राजस्थान सरकार ने बहुचर्चित पहलू खान प्रकरण की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का फैसला किया है। राज्य सरकार के शुक्रवार देर रात जारी बयान के अनुसार यह दल 15 दिन में अपनी रपट राज्य सरकार को सौंपेगा। अलवर की जिला अदालत ने बुधवार को पहलू खान की भीड़ द्वारा हत्या के मामले में सभी छह आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कह चुके हैं कि राज्य सरकार निचली अदालत के फैसले को चुनौती देगी।
बयान के अनुसार मुख्यमंत्री गहलोत ने पहलू खान प्रकरण में हाल ही आए अदालत के निर्णय की शुक्रवार शाम मुख्यमंत्री कार्यालय में उच्च अधिकारियों के साथ विस्तार से समीक्षा की। गहलोत ने इस प्रकरण की जांच में रही त्रुटियों पर विस्तार से चर्चा की। बैठक में निर्णय लिया गया कि अधीनस्थ अदालत के निर्णय के खिलाफ अपील की जाए जिसके लिए एक वरिष्ठ अधिवक्ता की सेवाएं ली जाएंगी। इसके साथ ही प्रकरण की जांच के लिए एडीजी (अपराध) की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया जाएगा। यह एसआईटी 15 दिन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
एसआईटी जांच में रही त्रुटियों और अनियमितताओं को चिह्नित कर इनके लिए अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय करेगा। बयान के अनुसार इस एसआईटी का नेतृत्व उप महानिरीक्षक (एसओजी) नितिनदीप बल्लगन करेंगे तथा इनके साथ एसपी (सीआईडी सीबी) समीर कुमार सिंह तथा एएसपी (सतर्कता) समीर दुबे टीम में शामिल होंगे।
इसलिए कोर्ट ने किया छह आरोपियों को बरी
अदालत ने अपने निर्णय में बताया कि छह आरोपियों के नाम पहलू खान और अन्य शिकायतकर्ताओं के पर्चा बयान में दर्ज नहीं थे। आरोपियों की पहचान वीडियो के आधार पर की गई थी लेकिन जांच अधिकारी रमेश सिनसिवार ने वीडियो जिस उपकरण से बनाया गया था उसे जब्त नहीं किया। जिन लोगो पर आरोप लगे थे उनकी पहचान शिकायतकर्ताओं द्वारा नहीं की गई जिसे सीआरपीसी की धारा 161 के तहत किया जाना चाहिए था। इसके साथ साथ सिनसिनवार द्वारा अस्पताल में पहलू खान के दर्ज किये गये बयान के बाद अस्पताल के चिकित्सक से यह प्रमाण पत्र हासिल नहीं किया जिससे यह प्रमाणित हो सके कि पहलू खान बयान देने की स्थिति में थे या नहीं। जांच अधिकारी ने बयान दर्ज होने के 16 घंटे बाद बयान पुलिस थाने में पेश किये जो गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
जानें क्या था पहलू खान मॉब लिंचिंग मामला
जयपुर-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग के बहरोड थाना क्षेत्र में 1 अप्रैल 2017 को पहलू खान, उनके दो पुत्रों और अन्य लोगों द्वारा गोवंश के परिवहन के दौरान की गई मारपीट के समय सिनसिनवार बहरोड के थानाधिकारी थे। पहलू खान की 3 अप्रैल 2017 को उपचार के दौरान मौत हो गई।
सात अप्रैल 2017 को वृत्ताधिकारी परमल सिंह को स्थानांतरित कर दी गई थी। सिंह ने रविन्द्र कुमार के मोबाइल को जब्त किया था। इस मोबाइल का उपयोग घटना की एक अन्य वीडियो बनाने के लिये काम में लिया गया था, लेकिन मोबाइल फोन और उसका मेमोरी कार्ड को जांच के लिये फोरेंसिक प्रयोगशाला में नहीं भेजा गया। मोबाइल के मालिकाना हक को प्रामाणिक करने के कोई दस्तावेज नहीं थे और मोबाइल जब्ती के दौरान स्वतंत्र गवाह बयान से पलट गया। मामले की जांच वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पूर्व भाजपा सरकार के दौरान की गई थी।
अलवर के बहरोड थाना क्षेत्र में घटना के संबंध में सात मामलें दर्ज किये गये थे। पहलू खान की हत्या को लेकर एक मामला दर्ज किया गया था और छह मामले गौवंश को अवैध रूप से परिवहन करने के खिलाफ दर्ज किये गये थे। पुलिस के अनुसार कथित अपराध में छह वाहन इस्तेमाल किये गये थे। छह शेष मामले जांच और ट्राइल की विभिन्न स्टेज में है।
लिंचिंग मामले के आरोंपियों के खिलाफ बहरोड की एडीजे कोर्ट में 25 फरवरी 2018 को चार्जशीट पेश की गई थी। मामलें को बाद में अलवर की एडीजे कोर्ट में स्थानांनतरित कर दिया गया था। पहलू खान की मृत्यु से पूर्व उनके बयान में जिन छह लोगों - हुकुम चंद, ओम प्रकाश, सुधीर यादव, राहुल सैनी, नवीन शर्मा और जगमाल यादव - के नाम शामिल थे उन्हें सितम्बर 2017 को राजस्थान पुलिस ने क्लीन चिट देदी थी इन्हें क्लीन चिट घटना स्थल पर मौजूद लोगो के बयान, फोटोग्राफ और मोबइल लोकेशन के आधार पर दी गई। इस मामले की जांच बहरोड थाने के थानाधिकारी रमेश सिनसिनवार उसके बाद तत्कालीन वृत्ताधिकारी परमल सिंह और उसके बाद मामले को जयपुर मुख्यालय के सीआईडी सीबी मे स्थानांतरित कर दिया गया था। हरियाणा के नूहू जिले के जयसिंहपुरा गांव निवासी पहलू खान 55 की 3 अप्रैल 2017 को उपचार के दौरान मृत्यु हो गई।