बांदाः जिले के गिरवां थाना क्षेत्र के महुआ गांव में एक मजदूर ने कथित तौर पर आर्थिक तंगी से परेशान होकर बृहस्पतिवार रात आत्महत्या कर ली। पुलिस ने शुक्रवार को बताया कि ईंट-भट्ठे में काम करने वाला मजदूर सुखराज प्रजापति (35) लॉकडाउन के दौरान काम बंद होने पर अपने गांव महुआ वापस लौटा था।
उसका शव शुक्रवार सुबह महामाई देवस्थान के पास खेत में लगे जामुन के पेड़ से फांसी के फंदे से लटका हुआ मिला। मृतक के छोटे भाई बृजलाल के हवाले से पुलिस ने बताया, "पिछले दो-चार दिनों से घर खर्च के लिए पैसे न होने की वजह से पति-पत्नी के बीच विवाद चल रहा था।
बृहस्पतिवार की देर रात भी दोनों के बीच विवाद हुआ और सुखराज आधी रात को घर से निकल गया था।" उन्होंने बताया कि शुक्रवार सुबह परिजन जब खेत गए को उसका शव पेड़ से लटका देखा और पुलिस को इस बारे में सूचित किया गया।
पुलिस का मानना है कि संभवतः आर्थिक तंगी से परेशान होकर उसने आत्महत्या की है। गिरवां थाने के प्रभारी निरीक्षक (एसएचओ) शशि कुमार पांडेय ने बताया कि शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और आत्महत्या के कारणों की जांच शुरू कर दी गयी है।
आर्थिक तंगी के चलते प्रवासी मजदूर ने आत्महत्या की
उत्तराखंड से लौटे एक प्रवासी मजदूर ने कथित तौर पर आर्थिक तंगी के चलते फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। बैरिया थाना के प्रभारी संजय त्रिपाठी के अनुसार अंजनी कुमार सिंह ने थाना क्षेत्र के राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिया-मांझी मार्ग पर सड़क किनारे एक पेड़ से फांसी लगाकर बृहस्पतिवार आत्महत्या कर ली। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
मृतक बैरिया थाना क्षेत्र के मठ योगेंद्र गिरि गांव का निवासी था । त्रिपाठी ने बताया कि अंजनी उत्तराखंड के हरिद्वार में निजी कम्पनी में मजदूर का कार्य करता था । लॉकडाउन के बाद वह 15 दिन पहले गांव आया था। पुलिस को आशंका है कि आर्थिक तंगी के कारण घरेलू कलह से परेशान होकर अंजनी ने आत्महत्या की है।