पणजी:गोवा पुलिस और मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की सरकार के लिए बड़ी फजीहत का कारण बन गया है जब भूमि घोटाले के आरोपी सुलेमान सिद्दीकी ने टॉर्चर और जबरन वीडियो रिकॉर्डिंग के गंभीर आरोप लगाए। सिद्दीकी ने बुधवार को पणजी जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश होने के बाद मीडिया के सामने कहा कि उनका दूसरा वीडियो जबरन बंदूक की नोक पर और बिजली के झटकों के बीच रिकॉर्ड कराया गया था। सिद्दीकी के इस खुलासे से विपक्ष, खासतौर पर आम आदमी पार्टी (AAP) को बड़ा मुद्दा मिल गया है, जिसने अब पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए स्वतंत्र जांच की मांग की है।
सिद्दीकी ने मीडिया से कहा: "दूसरा वीडियो फर्जी था। इसे बंदूक की नोक पर और बिजली के झटकों के बीच जबरन रिकॉर्ड कराया गया।" उनके इन आरोपों ने गोवा पुलिस पर हिरासत में अत्याचार और राजनीतिक दखलअंदाजी को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इतना ही नहीं, सिद्दीकी ने अपने पहले वीडियो को सही ठहराते हुए कहा कि उन्होंने जो आरोप पहले लगाए थे, वे सभी सही हैं। पहले वीडियो में उन्होंने एसपी क्राइम ब्रांच राहुल गुप्ता, डीएसपी सूरज हालारंकर और बीजेपी विधायक जोशुआ डिसूजा पर भ्रष्टाचार और दुर्व्यवहार के आरोप लगाए थे।
AAP नेता अमित पालेकर का BJP सरकार पर हमला
AAP गोवा अध्यक्ष अमित पालेकर ने सिद्दीकी के खुलासे पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए SP क्राइम राहुल गुप्ता और DySP सूरज हालारंकर को तत्काल निलंबित करने और पुलिस की कार्यप्रणाली की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की। "सच को कुछ समय के लिए दबाया जा सकता है, लेकिन हमेशा के लिए दफनाया नहीं जा सकता।
सिद्दीकी के बयान ने गोवा पुलिस की संदिग्ध भूमिका उजागर कर दी है। यह SP क्राइम राहुल गुप्ता और DySP सूरज हालारंकर को निलंबित करने के लिए पर्याप्त कारण है। हम मांग करते हैं कि इस मामले की जांच एक स्वतंत्र एजेंसी करे और उनकी हिरासत से भागने की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।"
CM प्रमोद सावंत और गोवा पुलिस की साख दांव पर
1.5 लाख वर्ग मीटर भूमि घोटाले में आरोपी सिद्दीकी का नाम 2014 में लुईजा फर्नांडिस की हत्या और टार्सिला फर्नांडिस की हत्या के प्रयास से भी जोड़ा जा रहा है। हालांकि, अब पूरा विवाद पुलिस टॉर्चर और जबरन बयान के आरोपों पर केंद्रित हो गया है, जिससे गोवा पुलिस और CM प्रमोद सावंत सरकार की प्रतिष्ठा पर गहरा असर पड़ा है।
अब विपक्ष CBI जांच की मांग को लेकर आक्रामक हो गया है, जिससे गोवा सरकार पर जबरदस्त दबाव बन गया है। 25 फरवरी को अगली सुनवाई होगी, जो इस पूरे राजनीतिक विवाद में बड़ा मोड़ ला सकती है।