लंदन: करीब 2 सालों से कोरोना महामारी से जुझ रहे दुनिया के करीब 20 से ज्यादा देशों में इस समय मंकीपॉक्स बीमारी का खौफ सता रहा है। कोरोना वायरस की तरह जनवरों से पैदा होने वाले इस बीमारी के कारण वो लोग ज्यादा ही खौफजदा हैं, जिनके पास पालतू जानवर हैं और ऐसा होने का कारण है स्वास्थ्य विषेषज्ञों द्वारा मंकीपॉक्स के मामले में जारी की गई चेतावनी।
यूरोपीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने मंकीपॉक्स की रोकथाम के लिए इस बीमारी से प्रभावित पालतू हैम्स्टर, गेरबिल और गिनी पिग को मारने या इंसानों से अलग करने की चेतावनी दी है। अधिकारियों के मुताबिक अगर यूरोप में जानवरों के बीच मंकीपॉक्स वायरस मामले में उछाल देखा जाता है तो इसका स्पष्ट मतलब है कि ये बीमारी यूरोप में स्थानिय तौर पर फैल रही है।
यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (सीडीसी) के अनुसार, यूरोपीय संघ ने अभी तक कुल 118 मंकीपॉक्स मामलों की पुष्टि की है। बताया जा रहा है कि स्पेन और पुर्तगाल में मंकीपॉक्स के क्रमशः 51 और 37 मामले मिले हैं। वहीं यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी ने अब तस कुल 90 मामलों की पुष्टि की है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक बीते 100 दिनों में वैश्विक स्तर पर 20 से अधिक देशों में लगभग 200 मंकीपॉक्स मामलों की पुष्टि हुई है।
यूरोपीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस मामले में चेतावनी देते हुए कहा, "मंकीपॉक्स पर लगाम लगाने के लिए पालतू जानवरों की निगरानी बेहद जरूरी है औक किसी पालतू जानवर में रोग के लक्षण दिखाई देते हैं तो उन्हें अलग कर दिया जाना चाहिए।"
हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ पूरी तरह से इस बात की पुष्टि नहीं कर रहे हैं मंकीपॉक्स जानवरों में ही फैल रहा है और इसके पैदा होने का श्रोत क्या है। लेकिन ज्यादातर विशेषज्ञों का मानना है कि यह बीमारी पश्चिम और मध्य अफ्रीका में बंदरों से पनपा है। इसलिए पालतू जानवरों मसलन हैम्स्टर्स, गेरबिल्स, गिनी पिग्स और चूहों में भी इस बीमारी के फैलने का जोखिम सबसे ज्यादा है।
समाचार पत्र 'द टेलीग्राफ' ने बताया कि इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर पालतू कुत्तों और बिल्लियों सहित अन्य जानवरों को घरों के अंदर ही अलग रखा जाना चाहिए क्योंकि इससे अन्य जानवरों में मंकीपॉक्स वायरस के ट्रांसफर होने का जोखिम कम रहता है।
इसके अलावा ग्लासगो सेंटर फॉर वायरस रिसर्च के प्रोफेसर डेविड रॉबर्टसन की रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि मनुष्यों से पालतू जानवरों के लिए मंकीपॉक्स का खतरा कम है, लेकिन उसके बाद भी यह बेहद चिंता का विषय है क्योंकि इसके कारण वायरस के प्रसार का पता लगाना बेहद कठिन हो जाएगा।
रॉबर्टसन के हवाले से कहा गया, "यह वायरस काफी व्यापक तौर पर केवल जानवरों की ही बल्कि इंसानों को भी अपना शिकार बना सकता है। इसलिए इस वायरस के ट्रांसमिट होने की स्पीड बेहद चिंता का विषय है।
हालांकि, कुछ विशेषज्ञ मकीपॉक्स के जोखिमों को बड़ा खतरा होने की बात से नकार रहे हैं। एनिमल एंड प्लांट हेल्थ एजेंसी (एपीएचए) में वायरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर इयान एच ब्राउन ने कहा कि मकीपॉक्स का खतरा इसलिए बड़ा लग रहा है क्योंकि मंकीपॉक्स अधिक आसानी से जानवरों से इंसानों में पहुंच रहा है।
उन्होंने कहा, "लोगों को इस बीमारी के खिलाफ जागरूक करके इसके खतरे को कम किया जा सकता है। आज तक विज्ञान को यह नहीं पता चल पाया है कि जानवरों की प्रजातियों किस वायरस के लिए कितनी संवेदनशील हैं। वैसे कुत्तों में अभी तक इस मामले की सूचना कहीं से नहीं मिली है।"