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Coronavirus: लांसेट ने कोविड-19 मरीजों के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन को जानलेवा बताने वाला अध्ययन वापस लिया

By भाषा | Published: June 05, 2020 4:52 PM

मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना के इलाज के लिए फायदेमंद है या नहीं इस पर विवाद है

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ठळक मुद्दे'लांसेट' चीन की स्वास्थ्य पत्रिका हैवैज्ञानिक अभी भी इस दवा को कोरोना के इलाज के लिए प्रभावी नहीं बता रहे

मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का कोविड-19 मरीजों में मौत का खतरा बढ़ा देने संबंधी ‘लांसेट’ पत्रिका में प्रकाशित विवादित अध्ययन के लेखकों ने अपना अनुसंधान पत्र वापस ले लिया है। अपने आकलन में इस्तेमाल प्रारंभिक डेटा स्रोतों की सत्यता को प्रमाणित नहीं कर पाने के बाद उन्होंने यह दावा वापस लिया है।

इससे पहले ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन को भी वापस ले लिया गया था जिसमें कहा गया था कि कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती मरीजों में मौत का जोखिम पहले से मौजूद हृदय की किसी बीमारी से जुड़ा हुआ है।

लांसेट पत्रिका ने एक बयान में कहा, “आज, अनुसंधान पत्र ‘कोविड-19 के इलाज में मैक्रोलाइड के साथ या बिना हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) या क्लोरोक्वीन लेना : एक बहुराष्ट्रीय आकलन’ के तीन लेखकों ने अपना अध्ययन वापस ले लिया है।”

सीएसआईआर- इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एवं इंटिग्रेटिव बायोलॉजी में फेफड़ा रोग संबंधी अनुसंधान के निदेशक, अनुराग अग्रवाल ने इस अध्ययन को वापस लिए जाने का महत्व बताते हुए कहा, “दवा वापस लेने से किसी भी तरह से यह साबित नहीं होता कि एचसीक्यू एवं क्लोरोक्वीन प्रभावी है, यह बस यह साबित करता है कि दवा से उच्च मृत्य दर की चिंताएं निराधार हैं।”

अग्रवाल ने कहा, “और ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए हम परीक्षण जारी रखेंगे।” यह अनुसंधान 22 मई को प्रकाशित हुआ था जिसमें दावा किया गया था कि छह महाद्वीपों से अस्पताल में भर्ती 96,000 कोविड-19 मरीजों के डेटा का आकलन किया गया और कहा गया था कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और क्लोरोक्वीन के प्रयोग से मौत के मामले बढ़ गए हैं तथा दिल की धड़कन में परिवर्तन होने जैसे मामले देखे गए हैं।

उनके आकलन से, वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि कोविड-19 का इन दवाओं से इलाज करने से अस्पताल में लोगों को बचाने की संभावना घट जाएगी और दिल की धड़कन की लय में गड़बड़ी होने की आशंका बढ जाएगी। इसके फौरन बाद ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने क्लिनिकल ट्रायल में एचसीक्यू से मरीजों का इलाज करने पर रोक लगा दी थी।

हालांकि, मंगलवार को, लांसेट ने एक बयान प्रकाशित कर अध्ययन को लेकर चिंता जताई थी जब विश्व के करीब 100 से अधिक वैज्ञानिकों ने पत्रिका के संपादक रिचर्ड होर्टन को खुला पत्र लिखकर अनुसंधान में फर्क नजर आने का मुद्दा उठाया था।

टॅग्स :हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइनकोरोना वायरससीओवीआईडी-19 इंडियामेडिकल ट्रीटमेंट
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