लखनऊः उत्तर प्रदेश से प्रतिबंधित कोडीन युक्त कफ सीरप और नशीली दावों की तस्करी में लिप्त सिंडिकेट के 25 आरोपियों के घर और दफ्तरों में ईडी की अलग-अलग टीमों ने शुक्रवार की सुबह एक साथ छापेमारी की है. ईडी के अफसरों के अनुसार, लखनऊ, वाराणसी, जौनपुर, सहारनपुर, रांची, अहमदाबाद, कोलकाता में ईडी ने कफ सीरप तस्करी सिंडिकेट के जुड़े लोगों के कुल 25 ठिकानों पर छापे मारे हैं.
लखनऊ में प्रतिबंधित कोडीन युक्त कफ सीरप तस्करी के जरिए नेपाल और बांग्लादेश तक भेजने वाले सिंडिकेट के प्रमुख सदस्य आलोक सिंह की कोठी पर छापा मारा कर ईडी ने कई अहम दस्तावेज़ अपने कब्जे में लिए हैं. आलोक सिंह एसटीएफ़ का बर्खास्त सिपाही है. इसकी फर्म के जरिए प्रतिबंधित कोडीन युक्त कफ सीरप और नशीली दवाओं का कारोबार किए जाने के सबूत एसटीएफ़ और ईडी के हाथ लगे हैं. आलोक सिंह को एसटीएफ़ ने गत 2 दिसंबर को एसटीएफ़ ने गिरफ्तार किया था.
आलोक कफ सीरप सिंडिकेट के सरगना शुभम जायसवाल और अमित सिंह टाटा के साथ प्रतिबंधित कोडीन युक्त कफ सीरप तस्करी के अवैध कारोबार में शामिल रहा. शुक्रवार की सुबह आठ बजे के करीब ईडी की टीम दो गाड़ियों में सुरक्षाबलों के साथ आलोक सिंह की सुलतानपुर रोड की स्वातिका सिटी में बनी कोठी पर पहुंची.
आलोक सिंह की कोठी के सामने ही बसपा के पूर्व सांसद धनंजय सिंह का भी मकान है. आलोक सिंह को धनंजय सिंह का करीबी माना जाता है. आलोक सिंह के घर से ईडी की टीम ने हाथ आलोक सिंह के खातों से जुड़े कई अहम दस्तावेज कब्जे में लिए है. इसके अलावा घर पर मौजूद कुछ इलेक्ट्रानिक साक्ष्य जैसे मोबाइल, लैपटॉप और अन्य चीजें भी कब्जे में ली गई हैं.
ईडी की टीम ने आलोक सिंह के घर की पैमाइश भी फीते से की है. बताया जा रहा है कि अमित सिंह टाटा के घर पर ही ईडी के अफसरों के कुछ दस्तावेज कब्जे में लिए हैं. फिलहाल ईडी के अधिकारी छापेमारी में जब्त किए गए दस्तावेजों की जानकारी नहीं दे रहे हैं. इनका कहना है अभी छापेमारी जारी है और ऐसे में अभी कुछ बताना ठीक नहीं है.
इस जिलों में मिली गड़बड़ी
ईडी की इस कार्रवाई के साथ ही अब तक प्रतिबंधित कोडीन युक्त कफ सीरप तस्करी के अवैध कारोबार में लिप्त लोगों की धरपकड़ को लेकर चलाये जा रहे अभियान में सूबे के 52 जिलों की 332 फर्मों पर छापा मारा गया है.राज्य की खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की सचिव डॉ. रोशन जैकब के अनुसार, अब तक की जांच से यह पता चला है कि यूपी की 133 फर्मों द्वारा संगठित रूप से इन औषधियों का गैर चिकित्सकीय उपयोग के लिए अवैध डायवर्जन कर नशे के रूप में दुरुपयोग किया जा रहा था.
इसे लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, लखीमपुर खीरी और बहराइच के जरिए नेपाल और वाराणसी, गाजियाबाद से बांग्लादेश भेजा जा रहा था. विभाग के कई फर्जी फर्मों को भी पकड़ा है, जिनका इस्तेमाल केवल बिलिंग के लिए हो रहा था. सूबे 31 जिलों में 133 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.
खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग को सूबे के वाराणसी, जौनपुर, कानपुर नगर, गाजीपुर, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, बहराइच, बिजनौर, प्रयागराज, प्रतापगढ़, सीतापुर, सोनभद्र, बलरामपुर, रायबरेली, संतकबीर नगर, हरदोई, भदोही, अमेठी, श्रावस्ती, सिद्धार्थनगर, उन्नाव, बस्ती, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, सहारनपुर, बरेली, सुल्तानपुर, चंदौली, मिर्जापुर, बांदा, कौशांबी आदि शहरों में अवैध तरीके से प्रतिबंधित कोडीन युक्त कफ सीरप और नशीली दवाओं के बेच जाने के प्रमाण मिले है.