Chandigarh Court Shot Video: चड़ीगढ़ से हैरान करने वाली खबर सामने आई है, जहां ससुर दामाद के रिश्तों का खूनी संघर्ष देख हर कोई सहमा हुआ है। घटना चंडीगढ़ जिला न्यायालय परिसर में मध्यस्थता केंद्र की है, जहां शनिवार को पंजाब पुलिस के सेवानिवृत्त सहायक महानिरीक्षक ने 37 वर्षीय भारतीय नागरिक लेखा सेवा (आईसीएएस) अधिकारी को गोली मार दी थी।
इस दौरान करीब आधे घंटे तक न तो स्ट्रेचर मिला, न ही एंबुलेंस और न ही कोई पैरामेडिक उनकी मदद के लिए आया। इस दौरान वे खून से लथपथ हालत में पड़े रहे। पुलिस ने बताया कि नई दिल्ली में कृषि मंत्रालय में लेखा नियंत्रक के पद पर तैनात आईसीएएस हरप्रीत सिंह को तत्काल पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
चंडीगढ़ पुलिस ने बताया कि दोपहर करीब 2 बजे उन्हें एक संकट कॉल आया जिसमें पीड़ित पर गोली चलने की सूचना दी गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, गोली लगने के बाद पीड़ित जिला न्यायालय परिसर में सर्विस ब्लॉक की दूसरी मंजिल पर फर्श पर पड़ा रहा, जहां वह अपनी पत्नी अमितोज कौर के साथ वैवाहिक विवाद में मध्यस्थता प्रक्रिया के लिए गया था।
कोर्ट के एक कर्मचारी ने बताया कि दोपहर करीब 1.40 बजे दूसरी मंजिल के गलियारे में गोली चली। स्ट्रेचर न होने के कारण चार लोग पीड़ित को नीचे खड़ी चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन (डीबीए) की एंबुलेंस में ले गए। हालांकि, मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि सर्विस ब्लॉक में खड़ी डीबीए की एंबुलेंस काम नहीं कर रही थी, इसलिए एक वकील ने दूसरों की मदद से घायल हरपित को अपनी निजी कार में बिठाया और करीब 8 किलोमीटर दूर पीजीआईएमईआर ले गए।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, पीड़ित को दोपहर करीब 2.15 बजे इमरजेंसी वार्ड में लाया गया। चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन (डीबीए) के अध्यक्ष रोहित खुल्लर ने कहा, "जिला कोर्ट में उपलब्ध एकमात्र एंबुलेंस डीबीए की है। चूंकि यह भारत स्टेज (बीएस) IV मॉडल है, इसलिए हम इसका इस्तेमाल नहीं करते।"
चंडीगढ़ डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के वकील पुनीत छाबड़ा ने कहा, "कोर्ट परिसर में गोलीबारी की एक भयावह घटना हुई, जिसमें एक निर्दोष की जान चली गई। अगर मौके पर एंबुलेंस होती, तो नतीजा कुछ और हो सकता था। इस घटना से न्यायालय में सुरक्षा उपायों पर चिंताएं बढ़ गई हैं।''
छाबड़ा ने कहा, ''न्यायालय परिसर में सभी की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है - चाहे वे न्यायाधीश हों, वकील हों, मुवक्किल हों या आम जनता। यह घटना इस बात को उजागर करती है कि मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था में कोई भी सुरक्षित नहीं है। सुरक्षा की कमी हमारी न्यायिक प्रणाली के कामकाज को प्रभावित करती है और न्याय प्रदान करने की हमारी क्षमता में जनता के विश्वास को कम करती है।''
हरप्रीत की पत्नी के परिवार के वकील एसपीएस भुल्लर ने कहा कि मध्यस्थता केंद्र परिसर में कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं है और न्यायालय के गेट पर कोई चेकपॉइंट नहीं है।
जानकारी के अनुसार, मृतक की पहचान पंजाब के सिंचाई विभाग के अधिकारी हरप्रीत सिंह के रूप में हुई है। हत्या को अंजाम देने वाले आरोपी की पहचान पंजाब पुलिस के अब सेवानिवृत्त सहायक महानिरीक्षक मलविंदर सिंह सिद्धू के रूप में हुई है।
वैवाहिक विवाद के बाद दोनों परिवार मध्यस्थता के लिए जिला अदालत पहुंचे थे। ध्यान सत्र के दौरान, मलविंदर सिंह ने शौचालय का उपयोग करने का अनुरोध किया और हरप्रीत से उसे रास्ता दिखाने के लिए कहा। कुछ ही क्षण बाद, मालविंदर ने कथित तौर पर एक हथियार निकाला और हरप्रीत को दो बार गोली मारी, जिससे उसकी मौत हो गई। पुलिस ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है कि आरोपी सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार किया गया है या नहीं।