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दिल की धड़कन को गंभीर नुकसान पहुंचाती है कोरोना मरीजों को दी जाने वाले यह चर्चित दवा

By भाषा | Published: June 04, 2020 11:56 AM

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को लेकर अभी भी कई शोध चल रही हैं, इस पर वैज्ञानिकों की राय अलग-अलग है

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ठळक मुद्देयह हृदय की धड़कन को नियंत्रित करने वाली विद्युत तरंगों के समय को बदल देती हैदिल के मरीजों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है दवा

कोरोना वायरस का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है और इसका अभी तक कोई स्थायी इलाज नहीं मिला है। इससे निपटने के लिए के लिए मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। हालांकि इस दवा को लेकर अभी भी शोध चल रही है। इस बीच अनुसंधानकर्ताओं ने ऑप्टिक्ल मैपिंग प्रणाली का इस्तेमाल यह दर्शाने में किया है कि किस तरह यह दवा हृदय की धड़कन को नियंत्रित करने वाले विद्युत संकेतों में गंभीर गड़बड़ी पैदा करती है। 

इस दवा का प्रचार कोविड-19 के संभावित उपचार के तौर पर किया गया। अमेरिका के जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों समेत अन्य अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि यह अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे यह दवा हृदय की धड़कन को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। 

हार्ट रिदम’ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में यह पाया गया कि यह दवा आश्यचर्यजनक रूप से हृदय की धड़कन में अनियमितता पैदा करती है। अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने दो प्रकार के जानवरों के दिलों पर दवा के प्रभावों का आकलन किया, और पाया कि यह हृदय की धड़कन को नियंत्रित करने वाली विद्युत तरंगों के समय को बदल देती है। हालांकि जरूरी नहीं है कि जानवरों पर किया गया अध्ययन मनुष्यों पर भी लागू ही हो। 

विद्युत तरंगों में गड़बड़ी पैदा कर सकती है हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन वैज्ञानिकों का कहना है कि उन्होंने जो वीडियो बनाए हैं उसमें यह स्पष्ट दिखता है कि कैसे यह दवा हृदय में विद्युत तरंगों में गड़बड़ी पैदा कर सकती है। जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के भौतिकी के प्रोफेसर और इस अध्ययन के सह-लेखक फ्लेवियो फेंटन ने कहा कि उन्होंने इस प्रयोग के लिए ऑप्टिकल मैपिंग का सहारा लिया। इससे उन्हें यह देखने में मिली कि हृदय की तरंगें किस तरह से बदलती हैं। 

हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का ट्रायल जारी रखना होगावहीं, इमोरी विश्वविद्यालय अस्पताल के प्रोफेसर और सहलेखक शहरयार इरावनियन ने कहा कि कोविड-19 को लेकर इस दवाई का परीक्षण क्लिनिकल ट्रायल तक ही रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रूमेटाइड अर्थराइटिस और ल्यूपस जैसी बीमारियों के इलाज में भी इस दवाई का इस्तेमाल होता है और ऐसे मरीज विरले ही हृदय की धड़कन में अनियमितता का सामना करते हैं क्योंकि जितनी खुराक में कोविड-19 मरीजों के लिए दवाइयों की सिफारिश की जा रही है उसकी तुलना में इन्हें काफी कम दिया जाता है। 

कोरोना के मरीजों को ज्यादा खुराक देने से नुकसानवैज्ञानिकों के अनुसार कोविड-19 के मरीज अलग होते हैं और वे इस दवाई से उत्पन्न होने वाली हृदय की धड़कन अनियमितता को लेकर ज्यादा खतरे में हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 मरीजों के लिए इसकी खुराक सामान्य की अपेक्षा दो-तीन गुणा ज्यादा है। कोविड-19 हृदय को प्रभावित करता है और पोटाशियम का स्तर कम करता है। इससे हृदय की धड़कन में अनियमितता का खतरा बढ़ता है।

देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के अब तक के सबसे ज्यादा नए 9,304 मामले सामने आए हैं जबकि 260 लागों की मौत हो गयी है। इसके साथ ही बृहस्पतिवार तक देश में संक्रमितों एवं इस घातक वायरस से मरने वालों की संख्या बढ़कर क्रमश: 2,16,919 और 6,075 हो गयी है। अमेरिका, ब्राजील, रूस, ब्रिटेन, स्पेन और इटली के बाद भारत अब कोरोना वायरस से सर्वाधिक प्रभावित देशों की सूची में सातवें स्थान पर है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि देश में 1,06,737 संक्रमित मरीजों का उपचार चल रहा है और 1,04,106 लोग स्वस्थ हो चुके हैं और एक मरीज देश से बाहर जा चुका है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘ इसलिए अब तक करीब 47.99 फीसदी मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।’’ बुधवार सुबह से इस घातक वायरस से अब तक 260 लोगों की मौत हुई। इनमें से सबसे ज्यादा 122 मौत महाराष्ट्र में, दिल्ली में 50, गुजरात में 30, तमिलनाडु में 11, पश्चिम बंगाल में 10, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना में सात-सात लोगों की मौत हुई। 

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