पटना: डीआरआई की टीम ने पटना में वन्यजीव अपराधियों के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की है। टीम ने दुर्लभ जानवरों की तस्करी का पर्दाफाश किया है। गुप्त सूचना के आधार पर, टीम ने दो तस्करों को पकड़ा है जो साधु के वेश में इस अवैध व्यापार को अंजाम दे रहे थे। यह जानकारी डीआरआई एसपी ने दी।
उन्होंने बताया कि इस कार्रवाई के दौरान, डीआरआई ने तस्करों के पास से एक तेंदुए की खाल और हाथ जोड़ी बरामद की है। यह हाथा जोड़ी असल में एक मॉनिटर लिजर्ड (गोह) के जननांगों का हिस्सा होती है, जिसे अंधविश्वास के चलते लोग शुभ मानते हैं। डीआरआई के एसपी ने बताया कि गुप्त सूचना मिलने के बाद, डीआरआई ने जाल बिछाया।
टीम को पता चला कि यह गिरोह तेंदुए और मॉनिटर लिजर्ड जैसे लुप्तप्राय जीवों का शिकार करता था और फिर उनके अंगों की तस्करी करता था। पकड़े गए दोनों तस्कर साधु का वेश बनाकर इस अवैध धंधे को अंजाम दे रहे थे, ताकि किसी को उन पर शक न हो। उल्लेखनीय है कि तेंदुए और मॉनिटर लिजर्ड दोनों ही वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत संरक्षित प्रजातियां हैं।
इन जीवों का शिकार, व्यापार या उनके अंगों की तस्करी करना एक गंभीर अपराध है जिसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। इसके अलावा, इन जीवों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापार भी सीआईटीईएस (कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन एंडेंजर्ड स्पीशीज ऑफ वाइल्ड फ्लोरा एंड फौना) के तहत प्रतिबंधित है। डीआरआई की इस कार्रवाई से न सिर्फ वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है, बल्कि इस तरह के अवैध व्यापार में शामिल गिरोहों को भी एक कड़ा संदेश मिला है।
दरअसल, हाल के वर्षों में पटना और उसके आसपास वन्यजीव तस्करी के नेटवर्क तेज़ी से फैल रहे हैं। इस तरह की बरामदगी राजधानी को ऐसे अवैध कारोबार का हब बनाए जाने की कोशिश को उजागर करती है। डीआरआई की कार्रवाई ने न केवल गिरोह की गतिविधियों पर रोक लगाई है बल्कि नेटवर्क को ध्वस्त करने की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया है।
डीआरआई अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई भारत की जैव विविधता की सुरक्षा के प्रति उनकी सख्त प्रतिबद्धता को दर्शाती है। राष्ट्रीय कानूनों और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के तहत इस तरह के आपराधिक नेटवर्क पर नकेल कसने का अभियान लगातार जारी रहेगा। फिलहाल, गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ और आगे की जांच चल रही है।