पटनाःबिहार में आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने एक सनसनीखेज कार्रवाई करते हुए सुपौल जिले में सत्तारूढ़ दल जदयू के युवा प्रदेश सचिव हर्षित कुमार को गिरफ्तार किया है। हर्षित के घर से 1500 सिम कार्ड, कई लैपटॉप, सिम बॉक्स डिवाइस और संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए हैं। फर्जी बायोमेट्रिक से सैकड़ों सिम जारी कर साइबर ठगी की जा रही थी। हर्षित कुमार के बैंक खाते में सात करोड़ रुपये से अधिक की राशि होने की बात सामने आई है। इस मामले ने न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि पूरे बिहार में हलचल मचा दी है, क्योंकि हर्षित एक प्रभावशाली नेता के रूप में जाने जाते थे।
दरअसल, ईओयू की साइबर शाखा ने दूरसंचार विभाग के साथ मिलकर सुपौल, वैशाली समेत अन्य जिलों में छापेमारी कर मास्टरमाइंड सहित छह अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। जांच में इस गिरोह की गतिविधियों का संबंध चीन, वियतनाम, कंबोडिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और पश्चिम बंगाल, झारखंड, यूपी, गोवा सहित कई राज्यों से सामने आया है।
राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल पर दर्ज 18 मामलों में इस नेटवर्क की संलिप्तता पाई गई है। दरअसल, आर्थिक अपराध इकाई की साइबर इकाई ने प्राप्त सूचना और तकनीकी निगरानी के आधार पर अपर पुलिस महानिदेशक (एडीजी) नैयर हसनैन के निर्देशन में डीआइजी (साइबर) संजय कुमार ने पुलिस उपाधीक्षक पंकज कुमार के नेतृत्व में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया था।
इसी टीम ने सुपौल के गौसपुर से हर्षित कुमार को गिरफ्तार किया। 21 वर्षीय हर्षित कुमार इस रैकेट का मास्टरमाइंड है। वह फेसबुक व अन्य सामाजिक मीडिया मंचों से चीन, वियतनाम, कंबोडिया व अन्य देशों के नागरिकों से जुड़ा। बाद में तार संदेश समूह (टेलीग्राम ग्रुप) में शामिल होकर सिम बॉक्स चलाने के लिए पैसे का लालच मिला।
उसने वियतनाम से 4 और चीन से 4 सिम बॉक्स मंगवाए। इन सिम बॉक्स के जरिए एक समानांतर एक्सचेंज संचालित हो रहा था। कंबोडिया, थाईलैंड व अन्य देशों के साइबर ठगी केंद्रों से शुरू होने वाली इंटरनेट कॉल को स्थानीय मोबाइल नेटवर्क कॉल में बदलकर देशभर के लोगों को निशाना बनाया जा रहा था।
प्रारंभिक जांच में पता चला है कि प्रतिदिन 10,000 से अधिक फर्जी कॉल की जाती थीं, जिससे विभिन्न साइबर अपराध किए जाते थे। इससे दूरसंचार विभाग को भारी राजस्व क्षति हो रही थी। ईयूओ की जांच में पता चला कि हर्षित एक अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड सिंडिकेट का हिस्सा था, जो सिम बॉक्स डिवाइस के जरिए समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज चलाता था।
इस गिरोह ने वियतनाम और चीन से सिम बॉक्स डिवाइस मंगवाए थे, जिनका उपयोग कम्बोडिया, थाईलैंड और अन्य देशों में साइबर ठगी के लिए फर्जी कॉल करने में किया जाता था। ईओयू के अनुसार, हर्षित इस साइबर ठगी नेटवर्क का मुख्य सरगना था। उसने झारखंड के पाकुड़ से सुमित शाह और मोहम्मद सुल्तान नामक व्यक्तियों के जरिए करीब 1400 सिम कार्ड हासिल किए थे।
इन सिम कार्ड का उपयोग फर्जी कॉल और ऑनलाइन ठगी के लिए किया जाता था। जांच में यह भी सामने आया कि हर्षित ने पिछले कुछ वर्षों में थाईलैंड, बैंकॉक समेत कई देशों की यात्रा की थी और उसकी संपत्ति 12-14 करोड़ रुपये की है, जिसमें मोतिहारी में एक आलीशान मकान और 30-35 बैंक खाते शामिल हैं। एक बैंक खाते में 2.5 करोड़ रुपये जमा पाए गए, जिसे सील कर दिया गया है।
इस गिरोह ने साइबर ठगी से अर्जित राशि को क्रिप्टो करेंसी में तब्दील कर लेनदेन किया, जिससे धन के स्रोत को छिपाने में मदद मिली। केंद्रीय दूरसंचार मंत्रालय के अनुसार, इस गिरोह ने केवल दो सप्ताह में 2.5 करोड़ रुपये और जनवरी 2025 से अब तक 60 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाया है।