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Nirbhaya Case: जानिए कौन था राजस्थान का रहने वाला मुकेश सिंह, जिसने निर्भया पर लोहे की रॉड से किया था वार

By रामदीप मिश्रा | Published: March 20, 2020 5:48 AM

Nirbhaya Case: दिल्ली में 23 साल की छात्रा के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात को एक चलती बस में बर्बरता के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस घटना के करीब 15 दिन बाद पीड़िता की सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी।

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ठळक मुद्देदिल्ली की तिहाड़ जेल में निर्भया मामले के चारों दोषियों को आज फांसी दी गई।दोषियों में मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) शामिल थे।

दिल्ली की तिहाड़ जेल में निर्भया मामले के चारों दोषियों को आज फांसी दी गई। इन चारों दोषियों को पवन जल्लाद ने फांसी पर लटकाया। तिहाड़ जेल के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब एक ही अपराध के लिए एक ही समय पर चार दोषियों को फांसी दी गई। दोषियों में मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) शामिल थे। आज हम आपको बताते हैं कि चारों दोषियों में शामिल मुकेश कौन था?

निर्भया गैंगरेपः कौन है मुकेश सिंह

मुकेश सिंह राजस्थान के करौली जिले का रहने वाला था। इसके गांव का नाम कल्लादह है। जिस बस में निर्भया के साथ दरिंदगी की हदें पार की गई थीं उस बस में मुकेश खल्लासी का काम करता था। इसका भाई रामसिंह ड्राइवर था और वह भी वारदात के समय मौजूद था। ये दोनों सगे भाई थे और मुकेश बड़ा था। मुकेश दक्षिणी दिल्ली के रविदास झुग्गी कैंप में राम सिंह के साथ ही रहता था। 

राम सिंह ने कथित रूप से 11 मार्च 2013 को आत्महत्या कर ली थी, जिसका कल्लादह गांव स्थित भद्रावती नदी के तटीय श्मशान में पुलिस की मौजूदगी में दाह संस्कार किया गया था। मुकेश ने गैंगरेप के बाद निर्भया पर लोहे की रॉड से हमला किया था। बताते चलें कि चारों दोषियों का डेथ वारंट टाला गया। 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी देने का चौथा वारंट जारी किया गया था।

निर्भया गैंगरेपः 16 दिसंबर, 2012 की रात को की थी दरिंदगी  

दिल्ली में 23 साल की छात्रा के साथ 16 दिसंबर 2012 की रात को एक चलती बस में बर्बरता के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस घटना के करीब 15 दिन बाद पीड़िता की सिंगापुर के एक अस्पताल में मौत हो गई थी। इस घटना ने देश को हिला दिया था। 

पीड़िता को को निर्भया नाम से जाना गया। इस मामले में छह लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें एक नाबालिग शामिल था। वहीं छठे व्यक्ति राम सिंह ने मामले में सुनवाई शुरू होने के कुछ समय बाद खुदकुशी कर ली थी। वहीं नाबालिग को 2015 में रिहा कर दिया गया था। उसने सुधार गृह में तीन साल का समय बिताया था। 

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