लखनऊ: उत्तर प्रदेश में गोकशी और गो-तस्करी को रोकने के लिए सख्त कानून बना हुआ है. इस अपराध में लिप्त व्यक्ति को दस साल ही सजा का प्रावधान है. प्रदेश पुलिस भी गो-तस्करी और गोकशी को रोकने के लिए सतर्क रहती हैं. इसके बाद भी प्रदेश में गो-तस्करी और गोकशी पर अंकुश नहीं लग पाया है. गोरखपुर में पशु तस्करों द्वारा छात्र दीपक गुप्ता की गई हत्या इसका सबूत है. योगी सरकार में यह कोई पहली बड़ी घटना नहीं है.
बीते 20 महीनों में यूपी में गोकशी के 699 और गौ तस्करी के 1,200 दर्ज किए गए, जिनमें 2,279 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. 539 आरोपियों ने कोर्ट में समर्पण किया. इसके बाद भी राज्य में गोकशी और गो-तस्करी पर अंकुश नहीं लग पाया है. ऐसे में अब गोरखपुर की घटना के बाद डीजीपी राजीव कृष्णा ने गो-तस्करी और गोकशी की घटनाओं को रोकने के लिए अधिक सतर्कता बरतने के निर्देश दिए है. उन्होने कहा है, पशु तस्करों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित कराते हुए चेकिंग बढ़ाई जाए ताकि गो तस्करों को पकड़ा जा सके.
डीजीपी ऑफिस का दावा :
प्रदेश के पुलिस अफसरों को डीजीपी कार्यालय द्वारा गो-तस्करी और गोकशी की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जारी किए गए निर्देश के साथ ही यह दावा किया गया है कि राज्य में गो-तस्करी के मामलों में पुलिस ने कोई ढील नहीं बरती है. पुलिस की सतर्कता के चलते ही एक जनवरी 2024 से 31 अगस्त 2025 तक बीस महीनों में पशु तस्करों के खिलाफ की गई कार्रवाई के चलते गोकशी के 699 मुकदमे दर्ज किए गए. गोकशी के प्रकरणों में 2,279 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, जबकि 539 आरोपियों ने कोर्ट में समर्पण किया.
इसी प्रकार गौतस्करी के 1,200 मामले पकड़े गए, इनमें 2,709 आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. 568 आरोपियों ने कोर्ट में समर्पण किया. पुलिस के अनुसार, गोकशी में पकड़े गए 15 आरोपितों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई की गई. जबकि छह आरोपियों के विरुद्ध एनएसए और 539 आरोपियों के खिलाफ गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की गई. 467 आरोपियों की हिस्ट्रीशीट खोली गई और 781 आरोपियों के विरुद्ध गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए 9.19 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त की गईं.
इसी प्रकार गौ तस्करी में नौ आरोपियों के विरुद्ध एनएसए व 476 के विरुद्ध गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई की गई और 288 आरोपियों की हिस्ट्रीशीट खोली गई है. 1,328 आरोपियों के विरुद्ध गैंगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करते हुए 9.97 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त की गईं. गोकशी तथा गौतस्करी में पकड़े गए आरोपियों की 18 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति पर बुलडोजर भी चलाया गया.
इसलिए नहीं लगा पा रहा अंकुश :
गोकशी तथा गौ तस्करी में लिप्त लोगों के खिलाफ राज्य में लगातार की जा रही ऐसी कार्रवाई के बाद भी आखिर क्यों इस अपराध पर अंकुश लग रहा? यह सवाल विपक्षी नेता योगी सरकार से पूछ रहे हैं. इन नेताओं का कहना है कि योगी सरकार ने वर्ष 2020 में गोवध निवारण (संशोधन) अधिनियम लाकर गोकशी तथा गौ तस्करी लिप्त लोगों की सजा को और सख्त किया था.
इस अपराध में लिप्त लोगों को 10 साल तक की जेल और उन पर भारी जुर्माना लगाए जाने का प्रावधान कानून में किया गया था. फिर क्यों राज्य में गोकशी तथा गौ तस्करी की घटनाएं लगातार हो रही है? इस बारे में सूबे के डीजीपी रह चुके सुलखान सिंह कहते हैं कि गौ तस्करी और गोकशी केवल स्थानीय स्तर का अपराध नहीं है. यह एक बड़े और संगठित नेटवर्क का हिस्सा है जो उत्तर प्रदेश से शुरू होकर बिहार और पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश तक फैला हुआ है.
इस नेटवर्क में पेशेवर तस्कर, अवैध बूचड़खाने चलाने वाले और पशुओं की चोरी में लिप्त लोग शामिल होते हैं. ये गिरोह अक्सर पुलिस और प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं, जैसे कि वाहनों को अलग तरह से सजाना या पुलिस के सामने ही फर्जी कागजात दिखाना. इस अपराध पर पुलिस जनता के सहयोग से ही अंकुश लगा पाएगी. अकेले पुलिस इसे पूरी तरह रोक नहीं लगा सकती है, इसे कम जरूर कर सकती है. वाहनों की चेंकिंग आदि को बढ़ाकर इसे रोकने का प्रयास किया जा रहा है.