैसे फैलती है यह बीमारीलेप्टोस्पायरोसिस लेप्टोस्पिरा इंटरऑर्गन नामक बैक्टीरिया से होती है। यह बैक्टीरिया कई जानवरों के उनकी किडनियों में होता है। यह मिटटी और उनके पेशाब के जरिए बाहर निकलता है। यह आपके मुंह, नाक और जननांगों के जरिए दूसरे लोगों में प्रवेश कर सकता है। इतना ही नहीं यह सेक्स और ब्रेस्फीडिंग के जरिए भी फ़ैल सकता है।
लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षणआम तौर पर दो हफ्ते के भीतर लेप्टोस्पायरोसिस के लक्षण दिखाना शुरू होते सकते हैं, हालांकि कुछ मामलों में, लक्षण एक महीने में भी दिखाई नहीं देते हैं। जब यह बीमारी होती है, तो इसका असर तेजी से होता है। उस दौरान आपको 104 डिग्री सेल्सियस तक बुखार आ सकता है। इसके अन्य विशिष्ट लक्षणों में शामिल हैं- सरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीलिया, उल्टी, दस्त, त्वचा पर लाल दाने होना।
लेप्टोस्पायरोसिस से बचाव
1) दूषित पानी से बचेंबारिश के गंदे पानी की वजह से इस बीमारी के फैलने का सबसे अधिक खतरा होता है। इससे बचने के लिए आपको गंदे पानी में जाने से बचना चाहिए।
2) जानवर और चूहों से बचेंअगर आपके घर और आसपास चूहें, तो आपको उन्हें भगाने की कोशिश करनी चाहिए। घर को साफ रखें और कोई भी खाने की चीज को खुला ना छोड़ें।
3) गंदे टॉयलेट्स से बचेंअगर आप सफर कर रहे हैं, तो ध्यान रहे कि गंदे टॉयलेट्स का इस्तेमाल ना करें। कोई भी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें।