नई दिल्लीः निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के चारों आरोपियों को आज सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दे दी गई, जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इसके साथ ही देश को झकझोर देने वाले, यौन उत्पीड़न के इस भयानक अध्याय का अंत हो गया। मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) के शव को दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल में लाया गया है, जहां उनका पोस्टमार्टम किया जाएगा।
समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, बताया गया है कि दोषियों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए डीडीयू अस्पताल लाया गया है,जहां उनका पोस्टमार्टम जेल मैनुअल और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। पोस्टमॉर्टम के बाद दोषियों के शव उनके परिजनों को सौंप दिए जाएंगे।
इससे पहले कहा गया है कि दोषियों के परिवारों को लिखित में एक चीज सुनश्चित करनी होगी कि वे शवों के दाह संस्कार के संबंध में किसी भी प्रकार का सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं करेंगे। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंपे जाएंगे।
इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि न्याय दिलाने में 7 साल लग गए हैं। आज, हमें एक प्रतिज्ञा लेनी है कि इस तरह की घटना फिर से न हो। हमने देखा है कि हाल ही में दोषियों ने कानून के साथ कैसे खिलवाड़ किया है। हमारे सिस्टम में बहुत सारी खामियां हैं, हमें सिस्टम में सुधार करने की आवश्यकता है।
बता दें इस मामले की 23 वर्षीय पीड़िता को 'निर्भया' नाम दिया गया था जो फिजियोथैरेपी की छात्रा थी। जेल अधिकारियों ने बताया कि चारों दोषियों के शव करीब आधे घंटे तक फंदे पर झूलते रहे जो जेल नियमावली के अनुसार फांसी के बाद की अनिवार्य प्रक्रिया है। दक्षिण एशिया के सबसे बड़े जेल परिसर तिहाड़ जेल में पहली बार चार दोषियों को एक साथ फांसी दी गई। इस जेल में 16,000 से अधिक कैदी हैं। चारों दोषियों ने फांसी से बचने के लिए अपने सभी कानूनी विकल्पों का पूरा इस्तेमाल किया।
सात साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अपनी बेटी को आखिरकार न्याय मिलने से राहत महसूस कर रहे निर्भया के माता-पिता ने कहा कि वे ‘‘भारत की बेटियों के लिए अपनी लड़ाई’’ जारी रखेंगे। निर्भया की मां आशा देवी ने फांसी के बाद पत्रकारों से कहा, ‘‘हमें आखिरकार न्याय मिला। हम भारत की बेटियों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। न्याय में देरी हुई लेकिन न्याय मिला।’’ उन्होंने कहा कि दोषियों की फांसी के बाद अब महिलाएं निश्चित तौर पर सुरक्षित महसूस करेंगी। उन्होंने कहा कि पूरा देश जाग रहा था और न्याय का इंतजार कर रहा था।
चलती बस में निर्भया के साथ छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसे बुरी तरह पीटा, घायल कर दिया और सर्दी की रात में चलती बस से नीचे सड़क पर फेंक दिया था। 16 दिसंबर 2012 को हुई इस घटना ने पूरे देश की आत्मा को झकझोर दिया था और निर्भया के लिए न्याय की मांग करते हुए लोग सड़कों पर उतर आए थे। करीब एक पखवाड़े तक जिंदगी के लिए जूझने के बाद अंतत: सिंगापुर के अस्पताल में निर्भया ने दम तोड़ दिया था।
इस मामले में मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह सहित छह व्यक्ति आरोपी बनाए गए। इनमें से एक नाबालिग था। मामले के एक आरोपी राम सिंह ने सुनवाई शुरू होने के बाद तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। नाबालिग को सुनवाई के बाद दोषी ठहराया गया और उसे सुधार गृह भेज दिया गया। तीन साल तक सुधाार गृह में रहने के बाद उसे 2015 में रिहा कर दिया गया।